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सितंबर में खेती (Farming in September)
सितंबर का महीना बागवानी के लिए काफी बढ़िया होता है, क्योकि इस माह न तो ज्यादा ठंड होती है, और न ही ज्यादा गर्म| यह मौसम रबी की फसल के साथ ही सब्जी की फसल के लिए भी उपयुक्त होता है| इस दौरान आप बैंगन, मूली, शलजम, मटर, चुकंदर, ब्रोकली, गाजर, सेम की फली, पत्ता गोभी, गोभी और टमाटर जैसी सब्जियों की खेती कर सकते है|
अगर आप सितंबर के महीने में उगाई जाने वाली फसलों के बारे और जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो इस लेख में आपको सितंबर में कौन सी खेती करें तथा सितंबर में कौन सी सब्जी लगाई जाती है के बारे में जानकारी दे रहे है|
सितंबर में कौन सी सब्जी लगाई जाती है (Vegetable is Planted in September)
सितंबर के महीने में आप जिन सब्जियों की खेती कर सकते है, उसमे बैंगन, मूली, टमाटर, फूलगोभी व् मिर्च के अलावा अन्य फसलें भी शामिल है|
टमाटर की खेती :- टमाटर की खेती सितंबर से अक्टूबर के महीने में कर सकते है| जिसके बाद फसल दिसंबर से जनवरी के महीने में बुवाई के दो माह बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| बाज़ारो में टमाटर की मांग पूरे वर्ष ही रहती है| ऐसे में अगर आप टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर करते है, तो लाखो रूपए कमा सकते है| अगर पाले से बचाव संभव है, तो टमाटर के फसल की बुवाई सितंबर के महीने में कर सकते है|
सितंबर में बोए गए टमाटर की फसल में 27 दिन बाद प्रति एकड़ के खेत में 1 बोरा यूरिया को डाला चाहिए, तथा 10-17 दिन में हल्की सिंचाई करे| टमाटर की अधिक पैदावार के लिए निराई-गुड़ाई बहुत जरूरी होती है|
बैंगन की खेती :- सितंबर के महीने में बैंगन भी उगाया जा सकता है, जिसकी खेती कई राज्यों में बड़े स्तर पर करते है| बैंगन की फसल भी बुवाई के तीन माह बाद उपज देने के लिए तैयार हो जाती है| बैंगन एक ऐसी सब्जी है, जिसकी डिमांड पूरे वर्ष ही बनी रहती है|
अपने सीजन में यह सब्जी काफी अच्छा मुनाफा दे देती है| अगर आप बैंगन की खेती ऑर्गेनिक तरीके से करते है, फसल को कई रोगों से बचा सकते है|
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फूलगोभी की खेती :- सितंबर के महीने में उगाई जाने वाली गोभी की फसल काफी लोकप्रिय है| सर्दियों के मौसम में फूलगोभी का इस्तेमाल सब्जी बनाने के अलावा पकोड़ो व् पराठो को बनाने में सबसे ज्यादा करते है| इसके अलावा कुछ लोग फूलगोभी का उपयोग सूप बनाकर पीने या अचार बनाने के लिए भी करते है|
आप फूलगोभी को सितंबर से अक्टूबर के महीने में लगा सकते है| इसकी फसल बुवाई के तकरीबन 60 से 150 दिनों के मध्य बेचने के लिए तैयार हो जाती है|
मिर्च की खेती :- सितंबर से अक्टूबर के महीने में मिर्च की खेती काफी लोकप्रिय मानी जाती है| किन्तु मिर्च को अब पूरे वर्ष ही लगाया जाने लगा है| मिर्च की कई किस्मों जैसे :- हरी मिर्च, लाल मिर्च और बड़ी मिर्च को उगाया जाता है| मिर्च की खेती काफी सरल और आसान है, और पैदावार भी अच्छी मिल जाती है|
गाजर की खेती :- सितंबर के महीने में गाजर की फसल भी लगाई जाती है, क्योकि सितंबर का महीना गाजर की फसल के लिए उपयुक्त होता है| ठंडियों का समय आते ही गाजर का भाव आसमान छूने लगता है| अगर आप अभी सितंबर के महीने में गाजर की बुवाई करते है, तो दिसंबर के महीने तक फसल का उत्पादन ले सकते है| इस तरह से आप ठंडियों में गाजर की फसल से अच्छी कमाई कर सकते है|
गाजर की पूसा मेघाली व् पूसा केसर किस्मों की बुवाई सितंबर के महीने में की जाती है| इसी महीने में पौधों की गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ाना अच्छा होता है|
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ब्रोकली की खेती :- ब्रोकली एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग पूरे वर्ष ही बाजार में रहती है, और अन्य सब्जियों की तुलना में कीमत भी ज्यादा रहती है| सितंबर के महीने में उगाई जाने वाली ब्रोकली को पहले नर्सरी में उसके बीजो को तैयार करते है, फिर पौधों की रोपाई खेत में करते है|
ब्रोकली के बीजो को रोपाई लायक तैयार होने में 4-5 हफ्ते लग जाते है| इसके बाद ब्रोकली की फसल 60 से 90 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है|
