किसान भाई अपनी आय को बढ़ाने के लिए धान, मक्का और गेहूं फसल का उत्पादन करते है | लेकिन इसके साथ ही उन्हें सब्जी और फलों की खेती पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए | सब्जी और फल की खेती कर किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते है | इसके लिए उन्हें बाजार में चल रही मांग को देखते हुए महीने के अनुसार सब्जी की खेती करनी चाहिए, ताकि वह अच्छा लाभ कमा सके |
पूरे ही वर्ष में अलग-अलग माह में भिन्न-भिन्न सब्जियों को उगाया जाता है | इसी तरह से अगर आप मार्च के महीने में कोन-सी सब्जी उगाकर अच्छी कमाई की जा सकती है, के बारे में जानना चाहते है, तो इस लेख में आपको मार्च में कौन सी खेती करें तथा मार्च में कौन सी सब्जी लगाई जाती है के बारे में जानकारी दे रहे है |
Table of Contents
मार्च में कौन सी सब्जी लगाई जाती है (Vegetable Planted in march)
मार्च के महीने में आप फूलगोभी, भिंडी, तोरई, लौकी और खीरा सब्जी की बुवाई कर सकते है | इस फसलों को मार्च के महीने तक लगाया जाता है, इस समय इन फसलों की बुवाई करने पर पैदावार अच्छी मिलती है |
मार्च के महीने में फूलगोभी की खेती (Cauliflower Cultivation in March)
फूलगोभी की उन्नत किस्में :- मार्च के महीने में आप फूलगोभी की खेती कर सकते हैं, इसकी उन्नत क़िस्मों को आप मार्च के महीने में लगाए | उन्नत क़िस्मों में :- अगेती पूसा दीपाली, पूसा कतिकी, अर्ली कुंआरी, पावस, इम्प्रूवड जापानी और समर किंग है | इसके अलावा पूसा सिन्थेटिक, पूसा सुभ्रा, पंत सुभ्रा, के.-1, पूसा अगहनी, हिसार नं.-1, पूसा स्नोबाल और सैगनी मध्यम किस्में है, तथा स्नोबाल -16, पूसा स्नोबाल-1 और पूसा स्नोबाल-2 पछेती किस्में है |
फूलगोभी की खेती का तरीका :- फूलगोभी की खेती किसी भी तरह की भूमि में कर सकते है, किन्तु बलुई दोमट या अच्छी जल निकासी वाली जीवांशयुक्त प्रचुर मात्रा वाली भूमि काफी अच्छी होती है | इसके खेत को 3-4 जुताई कर अच्छे तैयार कर ले, और फिर पाटा लगाकर समतल कर दे |
फूलगोभी की बुवाई :- प्रति हेक्टेयर के खेत में फूलगोभी की अगेती बुवाई के लिए 600 से 700 GM बीजो की आवश्यकता होती है | पछेती क़िस्म के 350-400 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के खेत में लगाने के लिए उपयुक्त होते है | फूलगोभी के बीजो को सीधा खेत में न लगाकर नर्सरी में तैयार कर लगाते है | एक हेक्टेयर के क्षेत्र में पौधों को लगाने के लिए 75-100 वर्ग मीटर में उगाए गए पौधे पर्याप्त होते है | खेत में पौधों को रोपण करने से पहले उन्हें उपचारित कर ले, इसके लिए 8 लीटर पानी में 1 GM स्टेप्टोसाइक्लिन को मिलाकर उसमे पौधों को 30 मिनट तक डुबाए | अगेती क़िस्म की रोपाई करते समय कतार से कतार के मध्य 40 CM तथा पौध से पौध के मध्य 30 CM की दूरी रखे| इसके अलावा पछेती क़िस्म में 45 से 60 CM की दूरी पर तैयार कतार में 45 CM की दूरी पर पौधों को लगाए |
मार्च के महीने में भिंडी की खेती (Okra Cultivation in March)
भिंडी की उन्नत किस्में :- इस मौसम में भिंडी की फसल लगाना काफी लाभकारी होता है | इसके लिए भिंडी की उन्नत क़िस्म का चयन करे | उन्नत क़िस्मों में पंजाब पद्मनी, पूसा सावनी, परभन क्रांति, अर्का अनामिका, पंजाब-13, पूजा ए-4, पंजाब-7 और अर्का भय किस्में शामिल है | इसकी अन्य क़िस्मों में लाल हाइब्रिड, उपहार, वैशाली, वर्षा, विजय, विशाल और ई.एम.एस.-8 (म्यूटेंट) है |
भिंडी की बुवाई :- भिंडी के बीजो को खेत में लगाने से पहले उन्हें 24 से 36 घंटो के लिए पानी में भिगोकर रख दे | इसके बाद इन बीजो को छायादार जगह पर रखकर सूखा ले | बीज बुवाई से पूर्व प्रति किलोग्राम बीज में 2 GM किसी भी फफूंदीनाशक को अच्छे से मिला दे | इसके बाद ग्रीष्मकालीन में कतारों में भिंडी की बुवाई करे | इस दौरान कतार से कतार के मध्य 25-30 CM और पौध से पौध के मध्य 15-20 CM की दूरी रखे |
भिंडी की फसल में खाद व उर्वरक की मात्रा :- प्रति हेक्टेयर के खेत में लगाई गई भिंडी की फसल में तकरीबन 15-20 टन गोबर की खाद के साथ स्फुर, नत्रजन व् पोटाश को क्रमश: 60 KG, 80 KG, और 60 KG प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाए | वही बुवाई से पूर्व भूमि में नत्रजन की आधी और स्फुर एवं पोटाश की पूरी मात्रा को मिलाए | नत्रजन की बची शेष मात्रा को दो भागो में बाँटकर 30-40 दिन के अंतराल में दे |
