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नवंबर में खेती (Farming in November)
नवंबर के महीने में ठंड अपनी दस्तक देना आरंभ कर देती है, इन दिनों हल्की-हल्की ठंडी हवाए चलना शुरू कर देती है| सामान्य तौर पर तो किसान भाई सभी तरह की खेती कर सकते है| लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी है, जिन्हे सर्दियों के मौसम में विशेषकर उगाया जाता है| नवंबर के महीने में आप इन सब्जियों को उगाकर बेहतर मुनाफा ले सकते है|
लेकिन हमे नवंबर के मौसम में कौनसी सब्जियों की खेती करना चाहिए, ताकि लाभ कमा सकते है, तो इसके लिए यहाँ पर आपको नवंबर में कौन सी खेती करें तथा नवंबर में कौन सी सब्जी लगाई जाती है, की जानकारी से अवगत करा रहे है|
नवंबर में कौन सी खेती करें (Farming in November)
नवंबर के महीने में जिन फसलों की बुवाई की जाती है, उसमे लहसुन, मटर, टमाटर, शिमला मिर्च, प्याज, फूलगोभी, पत्तागोभी, पालक, मूली, शलजम और चुकंदर शामिल है|
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शिमला मिर्च की खेती :- नवंबर के महीने में शिमला मिर्च की फसल लगाना काफी अच्छा होता है| शिमला मिर्च हमारी सेहत के काफी अच्छा होता है, क्योकि इसमें कई तरह के पोषक तत्व जैसे :- विटामिन -ए, विटामिन-सी, पोटेशियम, जिंक, आयरन, और कैल्शियम होता है| इन्ही तत्वों की वजह से बाजार में शिमला मिर्च की मांग अधिक रहती है, और कीमत भी बढ़िया मिलती है| शिमला मिर्च का निर्यात भी अलग-अलग देशो में किया जाता है| शिमला मिर्च की खेती में उन्नत किस्मों को उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते है|
शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों में येलो वंडर, ग्रीन गोल्ड, कैलिफोर्निया वंडर, रायल वंडर, सिंजेटा इंडिया की इन्द्रा, अरका बसन्त, अरका गौरव, भारत, बॉम्बी, अरका मोहिनी, क्लॉज इंटरनेशनल सीडस की आशा, लारियो एवं ओरोबेल, हीरा और सेमिनीश की 1865 शामिल है|
लहसुन की खेती :- नवंबर में महीने में लहसुन की भी बुवाई की जाती है| लहसुन में कई ऐसे पोषक तत्व होते है, जो सर्दियों के मौसम में हमारे शरीर को ठंड से बचाते है| यही वजह है, कि ठंडियों में लहसुन का सेवन अधिक किया जाता है| लहसुन की उन्नत किस्मों में यमुना सफेद 4 (जी-323), यमुना सफेद 1 (जी-1), यमुना सफेद 3 (जी-282) और यमुना सफेद 2 (जी-50) है, जो अधिक उपज देती है|
इन किस्मों को लहसुन की खेती के लिए बहुउपयोगी माना जाता है| अगर आप लहसुन की इन किस्मों को उगाते है, तो अधिक मुनाफा ले सकते है|
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धनिया की खेती :- धनिया रबी के मौसम वाली फसल है, जिसकी बुवाई के लिए सबसे उचित समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के मध्य है| धनिया की सामयिक बुवाई लाभदायक है| नवंबर का प्रथम पखवाड़ा धनिया के दानो की बुवाई के लिए काफी उपयुक्त है|
धनिया की उन्नत किस्मों में कुंभराज, आरसीआर435, हिसार सुगंध, आर सी आर41, एसीआर1, सी एस 6, सिम्पो एस 33, जे डी-1, आरसीआर684, आरसीआर 436, आरसीआर446, आर सी आर480, पंत हरितमा, जी सी 2(गुजरात धनिया 2) और आर सी आर 728 मुख्य है| इन किस्मों की बुवाई अच्छी मानी जाती है|
