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सागवान की खेती (Teak Farming) से सम्बंधित जानकारी
सागवान की लकड़ी को सबसे महंगी और मजबूत लकड़ियों में जाना जाता है | सागवान का पेड़ 200 वर्षो से अधिक समय तक जीवित रहता है | इसके पूर्ण विकसित पेड़ो की लम्बाई 100 से 140 फ़ीट तक पाई जाती है | सागवान के पौधों को व्यापारिक रूप से उगाया जाता है, जिसका इस्तेमाल प्लाईवुड, जहाज़, रेल के डिब्बे और अनेक प्रकार के बहुमूल्य फर्नीचरों को बनाने में किया जाता है | इसके पौधों का इस्तेमाल दवाइयों को बनाने में भी करते है | सागवान की लकड़ी में कई तरह के खास गुण पाए जाते है, जिस वजह से हमेशा ही बाज़ारो में इसकी मांग रहती है | सागवान की लकड़ी हल्की और अधिक समय टिकी रहती है, इसकी लकड़ी में दीमक लगने का खतरा नहीं होता है, साथ ही इसमें कम सिकुड़न और आसानी से पॉलिश चढ़ जाती है |
एक आंकड़े के अनुसार देश में तक़रीबन 180 करोड़ क्यूबिक फीट सागवान की लकड़ी की जरूरत प्रति वर्ष होती है, किन्तु प्रति वर्ष 9 करोड़ क्यूबिक फ़ीट की पूर्ति हो पा रही है | इस हिसाब से वर्तमान समय में केवल 5% इसकी लकड़ी की पूर्ती हो पा रही है| सा गवान का बाजार अभी भी 95% तक खाली है| सागवान की खेती में कम रिस्क और अधिक कमाई है, जिससे किसान भाई इसकी खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते है |सागवान की खेती कैसे होती है (Teak Farming in Hindi) इसके बारे में जानने के लिए किसान भाइयों को सागवान की उन्नत किस्में इसकी भी जानकारी होना आवश्यक है |
सागवान की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु और तापमान (Teak Farming Suitable Soil, Climate and Temperature)
सागवान के पौधों को उगाने के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, इसके पौधों को दोमट मिट्टी में आसानी से ऊगा सकते है | किन्तु इसकी खेती के लिए जल-भराव वाली भूमि नहीं होनी चाहिए | जल-भराव की स्थिति में इसके पौधों में रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है | इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए |
इसके पौधों को अच्छे से वृद्धि करने के लिए शुष्क और आद्र मौसम जलवायु की आवश्यकता होती है | एक वर्ष में लगभग 50 इंच से अधिक वर्षा इसके पौधों के लिए अच्छी मानी जाती है| अधिक ठण्ड इसकी फसल के लिए उपयुक्त नहीं होती है | सागवान के पौधे सामान्य तापमान में अच्छे से वृद्धि करते है |
सागवान की उन्नत किस्में (Teak Improved Varieties)
सागवान की कई उन्नत किस्में मौजूद है, जिन्हे ऊगा कर अच्छी कमाई भी जा रही है | पैदावार के मामले में यह सभी किस्में सामान्य होती है, इन्हे अलग-अलग जलवायु के हिसाब से उगाया जाता है | सागवान की कुछ प्रमुख किस्में :- दक्षिणी और मध्य अमेरिका सागवान, पश्चिमी अफ्रीकी सागवान, अदिलाबाद सागवान, नीलांबर (मालाबार) सागवान, गोदावरी सागवान और कोन्नी सागवान इस प्रकार है | इन सभी किस्मो के पेड़ो की लम्बाई अलग-अलग पाई जाती है |
सागवान की फसल के लिए खेत की तैयारी (Teak Crop Field Preparation)
सागवान के पौधों को खेत में लगाने से पहले उसके खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए | इसके लिए खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर पुरानी फसल के अवशेषों को पूरी तरह से नष्ट कर दे | इसके बाद खेत में 8 से 10 फ़ीट की दूरी रखते हुए दो फ़ीट चौड़े और डेढ़ फ़ीट गहरे गड्डो को तैयार कर लेना चाहिए | सागवान के पौधों को अधिक उवर्रक की जरूरत होती है | इसलिए इसके पौधों की रोपाई करने से एक माह पहले तक़रीबन 15 KG पुरानी गोबर की खाद के साथ 500 GM N.P.K.की मात्रा को मिट्टी में मिलाकर छोड़ दे |
इसके पौधों को अच्छे से वृद्धि करने के लिए अधिक मात्रा में फोस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम और नाइट्रोजन की जरूरत होती है | कैल्सियम की पूर्ती के लिए कम्पोस्ट खाद का भी इस्तेमाल किया जा सकता है | तैयार किये गए गड्डो में खाद की इस मात्रा को मिट्टी के साथ मिलाकर गड्डो में पौधों को लगाने के दौरान भर दे | पौधों को लगाने के बाद उस पर पानी से सिंचाई कर दे | इससे मिट्टी ठीक तरह से बैठ जाएगी, और पौधे अच्छे से पोषक तत्वों को प्राप्त कर सकेंगे | इस गड्डो को पौध रोपाई के एक माह पहले तैयार किया जाता है |
