न दवा, न खरपतवार की झंझट, इस विधि से खेती करने पर मिलेगी 50% सब्सिडी

खेतों में फसल के उत्पादन को कम करने में खरपतवार सबसे बड़ा सिर दर्द बनता जा रहा है. इससे बचने के लिए कई तरह की दवाईयों का प्रयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब हो रही है और खर्चा भी ज्यादा हो रहा हैं

इस लिए मल्चिंग विधि से खेती करने से किसानों को काफी लाभ हो सकता है. किसान प्लास्टिक मल्चिंग का प्रयोग करके खेती की उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं.

बेगूसराय के किसान प्रो. रामकुमार सिंह ने बताया पिछले 5 सालों से प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग अपने खेतों में कर रहे हैं. पहले किसानों को इसका उपयोग करने के लिए सब्सिडी नहीं मिलती थी. लेकिन, अब किसानों को सब्सिडी भी मिल रही है.

मल्चिंग तकनीक से खेत में पानी की नमी को बनाए रखने और वाष्पीकरण को रोका जाता है. यह तकनीक खेत में मिट्टी के कटाव को भी रोकती है. खेत में खरपतवार को होने से भी बचाया जाता है. बागवानी में होने वाले खरपतवार नियंत्रण एवं पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में बहुत सहायक होती है.

प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. किसानों को अधिकतम 2 हेक्टेयर में खेती के लिए 32 हजार तक का अनुदान मिलेगा.

प्रति हेक्टेयर कुल लागत का 50 फीसदी यानी 16 हजार रुपए अनुदान मिलेंगे. किसानों को इस योजना का लाभ लेने के लिए अपने प्रखंड या जिला उद्यान पदाधिकारी से संपर्क करना होगा. आपको बता दें कि पहले आओ पहले पाओ की तर्ज योजना का लाभ किसानों को मिलेगा.