प्याज की खेती :- नवंबर के मौसम में प्याज की बुवाई भी की जाती है| प्याज एक ऐसी सब्जी फसल है, जिसका सेवन लगभग सभी मौसम में करते है| प्याज में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होता है, जो शरीर को कई तरह के रोगों से लड़ने की क्षमता देता है| इसी वजह से प्याज का सेवन अधिक किया जाता है|
प्याज की उन्नत किस्मों में पूसा रत्नार, पंजाब सेलेक्शन, पूसा रेड, पूसा माधवी, अरका कल्याण, अरका निकेतन, एग्री फाउंड लाइट रेड, अरका बिंदु, कल्यापुर रेड राउंड, बसवंत 780 हिसार और पंजाब रेड राउंड है, जिनसे प्याज का अच्छा उत्पादन मिल जाता है|
मटर की खेती :- नवंबर के महीने में आप मटर की बुवाई करके अच्छा मुनाफा ले सकते है| मटर की उन्नत किस्मों में जवाहर मटर 3 (जे एम 3), आर्किल, हरभजन (ईसी 33866), बी.एल. अगेती मटर – 7 (वी एल – 7), पंत सब्जी मटर, पंत मटर – 2 (पी एम – 2), जवाहर मटर – 4 ( जे एम 4), पंत सब्जी मटर 5 और जवाहर पी – 4 को रखा गया है| इसके अलावा कम समय में तैयार होने वाली किस्मों में काशी उदय, काशी नंदिनी, काशी अगेती और काशी मुक्ति किस्मों को रखा गया है, जो कम समय में ही पककर तैयार हो जाती है|
मटर की फसल में काफी आसानी से कीड़े लग जाते है, जिस वजह से मटर की बुवाई करते समय फसल को कीड़ो से बचाने के लिए बीजो को उपचारित कर लेना चाहिए|
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फूलगोभी की खेती :- फूलगोभी क्रूसिफेरस परिवार से संबंध रखने वाली एक लोकप्रिय सब्जी है| जिसकी अगेती किस्मों को जून–जुलाई के महीने में लगाया जाता है, तथा पछेती किस्मों की बुवाई सितंबर, अक्टूबर से नवंबर के शुरुआती दिनों में करे| फूलगोभी की उन्नत किस्मों में पूसा सनोबाल के-1, पूसा सनोबल, अर्ली कुंवारी, पंत शुभ्रा, पूसा दीवाली और स्नोबाल 16 को रखा गया है|
इन किस्मों की बुवाई करके अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है| फूलगोभी की खेती किसी भी मिट्टी में कर सकते है, किन्तु भूमि का P.H. मान 6-7 होना चाहिए|
पत्तागोभी की खेती :- अक्टूबर से नवंबर के महीने में पत्तागोभी की बुवाई अच्छे से कर सकते है| पत्तागोभी की फसल 60 से 120 दिन में तैयार हो जाती है| जिसका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 200-300 क्विंटल है| पत्तागोभी की अगेती किस्मों में गोल्डन एकर क्रांति, प्राइड ऑफ इण्डिया व् मित्रा (संकर) को रखा गया है, जिन्हे सितंबर के माह में बोया जाता है, तथा पछेती किस्मों में कोपेनहेगेन मार्किट, लेट ड्रम हैड, पूसा ड्रम हैड, श्री गणेश गोल, सितम्बर अर्ली, क्विस्टो, मिडसीजन मार्किट, हाईब्रिड- 10 (संकर), सलेक्शन- 8 और हरी रानी गोल को रखा गया है| इन पछेती किस्मों को अक्टूबर से नवंबर के महीने में लगा सकते है|
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टमाटर की खेती :- टमाटर की खेती तक़रीबन पूरे भारत में होती है, किन्तु उत्तरी मैदानों में बसंत ऋतु व् शरद ऋतु के मौसम में दो फसलें ली जाती है| दक्षिण भारत में टमाटर की तीन फसलें बोई जाती है| इन्हे जून से जुलाई, अक्टूबर-नवंबर व् जनवरी से फ़रवरी के महीने में लगाते है| पंजाब में टमाटर की फसल को केवल ग्रीष्म ऋतु के मौसम में लगाया जाता है|
