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मछली दाना (Fish Meal)
मछली पालन एक अच्छा व्यवसाय है, लेकिन मछली पालन करने वाले लोगो की काफी लागत मछलियों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में ही चली जाती है| ऐसे में किसान भाई मछलियों का भोजन (मछली दाने) को वैज्ञानिक विधि का इस्तेमाल कर स्वयं ही बनाने लगे है| कुछ वैज्ञानिको ने मछली दाने की लागत को कम करने के लिए लीची की गुठलियों से ही मछली दाने को बनाना शुरू कर दिया है, जो दूसरे फीड के मुकाबले काफी कम लागत में तैयार हो जाता है| खेती की गई मछलियों को उनकी पोषक जरूरतों को पूरा करने के लिए आहार दिया जाता है| इस आहार में उन्हें सभी पोषक तत्व दिए जाते है, जो उनके स्वस्थ रहने में बढ़ने में सहायता प्रदान करते है|
सामान्य तौर पर यह फीड सूखे छर्रो की तरह होता है| मछली दाना तैयार करने में तकरीबन 40% पोषक तत्वों को ध्यान में रखना पड़ता है| इस दाने में खनिज, विटामिन, एमिनो एसिड और कुछ वसा शामिल होती है| अगर आप भी मछली पालन करते है, और मछली दाने में आने वाले खर्च को कम करना चाहते है, तो इस लेख में आपको मछली दाना कैसे बनता है तथा बनाने की विधि और मछली दाना बनाने की मशीन व कीमत के बारे में बता रहे है|
मछली दाना कैसे बनता है (Fish Meal)
सभी मछलियों के लिए पोषण संबंधी जरूरते प्रजाति के अनुसार अलग-अलग होती है| शाकाहारी मछलियां मिश्रण फीड खाती है, जिसमे सोया, मक्का, खनिज, विटामिन और वनस्पति तेल शामिल होता है| इसके अलावा जो जंगली मांसाहारी मछलियां होती है, वह अन्य मछिलयों को ही खा जाती है| इसलिए मछली पालन में मछलियों के लिए फीड के रूप में मछली का तेल, खनिज, पौधों का प्रोटीन और विटामिन शामिल है, जो शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही मछलियों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करते है|
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मांसाहारी मछलियों के भोजन में 30-50% मछली का भोजन और बाकि तेल होता है, लेकिन अब इस सामग्री की आवश्यकता नहीं है, निरंतर किए गए शोध में इन सामग्रियों की निर्भरता को काफी कम कर दिया है| अब मछलियों के पोषक आहार को बनाने के लिए कई तरह की चीजों को इस्तेमाल किया जाने लगा है, जिसके बारे में आपको नीचे विस्तार से बता रहे है|
मछली दाना बनाने की विधि (Fish Meal Recipe)
वर्तमान समय में वैज्ञानिको ने मछली दाने को बनाने में आने वाले खर्च को कम करने के लिए कई शोध किए है, जिसमे उन्होंने कम लागत में मछली दाने को तैयार भी कर दिखाया है| इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में कम लागत वाले मछली दाने को तैयार करने के लिए नए-नए तरीके अपने जा रहे है, जो इस प्रकार है:-
लीची की गुठली से मछली दाना तैयार करे (Fish Feed Prepare Litchi Kernels)
