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कीटनाशक दवाओं (Pesticides) से सम्बंधित जानकारी
किसानो के लिए फसल बहुत अहमियत रखती है, वह अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के उपायों को प्रयोग में लाता है | फसल को सुरक्षित रखने और उन्हें होने वाली हानियों से बचाने के लिए कई तरह की दवाइयाँ और कीटनाशक बाजार में उपस्थित है, जिन्हे किसान खरीदकर उपयोग में ला सकते है, किन्तु बहुत से किसानो को इन कीटनाशक और दवाइयों के नाम नहीं पता होते है | जिस वजह से किसानो को दवाइयों को खरीदने में भी दिक्कत होती है, इसलिए इन कीटनाशकों के नाम को जानना भी उतना ही जरूरी होता है |
जिससे फसल की जरूरत के हिसाब से कीटनाशक का चयन कर ख़रीदा जा सके | ख़रीदे गए कीटनाशक का पौधो और मिट्टी पर कितना प्रभाव पड़ता है, और उसे कितना इस्तेमाल करना चाहिए | इन सभी जानकारियों कीटनाशक दवाओं के नाम और प्रयोग, List of Banned (प्रतिबंधित) Pesticides in India के बारे में बताया गया है |
कीटनाशक दवाओं के नाम (Names of Insecticides)
क्रम संख्या | रासायनिक नाम | व्यापारिक नाम |
1 | प्रोपेनफास + साइपरमेथ्रिन 44 ई.सी. | पॉलीट्रिन सी. 44, राकेट 44 |
2 | मिथाइल डिमेटान 25 ई.सी. | मेटासिस्टॉक्स 25 ई.सी., पैरासिस्टॉक्स 25 ई.सी. |
3 | डाइमिथोएट 30 ई.सी. | रोगर 30 ई.सी., नोवागेर 30 ई.सी. |
4 | डाइक्लोरवास 76 ई.सी. | नुवान 76 ई.सी., वेपोना 76 ई.सी. |
5 | डायकोफाल 13.5 ई.सी. | डायकोफास 13.5 ई.सी. |
6 | मेलाथियान 50 ई.सी. | मेलाटाफ 50 ई.सी., कोरोथियान 50 ई.सी. |
7 | क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. | डर्सवान 20 ई.सी. राडार |
8 | कार्बोफ्यूरान 3 जी. | फ्यूराडान 3 जी., डायफ्यूरान 3 जी. |
9 | फोरेट 10 जी. | थिमेट 10 जी., पेरीटाक्स 10 जी |
10 | कार्टाप हाइड्रोक्लोराइट 4 जी.50% एस.पी. | पडान, केलडान |
11 | इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. | कान्फीडोर |
12 | कार्बारिल 50% घुलनषील चूर्ण | सेविन, धानुबिन |
13 | मिथाइल पैराथियान 50 ई.सी.2% चूर्ण | मेटासिड, फालीडाल |
14 | परोनिल 5 एस.सी. 0.3% जी | रीजेन्ट |
15 | कोरेजन 18.5 एस.सी. | रायनेक्सीपायर |
16 | क्लोरेन ट्रेनीलीप्रोल (0.4 ग्रेन्यूल) | फरटेरा |
कीटनाशक दवाओं का प्रयोग (Use of Pesticides)
कीटनाशक दवाओं का प्रयोग भी एक तरीके से किया जाता है, अगर यह प्रयोग सही तरीके से नहीं किया गया तो इसका कोई फायदा नहीं मिलता या फिर नुक्सान भी हो सकता है | कुछ कीटनाशक दवाओं का प्रयोग बुवाई के समय ही करते है, तो कुछ दवाओं का प्रयोग जब फसल थोड़ी बड़ी हो जाती है, तब करते है | जब भी आप कोई भी कीटनाशक दवाई लेने जाएँ, तो वह पर परामर्श लेकर ही उसका प्रयोग करे|
इसके अलावा कुछ दवाओं पर प्रयोग कर तरीका लिखा होता है, कि उसका प्रयोग अर्थात छिडकाव कैसे करते है | यदि आप किसान है और आपको समझ में नहीं आ रहा है कि फसल में कौन सा रोग है या कौन से कीड़ें लगे हुए है | इस विषय में जानकारी या सहायता के लिए “कृषि सहायता नम्बर (Krishi Helpline Number)” पर भी कॉल करके सम्पर्क कर सकते है | इसमें आपकी समस्याओं फसल में लगने वाले रोगों – कीटों की समस्याओं निवारण बताया जाता है |