सागवान के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Teak Plants Transplanting Right time and Method)
सागवान के पौधों की रोपाई को बीज के रूप में करके पौधों के रूप में की जाती है | इसके पौधों की रोपाई के लिए लाये गए पौधे लगभग दो वर्ष पुराने होने चाहिए, क्योकि दो वर्ष पुराना पौधा अच्छे से वृद्धि करता है | इसके अलावा पौधों को लेते समय यह जरूर रखे की पौधे बिलकुल स्वस्थ होने चाहिए | पौधों की गड्डो में रोपाई से पहले उन्हें गोमूत्र से उपचारित कर ले | इसके बाद पौधों को गड्डे में लगाने के बाद उसे अच्छी तरह से मिट्टी से दबा दे | इसके बाद इन गड्डो की सिंचाई कर दे | सागवान के पौधों की रोपाई को सर्दियों के मौसम में नहीं करना चाहिए | इसके पौधों की रोपाई के लिए मई और जून के महीने उपयुक्त होता है |
सागवान के पौधों की सिंचाई (Teak Plant Irrigation)
सागवान के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है | इसलिए इसके पौधों की रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई कर देनी चाहिए, तथा एक महीने तक भूमि में नमी बनाये रखने के लिए हल्की-हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए | गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को सप्ताह में दो बार सिंचाई की जरूरत होती है, वही सर्दियों के मौसम में इसके पौधों की 12 से 15 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए | इसके अलावा बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही इसके पौधों की सिंचाई करे |
सागवान के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Teak Plants Weed Control)
सागवान के पौधों में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए निराई – गुड़ाई विधि का ही इस्तेमाल करना चाहिए | इससे पौधों की जड़ो को उचित मात्रा में हवा भी प्राप्त हो जाती है, जिससे पौधे अधिक तेजी से वृद्धि करते है | इसके पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए |
सागवान के पौधे में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Teak plant Diseases and their Prevention)
कीट रोग
सागवान के पौधों में कीट नामक रोग जैसे काली सुंडी और पत्तो की भुंडी रोग अधिक मात्रा में देखने को मिलते है | यह सुंडी रोग पौधों की पत्तियों पर आक्रमण कर उन्हें हानि पहुँचाता है | जिससे पत्तिया जगह-जगह से कटी हुई दिखाई देती है | क्विनलफॉस की उचित मात्रा छिड़काव पौधों पर करने से इस रोग की रोकथाम की जा सकती है |
जड़ गलन रोग
इस तरह का रोग अक्सर जल-भराव की स्थिति में देखने को मिलता है | खेत में अधिक समय तक जल-भराव होने की स्थिति में पौधे नष्ट होने लगते है | इस रोग की रोकथाम के लिए खेत में जल-भराव की स्थिति न होने दे, तथा पौधों की जड़ो में वीर एम- 45 का छिड़काव कर भी इस रोग की रोकथाम की जा सकती है |
सफ़ेद धब्बा और गुलाबी बीमारी रोग
इस तरह का रोग सागवान के पौधों पर फफूंद की वजह से लगता है | इस रोग से प्रभावित होने पर पौधों की पत्तियों पर सफ़ेद रंग का पॉउडर एकत्रित हो जाता है | इस स्थिति में पौधे की पत्तिया प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाती है, और पौधा पूरी तरह से विकास करना बंद कर देता है| एम-45 की 400 GM की मात्रा का पौधों पर छिड़काव कर इस रोग से बचा जा सकता है |
सागवान के पेड़ो की कटाई, पैदावार और लाभ (Teak Tree Harvesting, Yield and Benefits)
सागवान के पेड़ो को काटने के लिए सरकार द्वारा स्वीकृति पत्र प्राप्त करना होता है | बिना सरकार की अनुमति के इसके पेड़ो की कटाई करना गैर-कानूनी होता है | सागवान के पेड़ो को कटाई के लिए तैयार होने में 10 से 12 वर्ष तक का समय लगता है| सागवान के सिंगल पेड़ से तक़रीबन 10 से 12 क्यूबिक फ़ीट लकड़ी आसानी से प्राप्त की जा सकती है | सागवान का बाज़ारी भाव 2,500 रूपये प्रति फ़ीट क्यूबिक होता है | इससे एक पेड़ की कीमत 30,000 के आसपास होती है | एक एकड़ के खेत में तक़रीबन 400 से 500 पेड़ो को आसानी से लगा सकते है | जिससे किसान भाई एक एकड़ के खेत में एक बार की कटाई से एक से सवा करोड़ रूपए तक की कमाई आसानी से कर सकते है |