तम्बाकू की खेती कैसे होती है | Tobacco Farming in Hindi | तम्बाकू की कीमत


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तम्बाकू की खेती (Tobacco Farming) से सम्बंधित जानकारी

तम्बाकू को नशीले प्रदार्थ के रूप में जाना जाता है | इसकी खेती को कम खर्च तथा अधिक बचत के लिए किया जाता है | तम्बाकू का सेवन स्वास्थ के लिए बहुत हानिकारक होता है | इसे धीमा जहर (Slow Poison) भी कहते है | तम्बाकू को सुखाकर धुआं एवं धुंए रहित नशे की चीजों के सेवन में इस्तेमाल किया जाता है | तम्बाकू का प्रयोग कर सिगरेट, बीडी, सिगार, पान मसालों, जर्दा और खैनी जैसी बहुत सारी चीज़ो को बनाया जाता है |




इन सब चीजों का वर्तमान समय में बहुत अधिक प्रयोग होने लगा है | यदि आप भी तम्बाकू की खेती कर अच्छी कमाई करना चाहते है, तो यहाँ पर आपको तम्बाकू की खेती कैसे होती है, Tobacco Farming in Hindi, तम्बाकू की कीमत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही है |

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तम्बाकू की खेती कैसे करे

तम्बाकू की खेती अधिक बचत एवं कम खर्च वाली खेती है, इसकी फसल को आसानी से उगाया जा सकता है, तथा इसे आसानी से बेचा भी जा सकता है | देश के लगभग सभी जगहों पर इसकी खेती को किया जा सकता है | यदि आप भी तम्बाकू की खेती कर अच्छी कमाई करना चाहते है तो यहाँ पर आपको तम्बाकू की खेती कैसे करे, इसके बारे में बताया जा रहा है |

तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी,जलवायु और तापमान (Suitable Soil, Climate and Temperature For Tobacco Farming)

इसकी खेती करने के लिए हल्की भुरभुरी तथा लाल दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है | खेत ऐसा होना चाहिए जिसमे जलभराव की समस्या न होती हो | जल भराव होने से अक्सर पौधों के ख़राब होने की स्थिति बन जाती है | जिससे पैदावार भी प्रभावित होती है | तम्बाकू की खेती में भूमि का P.H. मान 6 से 8 के मध्य होना चाहिए |

तम्बाकू की खेती में ठंडी एवं शुष्क जलवायु को उपयुक्त माना जाता है | इसमें अधिकतम 100 सेंटीमीटर की बारिश की मात्रा पर्याप्त होती है | इसके पौधों को अच्छे से विकसित होने के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है, जबकि पौधों को पकने के दौरान अधिक धूप की जरूरत होती है | इसकी खेती को समुद्र तल से तक़रीबन 1800 मीटर की ऊंचाई पर करना उचित माना जाता है |

तम्बाकू के पौधों को ठीक से अंकुरित होने के लिए 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा पौधों के विकास के दौरान तापमान 20 डिग्री के आसपास होना चाहिए | जब पौधों में पत्तिया पकने लगे उस वक़्त इन्हे उच्च तापमान और अधिक धूप की आवश्यकता होती है |

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तम्बाकू की किस्मे

अन्य फसलों की तरह ही तम्बाकू में भी कई किस्मे पायी जाती है | मुख्य रूप से इन्हे दो प्रजातियों में ही बांटा गया है | इनमे सिगरेट सिगार और हुक्का तम्बाकू बनाने के लिए इन्हे निकोटिन की मात्रा के आधार पर तैयार किया जाता है |

निकोटिना टुवैकम किस्मे की तम्बाकू

तम्बाकू की इस किस्म को सबसे ज्यादा उगाया जाता है | तम्बाकू की इस किस्म में पौधे लम्बे तथा उसके पत्ते आकार में चौड़े होते है तथा पौधों पर लगने वाले फूलो का रंग गुलाबी होता है | इसकी उपज भी अधिक होती है, इस किस्म के पौधों का प्रयोग सिगरेट, सिगार, हुक्का और बीडी आदि को बनाने में अधिक होता है, एमपी 220, टाइप 23, टाइप 49, टाइप 238, पटुवा, फर्रुखाबाद लोकल, मोतीहारी, कलकतिया, पीएन 28, एनपीएस 219, पटियाली, सी 302 लकडा, धनादयी, कनकप्रभा, सीटीआरआई स्पेशल, जीएसएच 3,एनपीएस 2116, चैथन, हरिसन स्पेशल, वर्जिनिया गोल्ड और जैश्री जैसी किस्मे पायी जाती है |

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निकोटीन रस्टिका किस्म के पौधे (Nicotine Rustica)