List of Banned (प्रतिबंधित) Pesticides in India
किसान अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशक रासायनिक या जैविक प्रदार्थो का ऐसा मिश्रण तैयार करता है, जिससे कीड़े-मकोड़ो से होने फसल की हानि को कम करने तथा उनसे होने वाले दुष्प्रभावों से बचाने के लिए किया जाता है | इसका प्रयोग अधिकतर कृषि क्षेत्रों में पेड़ पौधो को कीटो से बचाने के लिए किया जाता है |
भारत के अतिरिक्त कई देशो ने इस कीटनाशक को कई सालो पहले ही बैन कर दिया है | किन्तु भारत में अभी भी इसका इस्तेमाल बिना पाबन्दी के हो रहा है | इससे फसल, किसानो, मिट्टी, मित्र जीवाणु और मनुष्यो पर घातक परिणाम देखने को मिलते है | इन कीटनाशकों का इतना बड़ा दुष्प्रभाव है कि इससे गर्भवती महिलाओ को जान का खतरा तक हो सकता है, तथा पैदा हुए बच्चो में अपंगता आ सकती है |
नीचे आपको ऐसी ही कुछ कीटनाशक दवाइयों और उनके रासायनिक नामों के बारे में बताया गया है, जो दवा नहीं, ज़हर है जिन्हे भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित भी कर दिया गया है,किन्तु यह कीटनाशक, रासायनिक दवाइयाँ धड़ल्ले से बिक रही है, जिसकी जानकारी हमारे भोले-भाले किसान भाइयो को भी नहीं है | यहाँ आपको ऐसी ही कुछ प्रतिबंधित कीटनाशक दवाइयों की सूची दी गयी है, जिनके रासायनिक और व्यापारिक नाम जानकर आप ऐसे ज़हर से अपनी प्रकृति और मानव जीवन की रक्षा कर सकते है |
ग्लैडियोलस की खेती कैसे होती है
प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची | ||
क्रम संख्या | कीटनाशक का नाम | फसल जिन्हें अनुमोदित सूची से हटाया जाना है |
1 | 2‚4- डाईक्लोरोफिनोक्सी एसिटिक एसिड | चाय |
2 | एनिलोफास | सोयाबीन |
3 | विटरटेनाल | सेब, चाय |
4 | कारब्राइल | अरहर |
5 | कारबोफ्यूरान | कपास, शिमला मिर्च |
6 | क्लोरोयेलोनिल | सेब, अंगूर, मिर्च |
7 | क्लोरोपाइरीफास | मूँग, सरसों, गन्ना |
8 | कॉपर आक्सीक्लोराइड | जीरा, चाय, धान |
9 | साइपरमेंथ्रीन | गन्ना |
10 | डेल्टामीथ्रीन (डेकामीथ्रीन) | चना |
11 | डाइक्लोरोवोस (डी.डी.वी.पी.) | गन्ना |
12 | डाइफिनकोजोल | मूँगफली |
13 | डाइफ्लूबिनजोरॉन | मूँगफली |
14 | डीमीथोट | अरहर, कपास, मूँगफली |
15 | डीनोकेप | सेब, अंगूर, बिन्स, भिण्डी, आड़ू, बेर, मटर, पोपी (अफीम), मिर्च, जीरा, मेथी |
16 | इण्डोसल्फान | ज्वार, मक्का |
17 | फिन्नीमाल | मिर्च, मटर |
18 | फ्लूसीलाजोल | अंगूर, सेब |
19 | मेलाथियान | कपास, मूँगफली, सरसों |
20 | मैंकोजेब | चुकन्दर (आलू), अदरक |
21 | मिथाइल पाराथीऑन | सोयाबीन, मूँगफली |
22 | मोनोक्रोटोफॉस | चना, एरण्ड, सरसों |
23 | ऑक्सीडेमेटोन,-मिथाइल | नींबू, संतरा आदि (खट्टे नींबू) |
24 | पर्मेथ्रिन | भिण्डी, फूलगोभी, नींबू, संतरा आदि |
25 | फेन्योएट | हरा चना, उड़द, कपास, इलायची |
26 | फासालोनी | धान, कपास, मूँगफली, इलायची, भिण्डी, मिर्च |
27 | फासफेमीडान | सरसों |
28 | प्रोफीनोफॉस | चाय |
29 | प्रोपीकॉनाजोल | केला, कॉफी |
30 | क्वानीलाफॉस | गन्ना, बैंगन, प्याज, आम, कॉफी, पत्ता गोभी |
31 | थायोफिनेट-मिथाइल | गेहूँ, ककड़ी समूह, अरहर |
32 | ट्राईडीमीफान | काफी, आम, मिर्च, सोयाबीन |