पपीते की खेती :- पपीते को आप सितंबर के महीने आसानी से लगा सकते है| इसकी फसल में नुकसान की आशंका काफी कम होती है| पपीते का सेवन सब्जी व् फल दोनों ही रूप में करते है| अगर आपको पपीते के पौधों पर कोई रोग दिखाई दे रहा हो, तो नीम के तेल का छिड़काव कर रोग को कंट्रोल कर सकते है|
बेड विधि द्वारा लगाई गई फसल से अधिक पैदावार और मुनाफा ले सकते है|
पालक व मेथी की खेती :- पत्ते वाली सब्जियों में आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, बी व् सी काफी मात्रा में होता है| पालक व् मेथी के लिए ठंडा व् शुष्क मौसम काफी अच्छा होता है, इसे आप हल्की मिट्टी में आसानी से उगा सकते है| इन दोनों ही सब्जियों की बुवाई सितंबर के महीने में आरंभ हो जाती है| पालक की उन्नत किस्मों में पूसा ज्योति, आल ग्रीन व् पूसा हरित तथा मेथी की उन्नत किस्मों में कसूरी मेथी व् पूसा अर्ली बंनचिग किस्मे शामिल है, जो 6-7 कटाई तक फसल दे देती है| दोनों ही फसलें प्रति एकड़ के खेत से 100-200 क्विंटल की पैदावार दे देती है|
खेत को तैयार करते समय 17 टन देशी गोबर की खाद के साथ 2.7 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट व् आधा बोरा यूरिया की खाद को डालते है| प्रत्येक कटाई के पश्चात् पालक की फसल में आधा बोरा यूरिया और मैथी की फसल में 1/4 बोरा यूरिया की मात्रा डाले| पालक के 10 KG बीजो को 1 फ़ीट की दूरी पर लगाते है, जिसमे पौधों के मध्य 4-6 इंच की दूरी रखी जाती है, तथा प्रत्येक सप्ताह में सिंचाई और दो बार खरपतवार निकालना पड़ता है|
बरसीम चारा की खेती :- सितंबर का महीना चारे की फसल लगाने के लिए काफी बेहतर होता है| क्योकि नवंबर के महीने तक चारे की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है, और मई तक चारा मिलता रहता है| चारे की उन्नत किस्मों में एल-1, व् एल-10 व् मैस्कावी है| बरसीम के बीजो को रोगरहित रखने के लिए 10 KG बीजो को 1 प्रतिशत नमक के घोल में डाल दे, अब आपको जो बीज तैरते हुए दिखाई दे, उन्हें निकालकर फेक दे, और नीचे बैठे हुए बीजो को साफ़ पानी से धोने के बाद एक बार राईजोवियम वायोफर्टिलाइजर से उपचारित कर ले| शुरुआत में बरसीम की फसल से कम मात्रा में चारा प्राप्त होता है, लेकिन अगर आप अधिक चारा प्राप्त करना चाहते है, तो 700 GM जापानी सरसो के साथ 10 KG जई के बीज व् चाईनीज कैवेज के बीजो को मिलकर बोए|
इन बीजो को बोने से पहले 4 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट व् आधा बोरा यूरिया डाले| जई या सरसों के बीजो के साथ भी आधा बोरा यूरिया डाले| हल्की रेतीली मिट्टी में मैंगनीज की कमी होती है, जिसके लिए 1 KG मैगनीज सल्फेट को 200 लीटर पानी में डालकर उसका छिड़काव फसल पर करे| मैंगनीज सल्फेट का छिड़काव करने के 17 दिन बाद ही चारे की कटाई करे| काली चीटियां बरसीम की फसल को चट कर जाती है, जिसके बचाव के लिए आप 2 प्रतिशत मिथाईल पैराथियान छिड़काव करे| बरसीम की फसल को तना गलन रोग से सुरक्षित रखने के लिए खेत को 1 प्रतिशत बाविस्टिन के घोल से सींचे|
गन्ना की खेती :- गन्ने की मोटी फसल को बसंतकालीन के मौसम में गिरने से बचाने के लिए बंधाई करे| सितंबर के महीने में गन्ने की फसल पर जड़ बेधक पायरिल्ला, तराई बेधक, गुरदासपुर बेधक व् सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ जाता है| गन्ने की फसल में रत्ता रोग लगने की वजह से गन्ने का भीतरी हिस्सा लाल हो जाता है, और शराब जैसी बू आने लगती है|
ऐसी स्थिति में गन्ने की फसल तुरंत ही कटवा ले, और अगले वर्ष उस खेत में गन्ने की फसल न बोए| शरदकालीन वाली फसल वाले बीजो को बोने का समय आखरी सितंबर से लेकर अक्टूबर के पहले सप्ताह तक है| बाकी के कृषि कार्यो को बसंत कालीन के मौसम में करे|
कपास की खेती :- कपास की देशी फसल सितंबर के महीने में चुनने के लिए तैयार हो जाती है| आप 10 दिनों के अंदर सूखी व् साफ़ कपास को चुन ले| अमेरिकन कपास को अधिक फैलाव से रोकने के लिए 300 लीटर पानी में 30 ML साइकोसिल मिलाकर उसका छिड़काव वोकी आने के समय करे| इसके साथ ही यूरिया व् कीटनाशक को मिलाकर छिड़काव करे| कपास की अंतिम सिंचाई टिंडे के 33 प्रतिशत खुल जाने पर करे| इसके बाद कपास को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है|
कपास के पौधों को हरा तिला, कलियां, दीमक, फूल व् टिंडो पर अमेरिकन सुण्डी हेलीओथिस का आक्रमण दिखाई देने पर 200 लीटर पानी में 1 लीटर क्लोरप्पायरीफास या एंडोसल्फाळ्न व् 70 ML पत्तो पर छिड़कने वाले पदार्थ को मिलाकर छिड़के|
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