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Rashtriya Satat Krishi Mission Yojana 2024
दुनिया में हो रहे जलवायु परिवर्तन को देखते हुए कृषि उत्पादक को स्थिर बनाने की आवश्यकता है, इसके लिए प्राकृतिक संसाधन जैसे मृदा एवं जल की गुणवत्ता, उपलब्धता पर निर्भर किया जाता है | पर्याप्त स्थिति असामान्य उपायों का इस्तेमाल कर कृषि विकास को दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर और सतत प्रयोग को बढ़ावा देकर संधारणीय बनाया जा रहा है | भारतीय कृषि में तक़रीबन 60 प्रतिशत का विशुद्ध बुवाई वर्षा सिंचित क्षेत्र मौजूद है, तथा 40 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन का भी योगदान प्रदान करती है |
इसलिए वर्षा वाले क्षेत्रों में कृषि के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण देश में बढ़ती हुई खाद्यान्नों की मांग को पूरा करने की कुंजी है | इसे देखते हुए ही देश की सरकार द्वारा राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) को तैयार किया गया है | इसमें एकीकृत खेती, जल प्रयोग कौशल, मृदा स्वास्थ प्रबंधन और संसाधन संरक्षण आदि को विस्तृत करने की और ध्यान केंद्रित किया जायेगा, जिससे वर्षा सिंचित क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जा सके | इस पोस्ट में आपको राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन योजना क्या है, NMSA Scheme Full Form in Hindi के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है |
डेयरी उद्यमिता विकास योजना क्या है
NMSA Scheme Full Form in Hindi
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन का फुल फॉर्म ”National Mission on Sustainable Agriculture” होता है, इसके तहत जलवायु परिवर्तन को स्थिर बनाने के लिए कई प्रयास किये जा रहे है | कृषि की उत्पादकता के लिए जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधन मृदा, जल की गुणवत्ता और उपलब्धता पर भी निर्भर करता है| प्राकृतिक दुर्लभ संसाधन के इस्तेमाल से कृषि संरक्षण को बढ़ावा देकर संधारणीय बनाया जा सकता है|
भारत सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत उपयुक्त अनुकूल और शमन उपायों का प्रयोग कर जलवायु अनुकूल उत्पादन प्रणाली में बदलने के लिए बाहरवीं पंचवर्षीय योजना चलायी जा रही है, जो राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन है|
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन 2024 का उद्देश्य (National Mission on Sustainable Agriculture Purpose)
- कृषि उत्पादन को विशिष्ट संघटित/संयुक्त कर्षि प्रणाली को बढ़ावा देकर उत्पादन को अधिक सतत, लाभकारी और जलवायु प्रत्यास्थ बनाना है |
- नमी संरक्षण का उपयोग कर समुचित मृदा से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है |
- मृदा उवर्रता को मानचित्र, बृहत एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के मृदा परीक्षण आधारित अनुप्रयोक्ता समुचित उवर्रको के प्रयोग इत्यादि के आधार पर व्यापक मृदा स्वास्थ प्रबंधन विधियों को अपनाना |
- फसल की अधिक प्राप्ति के लिए कुशल जल प्रबंधन का इस्तेमाल कर जल संसाधनों का श्रेष्ठ प्रयोग करना |
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और अल्पीकरण के अन्य क्षेत्र में चालू मिशनों अर्थात राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्राद्यौगिकी मिशन, राष्ट्रीय खाद सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि जलवायु प्रत्यास्थता (NICRA) आदि के सहयोगो से किसानो और पणधारियों की क्षमताओं को बढ़ाना |
- वर्षा सिंचित प्राद्यौगिकी को मुख्य धारा में लाने के लिए अनेक प्रकार की योजनाए जैसे :- एकीकृत पनधारा कार्यक्रम (IWMP), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (मनरेगा), आरकेवीवाई (RKVY) की तरह ही अन्य प्रकार की स्कीम व् मिशनों से संसाधनों को लेकर और एनआईसीआरए आदि योजनाए वर्षा सिंचित के माध्यम से कृषि की उपज को सुधारने के लिए ब्लाकों में प्रयोगिकी मॉडल,एनएपीसीसी के संरक्ष्रण व् राष्ट्र स्थिर कृषि मिशन के मुख्य प्रदेयो को सम्पूर्ण करने के लिए प्रभावशाली और आंतरिक विभागीय/मंत्रालय समन्वय की स्थापना की गयी है |
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना क्या है