33 | ट्राइजोफॉस | बैंगन |
34 | ट्राइडीमार्फ | हरी मटर, ग्वार फली, ककड़ी समूह, बेर, चाय, नींबू, संतरा आदि |
35 | ट्राईफ्लूरेलिन | कपास, सोयाबीन |
36 | एरियोफ्यूजिन | धान, अंगूर, जीरा, सेब, आलू |
37 | कॉपर सल्फेट | आलू, अंगूर, टमाटर, मिर्च |
38 | स्ट्रेप्टोमाइसिन + टेट्रासाइक्लिन | मिर्च, कपास |
39 | कॉपर हाइड्रोआक्साइड | चाय, मिर्च, मूँगफली |
40 | फ्ल्यूफिनाक्स्यूरॉन | पत्ता गोभी |
41 | आक्सीकर्बाक्सिन | कॉफी |
42 | थायोबिनकार्ब (बेन्थियोकार्बा) | चावल |
खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम (Weed Killer Names)
यदि आप अपने खेत में अच्छी फसल चाहते है, तो आपको खरपतवार नियंत्रण पर भी ध्यान देना होता है | धान की फसल में खरपतवार की रोकथाम के लिए यांत्रिक विधि हाथ से निराई-गुड़ाई आदि को काफी प्रभावी माना जाता है, किन्तु कई कारणों के चलते इस विधि का व्यापक प्रचलन नहीं हो पा रहा है| धान की फसल में पौधो और मुख्य खरपतवार जैसे जंगली धान एवं संवा के पौधों में पुष्पावस्था के पहले काफी समानता होने के चलते किसानो को निलाई-गुड़ाई के समय आसानी से इन्हे पहचानने में काफी समस्या होती है|
वर्तमान समय में मजदूरी के दाम अधिक होने के कारण इस विधि को इस्तेमाल आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं है | इसके अतिरिक्त खरीफ के मौसम में कभी-कभी अधिक नमी होने के कारण यांत्रिक विधि द्वारा निलाई-गुड़ाई नहीं हो पाती है | वही कीटनाशकों द्वारा इन खरपतवार पर नियंत्रण करना प्रति हेक्टयेर के हिसाब से काफी कम लागत आती है, तथा समय भी कम लगता है | रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते दवाईओ की उचित मात्रा, उचित ढंग तथा उपयुक्त समय का विशेष ध्यान रखता होता है, यदि ऐसा न किया जाये पौधों को लाभ की जगह हानि उठानी पड़ सकती है |
सफेद मूसली की खेती कैसे होती है
यहाँ आपको कुछ खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम बताये जा रहे है, जिनकी जानकारी इस प्रकार है:-
क्रम संख्या | खरपतवारनाशी रसायन | मात्रा (ग्राम) | प्रयोग का समय | खरपतवार नियंत्रित |
1 | ब्यूटाक्लोर (मिचेटी) | 1500-2000 | बुवाई/रोपाई के 3-4 दिन बाद | घास कुल के खरपतवार |
2 | एनीलोफास (एनीलोगार्ड) | 400-500 | सदैव | घास एवं मोथा कुल के खरपतवार |
3 | बैन्थियोकार्ब (सैटनी) | 1000-1500 | सदैव | घास कुल के खरपतवार |
4 | पेंडीमेथलिन (स्टाम्प) | 1000-1500 | सदैव | घास, मोथा एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार |
5 | आक्साडायजान (रोनस्टार) | 750-1000 | सदैव | सदैव |
6 | आक्सीफलोरफेन (गोल) | 150-250 | सदैव | सदैव |
7 | प्रेटिलाक्लोर (रिफिट) | 750-1000 | सदैव | सदैव |
8 | 2, 4-डी (नाकवीड) | 500-1000 | चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार पर नियंत्रण के लिए बुवाई/रोपाई के 20-25 दिन बाद | |
9 | क्लोरिभ्युरान + मेटसल्फयूरान (ऑलमिक्स) | 4 | चौड़ी पत्ती वाले एवं मोथा कुल खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 20-25 दिन बाद | |
10 | फेनाक्जाप्राप इथाईल (व्हिपसुपर) | 60-70 | सकरी पत्ती वाले खरपतवार पर नियंत्रण के लिए बुवाई/रोपाई के 20-25 दिन बाद प्रभावशाली |