टमाटर की देशी क़िस्म पूसा-120, पूसा शीतल, अर्का विकास, पूसा गौरव, पूसा रूबी, सोनाली और अर्का सौरभ है, तथा टमाटर की हाइब्रिड किस्मों में पूसा हाईब्रिड-4, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाइब्रिड-1, अविनाश-2 और रश्मि को रखा गया है| इसके अतिरिक्त अर्का रक्षक टमाटर की बंपर उत्पादन देने वाली क़िस्म है|
चुकन्दर की खेती :- चुकंदर की फसल को ठंडियों के मौसम में लगाना अच्छा होता है, जिस वजह से नवंबर के महीने में चुकंदर की बुवाई की जाती है| सामान्य तौर पर तो चुकंदर को पूरे वर्ष ही लगा सकते है, किन्तु सर्दियों में लगाई गई चुकंदर की फसल में जड़े मजबूत निकलती है, और शक्कर की भरपूर मात्रा होती है|
चुकंदर की उन्नत किस्मों में मिश्र की कॉस्बी, डेट्रॉइट डार्क रेड, अर्ली वंडर और किमसन गलोब को रखा गया है|
शलजम की खेती :- शलजम की फसल भी शरद ऋतु के मौसम में उगाई जाती है, जिस वजह से नवंबर का महीना शलजम की बुवाई के लिए बेहतर होता है| शलजम अधिक ठंड व् पाले को सहन करने में सक्षम होता है| इसी वजह से शर्दियो में इसकी खेती करते है| शलजम की उन्नत किस्मों में सफेद-4 शीघ्र व् लाल-4 को रखा गया है, जो शीघ्र ही तैयार हो जाती है| लाल क़िस्म शलजम को अधिकतर शरद ऋतु में लगाते है, जिसमे फल मध्यम आकार का लाल व् गोल होता है, और यह 60 दिन में तैयार हो जाती है|
सफ़ेद -4 क़िस्म वाली शलजम को बारिश के मौसम में उगाते है| यह क़िस्म शीघ्र ही तैयार हो जाती है, जिसकी जड़ो का रंग बर्फ की तरह सफ़ेद होता है| इसे तैयार होने में 50-55 दिन लगते है| इसके अलावा शलजम की पूसा-स्वर्णिमा, पूसा-कंचन, पूसा-चन्द्रिमा, परपल-टोप, स्नोवाल व् पूसा-स्वेती अन्य किस्में है|
मूली की खेती :- मूली की खेती मैदानी व् पहाड़ी दोनों ही तरह के क्षेत्रों में की जाती है| मैदानी क्षेत्रों में मूली की बुवाई सितंबर से जनवरी के महीने में की जाती है, तथा पहाड़ी क्षेत्रों में मूली की बुवाई अगस्त के महीने में करते है| मूली की हाइब्रिड किस्मों में पूसा चेतकी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, अर्का निशांत, जौनपुरी, कल्याणपुर सफ़ेद व् आई.एच. आर 1-1 शामिल है|
शीतोष्ण प्रदेशो में मूली की स्कारलेट ग्लोब, ह्वाइट टिप्स, रैपिड रेड तथा पूसा हिमानी किस्में लगाई जाती है|
पालक की खेती :- पालक की खेती साल के पूरे महीने कर सकते है, किन्तु मूली की बुवाई के लिए अक्टूबर से अप्रैल का महीना काफी उपयुक्त रहता है| मूली एक ऐसी फसल है, जो कम लागत व् कम समय में किसानो को अच्छा मुनाफा दे देती है| एक बार पालक की बुवाई करके उसकी 5-6 बार कटाई कर फसल ले सकते है|
पालक की उन्नतशील प्रजातियों में हिसार सिलेक्सन 26, जोबनेर ग्रीन, पूसा ज्योति, पूसा हरित, आलग्रीन, पूसा पालक, पंत कंपोजिटी 1, लांग स्टैंडिंग, पूसा भारती, बनर्जी जाइंट और पालक नंबर 15-16 शामिल है| इन प्रजातियों में निकलने वाला पौधा लंबा व् पत्ता खाने में कोमल व् स्वादिष्ट होता है|