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन में कार्य प्रकृति
- जलवायु परिस्थितयो के अनुकूल फसल का चुनाव करे |
- पशु पालन, मछलीपालन, बागवानी, दुग्ध उत्पादन, कृषि वानिकी आदि को अपनाकर फसल/फसल – प्रणाली में विविधता उत्पन्न करे |
- जल भण्डारणो जैसे :- चेक डैम,तालाबों,खेत तालाब,उथले ट्यूबवेलों,कुओ आदि को सिंचाई का साधन बनाये |
- सिंचाई करने की प्रभावी तकनीक भू-समतलीकरण, मेंड़बंधी, कंटूर बांडिंग, खाई निर्माण,, मल्चिंग, रिज एवं कुंड पद्धति जैसी कम जल प्रयोग करने वाली नमी संरक्षण तकनीकों का इस्तेमाल करे |
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के अंतर्गत प्राप्त सहायता
योजना | सहायता का प्रकार | मात्रा |
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) | चावल, गेहूं, मोटे अनाज/तिलहन/रेशम/डाल आधारित दो फसलों वाली कृषि पद्धति की सहायता प्रदान करना | आदान लागत का 50%, जो प्रति हेक्टेयर 10,000/- तक सीमित होगी | अधिकतम देय सहायता, 2 हेक्टेयर प्रति लाभार्थी तक सीमित होगी। |
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) | बागवानी आधारित कृषि पद्धति (पौधारोपण,फसल/फसल पद्धति) | आदान लागत का 50%, जो प्रति हे. 25,000/- तक सीमित होगा। अधिकतम अनुदेय सहायता, 2 हे. प्रति लाभार्थी तक सीमित होगी। |
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) | वृक्ष/सिल्विपश्चरल/इन सीटू/एक्स सीटू गैर इमारती वन्य उत्पादों का इन सीटू संरक्षण (एनटीएफपी) (पौध रोपण, घास/फसल/फसल पद्धति) | आदान लागत का 50%, जो रू. 15,000/- प्रति हे. तक सीमित होगा। अधिकतम अनुदेय सहायता, 2 हे. प्रति लाभार्थी तक सीमित होगी। |
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) | संकरित गायें, मिश्रित खेती,चारा, मिश्रित खेती, दूध का उत्पादन,चारा पशु गाय/भैंस, चारा गाय/भैंस,छोटे पशु | आदान लागत का 50% जो प्रति हेक्टयर अधिकतम 40,000/ रूपए है। इसमें पशुओं की देख-रेख के लिए पूरे वर्ष का चारा शामिल है। (इसमें 2 दुधारू पशु, के लिए एक हक्टेयर फसल प्राणाली शामिल है) लाभार्थी को 2 हेक्टेयर तक की सीमित सहायता प्रदान की जाएगी | |
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) | छोटे पशु, मिश्रित कृषि,चारा, मुर्गी पालन/बतख पालन, मिश्रित खेती,मुर्गी पालन/बतख पालन, मत्स्य पालन, मिश्रित खेती | आदान लागत का कुल 50% जो प्रति हेक्टयेर अधिकतम 25,000 रूपए होगी । इस 50% आदान लागत में पशुओं की लागत एवं एक वर्ष का चारा भी शामिल है। (पशुओं में 10 पशु/50 पक्षी, 1 हे. फसल प्रणाली) यह सहायता अधिकतम 2 हे. प्रति लाभार्थी तक सीमित है। |
मत्स्य आधारित कृषि पद्धति | फसल/सब्जी प्रणाली जिसमे 50% की लागत मछली पालन के लिए प्रति हेक्टयेर के हिसाब से 25.000 रूपए होगी | अधिकतम प्रति दो हेक्टेयर क्षेत्र वालो को ही यह सहायता प्राप्त होगी | | |
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) | वर्मी कंपोस्ट इकाई/जैविक आदान उत्पादन इकाई/हरी खाद | लागत का 50%, जो अधिकतम रू. 125/- प्रति घन फुट तक सीमित होगा। स्थायी संरचना के लिए रू. 50.000/- प्रति इकाई और एचडीपी वर्मी बेड के इए रू. 8000/- प्रति इकाई/ हरी खाद के लिए लागत का 50%, जो अधिकतम रू. 2,000/- प्रति हे. तक होगा और प्रति लाभार्थी 2 हे. सीमित होगा। |
साइलो पिट आकृति वाले चारा कटर को तौलने के लिए तराजू की सहायता से साइलेज को तैयार करना 100% कारगार है,यह अधिकतम 1.25 लाख रूपए प्रति कृषि परिवार के लिए सिमित होगी | | प्रति वर्ष हरा चारा (Green Fodder) उपलब्धता के लिए साइलेज को तैयार करना | | ईट व् सीमेंट मासाले के लिए प्रति 2100-2500 घन फुट के साईलो पिट (भूमि के नीचे और भूमि की उपरी सतह पर) को तैयार करना एवं चारा कटर और तराजू का भी प्रावधान शामिल है | |
भण्डारण/ प्रौद्योगिकी की इकाई हेतु पूँजी लागत का 50% जो अधिकतम रू. 4,000/- प्रति वर्ग मीटर होगा | इसमें प्रति यूनिट को अधिकतम रू. 2 लाख की सहायता प्रदान की जाएगी | | कटाई के दोरान भण्डारण/NPFP का मूल्य संवर्द्धन | आर्थिक लाभ की मात्रा को बढ़ाने के लिए कृषि उत्पादों के मूल्यों में उन्नति के लिए छोटे गाँव स्तर पर चीजो के प्रौद्योगिकी/भण्डारण/पैकिंग यूनिट का निर्माण करना | |