लम्पी स्किन डिजीज क्या है | Lumpy Skin Disease के उपचार व हेल्पलाइन नम्बर


लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy skin disease) से सम्बंधित जानकारी

देश के कई राज्यों में पशुपालन के जुड़ी एक बड़ी गंभीर बीमारी पशुओ में देखने को मिल रही है | यह बीमारी लंपी स्किन डिसीज के नाम से जानी जा रही है, इस नई बीमारी ने पशुपालको को काफी परेशान किया हुआ है | यह लंपी स्किन रोग एक वायरस संक्रमण है, जो काफी तेजी से बढ़ता ही जा रहा है | जिस वजह  से राजस्थान, गुजरात और अन्य राज्यों में अनेक पशुओ की मौत हो चुकी है | इन मरने वाले पशुओ में सबसे अधिक गाय शामिल है | यह एक संक्रामक रोग है, जो वायरस के रूप में तेजी से फैलकर कमजोर इम्युनिटी वाले पशुओ को अधिक प्रभावित करता है |




अभी तक इस रोग का कोई ठोस इलाज नहीं मिल पाया है, जिस वजह से सिर्फ वैक्सीन का इस्तेमाल कर इस रोग को नियंत्रित किया जा रहा है |  किन्तु पशु चिकित्सक विशेषज्ञों का कहना है, कि आयुर्वेदिक उपायों के जरिये लंपी रोग से ग्रसित भैसो और गायों को ठीक किया जा सकता है | इस लेख के जरिये आपको लम्पी स्किन डिजीज क्या है तथा Lumpy skin disease के उपचार व हेल्पलाइन नम्बर के बारे में बताने जा रहे है |

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लंपी स्किन डिजीज क्या है (Lumpy Skin Disease)

पशु चिकित्सा के अनुसार यह एक त्वचा रोग है, जिसे लंपी कहते है | पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञानं महाविद्यालय , पशु पालन प्रसार शिक्षा विभाग और हिमाचल प्रदेश पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सक विशेषज्ञ डॉ. ठाकुर के अनुसार लंपी एक गांठदार त्वचा रोग है, जो गाय और भैंसो में काफी तेजी से फ़ैल रहा है| अभी तक यह बीमारी देश के 17 राज्यों में महामारी फैला चुकी है | इसलिए यह जरूरी हो गया है, की सरकार के साथ ही पशुपालक भी इस बीमारी के प्रति जागरूक रहे| यह एक संक्रामक रोग है, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं है, किन्तु यदि कोई गाय इस संक्रमण से संक्रमित हो जाती है, तो कुछ उपयोगी परंपरागत उपचार अपनाए जा सकते है |

डॉ. देवेश बताते है, कि लंपी स्किन रोग हो जाने पर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा परंपरागत उपचार विधि बताई गई है| जिसे गाय के संक्रमित हो जाने पर अपनाया जा सकता है, और राहत पाई जा सकती है | इस दौरान बीमार पशु को स्वस्थ पशुओ से बिल्कुल दूर रखे, तथा बीमार पशु के निकट अन्य पशुओ को जाने से रोके और उसके पानी और चारे को भी न खाने दे |

भारत में लंपी स्किन डिसीज़ बीमारी कब देखने को मिली (Lumpy Skin Disease Seen in India)

भारत में सर्वप्रथम लंपी स्किन डिसीज़ की उत्पत्ति का मामला वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल में देखने को मिला | इसके बाद यह बीमारी वर्ष 2021 तक तक़रीबन 15 से अधिक राज्यों में फ़ैल गई | यह संक्रमण सर्वप्रथम वर्ष 1929 में अफ्रीका में देखा गया था | जिसके बाद कुछ ही वर्षो में यह बीमारी और भी कई देशो के पशुओ में फैलती चली गई, साल 2015 में ग्रीस और तुर्की तथा 2016 में रूस जैसे देशो में इस पशु संक्रमण ने तबाही मचाई | जुलाई 2019 में यह बांग्लादेश में भी देखने को मिला, तथा और भी कई एशियाई देशो में फ़ैल रहा है |

लंपी स्किन के उपचार की परंपरागत विधि (Lumpy Skin Treating Traditional Method)