यह तम्बाकू की दूसरी किस्म है, जिसमे पौधे छोटे तथा पत्तिया रूखी और भारी होती है | तम्बाकू की यह किस्म अधिक सुगन्धित होती है, तथा पत्तियों के सूख जाने के बाद काली दिखाई देने लगती है | इस प्रजाति के लिए ठंडी का मौसम अधिक उपयुक्त होता है | इस किस्म की तम्बाकू का प्रयोग खाने और सूघने में किया जाता है | इसके अतिरिक्त इसे हुक्के में भी इस्तेमाल किया जा सकता है | इसमें पीटी 76, हरी बंडी, कोइनी, सुमित्रा, गंडक बहार, पीएन 70, एनपी 35, प्रभात, रंगपुर, ह्यइट वर्ले, भाग्य लक्ष्मी, सोना और डीजी 3 आदि किस्मे शामिल है |

तम्बाकू के खेत को कैसे तैयार करे

खेत में तम्बाकू के पौधों को लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए | इसके बाद कुछ दिन के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दे | उसके बाद खेत में उवर्रक की उचित मात्रा को डालकर उसकी अच्छे से जुताई कर दे | जुताई करने के बाद खेत में पानी लगा देना चाहिए | इसके कुछ दिन बाद जब खेत की ऊपरी मिट्टी सूख जाये तथा खेत में नमी बनी हो तब उसमे पता लगा कर एक बार फिर से जुताई कर दे |

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तम्बाकू के पौधों को कैसे तैयार करे

तम्बाकू की खेती में सीधा बीजो को न लगाकर पौधों को नर्सरी में तैयार करके खेत में लगाया जाता है | खेत में पौधों को लगाने से पहले नर्सरी में एक से डेढ़ महीने पहले तैयार कर लेना चाहिए | पौधों के तैयार हो जाने के बाद खेत में लगा दिया जाता है |  इसके पौधों को तैयार करने के लिए शुरुआत में क्यारियों को पांच मीटर की दो गुना तैयार कर ले | क्यारी तैयार करने के लिए उसमे गोबर की खाद को डालकर उसे अच्छे से मिला दे |

इसके बाद तम्बाकू के बीजो को छिड़ककर उसे अच्छे से मिट्टी में मिला दिया जाता है | इसके बाद उसमे हजारे के माध्यम से पानी देना चाहिए | इसके बाद क्यारियों में बीजो को पुलाव से अच्छे से ढक दे | बीजो के अंकुरित हो जाने के बाद पुलाव को हटा देना चाहिए | पौधों को नर्सरी में तैयार करने के लिए एक से डेढ़ महीने पहले अगस्त से सितम्बर माह में तैयार कर लेना चाहिए |

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तम्बाकू के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका

इसमें पौधों की रोपाई को इनकी किस्मो के आधार पर किया जाता है | दिसंबर के शुरुआती महीने में सूघने वाली किस्मो को लगा देना चाहिए, तथा सिगरेट और सिगार को बनाने वाली किस्म को अक्टूबर से दिसंबर के मध्य किसी भी महीने में लगा सकते है |

इसके पौधों को समतल और मेड दोनों ही जगह पर लगाया जा सकता है | समतल जगह पर पौधों की रोपाई करते समय प्रत्येक पौधों के बीच में दो से ढाई फ़ीट की दूरी होनी चाहिए,तथा तैयार की गयी पंक्तियों के बीच में दो फ़ीट की दूरी होनी चाहिए |

मेड पर इसके पौधों की रोपाई करते समय यह जरूर ध्यान रखे कि पौधों के बीच में दो फ़ीट की दूरी होनी चाहिए,तथा प्रत्येक मेड में एक मीटर की दूरी होना जरूरी है | पौधों की रोपाई में दोनों ही तरीको में पौधों की जड़ो को तीन से चार सेंटीमीटर की गहराई में लगा देना चाहिए | पौधों को शाम के समय लगाने से पौधे अधिक मात्रा में अंकुरित होते है |

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तम्बाकू के पौधों की सिंचाई एवं उवर्रक की मात्रा (Irrigation & Fertilizers)

तम्बाकू के पौधों को खेत में लगाने के बाद उनकी पहली सिंचाई तुरंत कर देनी चाहिए | इसके बाद 15 दिन के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए | इस तरह से पौधे अच्छे से वृद्धि कर पाते है | पौधों की कटाई से 15 से 20 दिन पहले इसकी सिंचाई बंद कर देनी चाहिए | इसके पौधों में समान्य मात्रा में उवर्रक की जरूरत होती है |

खेत की पहली जुताई के बाद इसमें 10 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति एकड़ के हिसाब से डालकर मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए | इसके अतिरिक्त यदि आप रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते है, तो नाइट्रोजन 80 किलो,फॉस्फेट 150 किलो, पोटाश 45 किलो और कैल्शियम 86 किलो को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत की आखरी जुताई के बाद खेत में छिड़क देना चाहिए |

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तम्बाकू के खरपतवार नियंत्रण तथा देखभाल (Weed Control and Care)