पूरे भारत में तकरीबन 83 हज़ार हेक्टेयर के क्षेत्रफल में लीची की खेती की जाती है| विश्व में चीन के बाद भारत लीची उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है| बिहार राज्य में तकरीबन 33-35 हज़ार हेक्टेयर के क्षेत्रफल में लीची की बागवानी की जाती है, जो कि पूरे भारत में होने वाले लीची उत्पादन का 40 फीसदी है| बिहार के लोग मछली दाना बनाने के लिए लीची की गुठली का इस्तेमाल करते है| डॉ शिवेंद्र लीची की गुठली से मछली दाना बनाने की प्रक्रिया में बताते है, कि मछली का दाना बनाने में लीची की गुठली के साथ सोयाबीन, मक्का, गेंहू, धान की भूसी और सरसो की खली का इस्तेमाल करते है| इसमें 10% लीची की गुठली और 80% बाकी चीजों को डाला जाता है, और इन्हे मिलाकर मशीन की सहायता से मछली दाना तैयार कर लेते है| इस तरह से मछली दाना बनाने में तकरीबन 20-25% लागत कम हो जाती है|
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गोबर से तैयार करे देसी मछली दाना (Fish Feed Prepare Desi Dung)
प्रदेश के ज्यादातर मछली पालक तालाब में जियरा डालते है, क्योकि वह पैसो की कमी के चलते चारा खरीद पाने में असमर्थ होते है| चारा न मिल पाने की वजह से मछलीपालको को काफी नुकसान होता है| आंध्र प्रदेश में कृत्रिम चारे के बल पर प्रति हेक्टेयर के क्षेत्रफल से 4-5 टन मछली उत्पादन मिल जाता है, वही बिहार में यह मात्रा सिर्फ 0.8-1.0 टन प्रति हेक्टेयर है| नई तकनीक का इस्तेमाल कर आप बिना कोई अतिरिक्त खर्च किए प्रति हेक्टेयर तालाब से 4-5 टन मछली का उत्पादन ले सकते है|
मछलियों के चारे के लिए आप गाय या भैंस किसी भी जानवर के गोबर का इस्तेमाल कर सकते है| इसके लिए बस आपको गाय और भैंस के गोबर को डायरेक्ट तालाब में डाल देना होता है, लेकिन बकरी के मल का चूरन बनाकर तालाब में डालते है, क्योकि यह पानी में काफी देर से घुलता है| यह बात तो लगभग सभी जानते होंगे, कि मछलियां पानी से पोषक तत्व ग्रहण कर पल जाती है, लेकिन इन्हे गोबर से भी पाला जा सकता है| इस प्रक्रिया को इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के वैज्ञानिको ने मुमकिन कर दिखाया है| इस अनुसंधान से यह प्रूफ होता है, कि गोबर में मौजूद पोषक तत्व भी मछलियों में उसी तरह से ग्रोथ करती है|
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आईसीएआर ने मछलियों से लिए गोबर से ही मछली दाने के रूप में आहार तैयार किया है| गोबर में अधिक मात्रा में नाइट्रोजन होता है, जिसका अधिकतर भाग पानी के साथ प्रतिक्रिया कर प्लैंक्टन में परिवर्तित हो जाता है, जिसे खाकर मछली तेजी से वृद्धि करती है, और वजन भी बढ़ता है| प्रति हेक्टेयर के तालाब में छोटी मछली डालते समय पहली डोज के रूप में दो हज़ार किलो गोबर डालते है| इसके बाद प्रत्येक माह 1000 KG गोबर तालाब में डालते रहते है| इस अनुसंधान से गरीब मछलीपालकों को सबसे बड़ा फायदा होगा|
मछली दाना बनाने की मशीन व कीमत (Fish Feed Making Machine and Price)
घर पर मछली दाना तैयार करने के लिए आपको एक मशीन की जरूरत पड़ेगी, जिसे आप अपनी आवश्यकतानुसार खरीद सकते है| बाजार में मछली दाना तैयार करने वाली कई तरह की छोटी-बड़ी मशीने मौजूद है|
अगर आप थोड़ी मात्रा में मछली दाना तैयार करना चाहते है, तो उसके लिए छोटी मशीन और बड़ी मात्रा में मछली दाना तैयार करने के लिए बड़ी मछली दाना मशीन खरीद सकते है| प्रति घंटे की दर से 300-400 KG मछली दाना निकालने वाली मशीन की कीमत 5 लाख रूपए के आस-पास है|
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