लंपी स्किन के उपचार के लिए अपनाई जाने वाली परंपरागत विधि इस तरह से है:-

उपचार की पहली विधि :- इस विधि में 10 GM कालीमिर्च,10 पान के पत्ते, 10 GM नमक और आवश्यकतानुसार गुड़ | इस सामग्री को पीसकर पेस्ट तैयार कर ले और उसमे जरूरत के अनुसार गुड़ मिलाए | इसके बाद इस मिश्रण को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पशु को खिलाए | पहले दिन में प्रत्येक 3 घंटे में एक खुराक दे, और दूसरे दिन से लेकर दूसरे सप्ताह तक 3 खुराक प्रतिदिन दे, सभी खुराक को ताज़ा तैयार करना होता है |

उपचार की दूसरी विधि :- इस विधि में घाव पर लगाए जाने वाले मिश्रण को तैयार करते है | जिसमे 10 कली लहसुन, 1 मुठ्ठी कुम्पी का पत्ता, 1 मुठ्ठी मेहँदी का पत्ता, 1 मुठ्ठी नीम का पत्ता, हल्दी पाउडर 20 GM, 1 मुठ्ठी तुलसी का पत्ता और नारियल या तिल का तेल 500 ML.

अब मिश्रण तैयार करने के लिए बताई गई सामग्री को पीसकर उसका पेस्ट तैयार करे, और बाद में उसमे तिल या नारियल का तेल डालकर उबाल ले और फिर ठंडा करे | इसके बाद इस मिश्रण को गाय का घाव साफ़ करके सीधा उसके घाव पर लगाए | यदि घाव में कीड़े लग गए हो तो पहले नारियल के तेल में कपूर को मिलाकर घाव पर लगाए या सीताफल की पत्तियों को पीसकर घाव पर लगाए |

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लंपी स्किन डिसीज से प्रभावित पशु (Lumpy Skin Disease Affected Animals)

जिस किसी भी गाय या भैंस को लंपी स्किन डिसीज की बीमारी है, उनके दूध का सेवन करने से किसी तरह की बीमारी फैलने का मामला सामने नहीं आया है, किन्तु फिर भी पशु चिकित्सक सावधानी बरतने के लिए कहते है | विशेषज्ञों के अनुसार ख़रीदे गए दूध को तक़रीबन 100 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान पर उबालना चाहिए, इससे दूध में मौजूद वायरस और घातक बैक्टीरिया ख़त्म हो जाते है, इसलिए संक्रमित गाय या भैंस के दूध का सेवन करने से पहले सावधानी अवश्य बरते |

लंपी स्किन डिसीज़ के संक्रमण को रोकने का तरीका (Lumpy Skin Disease Prevent Infection)

यदि किसी एक पशु को लंपी स्किन संक्रमण है, तो यह दूसरे पशु को भी संक्रमित कर सकता है | यह संक्रमण मक्खी, मच्छर और चारे के जरिए फैलता है, तथा पशु एक राज्य से दूसरे राज्यों में आते – जाते रहते है, इसलिए यह बीमारी दूसरे राज्यों में भी फ़ैल जाती है | रोग से बचाव के लिए रोगी पशु को स्वस्थ पशु से बिल्कुल अलग रखे, तथा पशुशाला या किसी नजदीकी पशु में यह संक्रमण देखने को मिले तो, उसे तत्काल स्वस्थ पशुओ से अलग कर दे | इस तरह के रोग का लक्षण दिखने वाले पशुओ को बिल्कुल न ख़रीदे और न ही पशुओ को मेला या मंडी ले जाए| पशुशाला में कीटो पर काबू पाने के लिए मुख्यत: मक्खी, मच्छर, चिंचडी और पिस्सू का उचित प्रबंध करे | रोगी पशु में उपयोग किए गए जांच और इलाज के सामान को खुले में न फेंके | अगर आपको अपने पशुशाला के आस पास कोई असाधारण लक्षण वाला पशु दिखाई दे, तो तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी जानकारी दे | एक पशुशाला श्रमिक दूसरे पशुशाला में जाने से बचे, साथ ही पशुपालक अपने शरीर को भी बिल्कुल स्वच्छ रखे |

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