तम्बाकू के पौधों में भी खरपतवार पर निंयत्रण करने की आवश्यकता होती है, इसके लिए पौधों की रोपाई के बाद खरपतवार दिखने पर पहली गुड़ाई 20 से 25 दिन तथा दूसरी गुड़ाई 15 से 20 दिन के अंतराल में करनी चाहिए | तम्बाकू के पौधों को अधिक देखभाल की आवश्यकता की जरूरत होती है, क्योकि इसकी खेती बीज और तम्बाकू दोनों को ही प्राप्त करने के लिए की जाती है | तम्बाकू की अधिक मात्रा को प्राप्त करने के लिए डोडों (फूल की कलियाँ) को तोड़ लेना चाहिए | इससे पैदावार में भी वृद्धि देखने को मिलती है | यदि इसकी खेती बीजो के लिए की गयी है तो डोडों को नही तोड़ना चाहिए |

तम्बाकू के पौधों में लगने वाले रोग तथा रोकथाम (Diseases and their Prevention)

तम्बाकू के पौधों में भी कई तरह के रोग देखने को मिल जाते है | यह फसल की पत्तियों को हानि पहुंचाते है तथा जिससे पैदावार भी प्रभावित होती है | ऐसे ही कुछ रोग तथा उनकी रोकथाम के बारे में यहाँ बताया जा रहा है:-

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पर्ण चिट्टी रोग

तम्बाकू में पर्ण चिट्टी का रोग सर्दियों के मौसम में जब तेज ठंड तथा शीतलहर चलती है तब यह रोग देखने को मिलता है | इस रोग के लग जाने से पत्तियों भूरे रंग की हो जाती है | इसके बाद धीरे-धीरे पत्तियों में छेड़ बनने लगते है जिससे फसल को नुकसान होता है | इस रोग से बचाव के लिए पौधों पर बेनोमिल 50 W.P. की उचित मात्रा का छिड़काव किया जाता है |

ठोकरा परपोषी किस्म का रोग

यह एक तरह का खरपतवारी रोग होता है,जिससे पौधों को अधिक हानि पहुँचती है | ठोकरी परपोषी रोग की वजह से पौधों का विकास रुक जाता है | इससे बचाव के लिए जब खेत में ठोकरे दिखाई दे तो उसे गुड़ाई कर निकल दे | यह देखने में सफ़ेद रंग के पौधे जैसा होता है तथा इसमें नीले रंग के फूल दिखाई देते है |

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तना छेदक कीट रोग

तना छेदक रोग पौधों के तनो पर लार्वा के रूप में लगता है यह कीट रोग तने को अंदर से खाकर खोखला कर देते है | इस रोग के लग जाने से पौधा पहले तो मुरझाने लगता है फिर इसकी पत्तिया पीली हो जाती है तथा पौधा जल्द ही सूखकर नष्ट हो जाता है | इस रोग की रोकथाम के लिए प्रोफेनोफॉस या कार्बेनिल दवा का उचित मात्रा में पौधों पर छिड़काव करना चाहिए |

सुंडी रोग

इस रोग को इल्ली और गिडार के नाम से भी जाना जाता है | इस कीट रोग का लार्वा पौधों के कोमल भागो को खाकर उसकी पैदावार को कम कर देता है | यह रोग लाल, हरा, काला और कई तरह के रंगो में देखने को मिलता है | यह लगभग एक सेंटीमीटर लम्बा होता है | इस रोग से बचाव के लिए पौधों पर प्रोफेनोफॉस या पायरीफास का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए |

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तम्बाकू के पौधों की कटाई तथा तम्बाकू की तैयारी

तम्बाकू के पौधों की फसल लगभग 120 से 130 दिन में पककर कटने के लिए तैयार हो जाती है | इसके पौधों को हर तरह से कर सकते है | इसमें जब इसके पत्ते निचे से सूख कर कठोर होने लगे तब इनकी कटाई कर ले | इसके बाद पौधों को जड़ के पास से काट ले | खाने और सूंघने के लिए इसके पौधों की पत्तियो का इस्तेमाल किया जाता है इसके अलावा सिगरेट, हुक्का, बीड़ी और सिगार के इस्तेमाल में इसके डंठल सहित इसको इस्तेमाल करते है |

तम्बाकू को तैयार करने के लिए सड़ाया गलाया जाता है | इसके लिए तम्बाकू को काटकर उसे दो से तीन दिन तक अच्छे से सूखा लिया जाता है, इस दौरान इसके पौधों को पलटते रहते है | इसके बाद इन पत्तियों को इकट्ठा कर कुछ दिन के लिए ढक दिया जाता है तथा मिट्टी में दबा कर रख दिया जाता है | तम्बाकू के पौधों में जितनी अच्छी नमीं व सफेदी होती है, तम्बाकू की गुणवत्ता उतनी ही अच्छी होती है, इसके बाद पौधों को कटाई कर तैयार कर लिया जाता है |

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तम्बाकू की खेती से लाभ

तम्बाकू की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे बेचने में काफी आसानी होती है | फसल के खेतो में तैयार होने से ही इसकी बिक्री चालू हो जाती है | पैदावार की बात करे तो एक एकड़ के खेत में तीन से चार महीने में इसकी फसल को करके डेढ़ से दो लाख तक की कमाई कर सकते है | यह कम लागत में अधिक पैदावार वाली फसल होती है |

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