मार्च के महीने में तोरई की खेती (Ridge Gourd Cultivation in March)
मार्च के महीने में तोरई की भी खेती की जाती है | इस महीने में तोरई की उन्नत किस्में जैसे :- पूसा सुप्रिया, पूसा चिकनी, पूसा स्नेहा, फुले प्रजतका, काशी दिव्या और कल्याणपुर चिकनी क़िस्मों को लगाना बेहतर होता है |
तोरई की बुवाई :- एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 3-5 KG तोरई के बीजो की आवश्यकता पड़ती है | तोरई के बीज की बुवाई के लिए नाली विधि को उपयुक्त माना जाता है | यदि किसान इस विधि द्वारा बुवाई करते है, तो खेत को तैयार करने के पश्चात् करीब 2.5 – 3 मीटर की दूरी पर 45 CM चौड़े और 30-40 CM गहरी नालियां तैयार कर ले | इसके बाद नाली की मेड़ पर 50-60 CM की दूरी रखते हुए बीजो को लगाए | इस दौरान एक ही जगह पर 2 बीजो को लगाए, क्योकि बीज अंकुरण के पश्चात् पौधा निकाल देता है |
तोरई के खेत की तैयारी :- तोरई की खेती करते समय किसान भाई एक बात का विशेष ध्यान रखे कि तक़रीबन एक हेक्टेयर के खेत में 3-5 KG बीज लगते है | तोरई की बुवाई कर खेत में पलवार का इस्तेमाल करे | इससे भूमि में नमी बनी रहती है, और मिट्टी का तापमान भी अच्छा बना रहता है, जिससे बीज जमाव अच्छे से कर पाते है | इसके अलावा खेत में खरपतवार भी नहीं उगते है, और फसल की उपज भी अच्छे से होती है |
मार्च के महीने में लौकी की खेती (Gourd Cultivation in March)
मार्च के महीने में लौकी की खेती भी की जाती है | इसके लिए लौकी की पंजाब गोल, पूसा समर प्रोलिफिक राउंड, कोयम्बटूर‐1, पूसा संदेश, पूसा नवीन, पूसा हाईब्रिड‐3, पूसा समर प्रोलेफिक लाग, अर्का बहार और नरेंद्र रश्मि उन्नत क़िस्मों का चयन करे, ताकि उत्पादन अधिक मिल सके |
लौकी की खेती के लिए उपयुक्त भूमि व् वातावरण :- लौकी की फसल जायद और खरीफ के मौसम में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है | इसके बीज 30 से 33 डिग्री के तापमान पर अंकुरित होते है, और पौधा 32 से 38 डिग्री के तापमान पर ग्रो करता है | गर्म वातावरण में लौकी की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है| लौकी की खेती के लिए उच्च जल धारण क्षमता वाली बलुई दोमट और सैंडी दोमट मिट्टी जिसका P.H. मान 6-7 के मध्य हो बेहतर होती है |
लौकी की बुवाई :- लौकी की बुवाई के लिए मार्च का महीना काफी अच्छा होता है, प्रति हेक्टेयर के खेत में 4-6 KG बीजो की आवश्यकता होती है | वही अगर आप जून व् जुलाई में लौकी की फसल उगाते है, तो आपको 3‐4 KG बीज प्रति हेक्टेयर के खेत में लगाने पड़ेंगे | लौकी के बीज की बुवाई करते समय बीजो को पंक्ति में बोए और पंक्ति से पंक्ति के मध्य 1.5 मीटर और पौधे से पौधे के मध्य 1 मीटर की दूरी रखे |
मार्च के महीने में खीरा की खेती (Cucumber Cultivation in March)
खीरा एक ऐसी फसल है, जिसे सलाद के रूप में कच्चा खाते है | खीरा खाने से पानी की कमी पूरी होती है | भारत में खीरे की कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम, पूसा संयोग, पूसा बरखा, पूसा उदय, पूना खीरा, स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, खीरा 75, पंजाब सलेक्शन और खीरा 90 किस्में उगाई जाती है | इसके अलावा संकर क़िस्मों में प्रिया, हाइब्रिड- 1, हाइब्रिड- 2 और पंत संकर खीरा- 1 उगाई जाती है | विदेशी क़िस्मों में स्ट्रेट- 8, जापानी लौंग ग्रीन, चयन और पोइनसेट प्रमुख किस्में है | नवीनतम क़िस्मों में स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण शीतल, पूसा उदय और पीसीयूएच-1 शामिल है | इन क़िस्मों को आप क्षेत्रीय जलवायु और मिट्टी के आधार पर ऊगा सकते है |
खीरे की खेती के लिए उपयुक्त भूमि व् तापमान :- खीरे की खेती किसी भी मिट्टी में कर सकते है, लेकिन बंपर उपज लेने के लिए बलुई दोमट मिट्टी, दोमट मिट्टी व् अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त होती है | आप नदी व् तालाब के किनारे भी खीरे को ऊगा सकते है, इसके लिए भूमि 5.5 से 6.8 P.H. मान वाली होनी चाहिए |
खीरा की बुवाई :- प्रति हेक्टेयर के खेत में खीरे के 2 से 2.5 KG बीजो की आवश्यकता होती है | इन्हे लाइनों में लगाते है, तथा लाइनों के मध्य 1.5 मीटर की दूरी और पौधों के मध्य 775 CM की दूरी रखे | बारिश के दौरान फसल उगाने पर लाइनों के बीच 1.5 मीटर और पौधों के बीच 1 मीटर की दूरी रखे |