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गैनोडर्मा मशरूम (Ganoderma Mushroom) की खेती से सम्बंधित जानकारी
मशरूम की खेती के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन गैनोडर्मा मशरूम की खेती के बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे | गैनोडर्मा मशरूम को रिशी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है | वर्षा ऋतु के मौसम में यह सख्त, सूखे व जीवित वृक्षों की जड़ के पास उग आती है | यह मशरूम देखने में गहरा लाल, स्लेटी, भूरे रंग का और चमकदार होता है | प्रकृति में गैनोडर्मा मशरूम की कई किस्में मौजूद है | गैनोडर्मा का ताजा मशरूम गूदेदार और सूखने पर सख्त व कड़क हो जाता है | गैनोडर्मा मशरूम में कई औषधीय गुण होते है, जिस वजह से यह कमजोरी को दूर करने में सहायक है | इसके अलावा यह एलर्जी, उच्च रक्त चाप जैसी समस्या से भी निजात दिलाता है| औषधीय गुण से भरपूर होने के कारण बाजार में गैनोडर्मा मशरूम की काफी मांग रहती है|
भारत के लगभग सभी भूभागों में गैनोडर्मा मशरूम मिल जाता है | उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के किसान गैनोडर्मा मशरूम की खेती कर अधिक मुनाफा भी कमा रहे है | गैनोडर्मा मशरूम को प्रयोगशाला में सफलता पूर्वक उगाया जा चुका है | गैनोडर्मा मशरूम में गैनोडेरिक अम्ल, जरमेनियम और गैनोईरान पाए जाते है | भारत के अलावा चीन में भी इस मशरूम की खेती की जाती है | अगर आप भी गैनोडर्मा मशरूम की खेती कर अधिक लाभ कमाना चाहते है, तो यहाँ पर आपको गैनोडर्मा मशरूम की खेती कैसे करें [Ganoderma Mushroom Cultivation] – लाभ व मार्किट रेट की जानकारी दी जा रही है |
गैनोडर्मा मशरूम की पहचान (Ganoderma Mushrooms Identification)
- यह मशरूम अधिक घने जंगलो और नमी में पाया जाता है |
- गनोडर्मा मशरुम काफी चमकदार होता है |
- यह मशरूम गहरा लाल और भूरे रंग का होता है |
- गैनोडर्मा मशरूम ताजी अवस्था में गूदेदार होता है |
- सूखा गैनोडर्मा मशरूम काफी सख्त हो जाता है |
गैनोडर्मा मशरूम की खेती के लिए उचित जलवायु (Ganoderma Mushroom Cultivation Suitable Climate)
गैनोडर्मा मशरूम ठंडे मौसम में उगाई जाती है | इसके उत्पादन कक्ष का तापमान 22 से 25 डिग्री तक होना चाहिए, तथा बीज अंकुरण के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान की जरूरत होती है, इससे पैदावार काफी अच्छी मिलती है |
गैनोडर्मा मशरूम की खेती के लिए सामग्री तैयार करना (Ganoderma Mushroom Cultivation of Materials Preparation)
गैनोडर्मा मशरूम की खेती में सामग्री को तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको 1:3 के अनुपात में लकड़ी का बुरादा और गेहूँ का भूसा लेना होता है | इन दोनों सामग्रियों को तक़रीबन 20 घंटे तक अलग-अलग गलाने के बाद बाहर निकालना होता है, इससे अतिरिक्त पानी निकल जाएगा| इसके बाद दोनों ही चीजों को बराबर मात्रा में मिला दे| सामग्री में पानी की मात्रा तक़रीबन 65% रखी जाती है | इसके बाद पॉलीथीन की दोहरी थैली में ऊपर की तरफ प्लास्टिक की वलय और रूई की डाट को लगा दिया जाता है| इसके ऊपर रबर बैंड और कागज लगाकर ऑटोक्लेव में 15 पोंड दाब के साथ दो घंटे तक निर्जीविकरण किया जाता है| अब सामग्री को ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है |
गैनोडर्मा मशरूम की बिजाई का तरीका (Ganoderma Mushroom Sowing Method)
मिश्रण तैयार करने के बाद बिजाई 3 प्रतिशत गीले मिश्रण के हिसाब से की जाती है | फिर इसको 30 से 35 डिग्री तापमान पर बीज अंकुरण के लिए रख दिया जाता है, और तक़रीबन 5 सप्ताह बाद बीज की बढ़वार पूर्ण हो जाती है | प्लास्टिक की थैलियों को चाकू की सहायता से चारो तरफ से कट कर देते है, तथा नमी बनाए रखने के लिए निरंतर पानी का छिड़काव करते रहे |
गैनोडर्मा मशरूम में लगने वाले रोग (Ganoderma Mushroom Diseases Caused)
किसी भी क़िस्म की मशरूम में फफूंद रोग सामान्य तौर पर देखने को मिल जाता है | यदि मशरूम के किसी बैग में काली या हरी परत दिखाई दे तो समझ जाए की फफूंद रोग उस बैग में लग चुका है | जिसके बाद उस बैग को बाकि सभी प्लास्टिक के बैगो से दूर कर दे|
आपको कैल्शियम कार्बोनेट कीटनाशक का छिड़काव बैगो पर करना होता है | उत्पादन कक्ष में ठंडक होने के कारण बैगो पर चीटिया और कीड़े मकोड़े भी दिखाई देने लगते है | जिसके बचाव के लिए आपको समय-समय पर गंधक का छिड़काव करना होता है | मशरूम के सभी बैगो में 3 से 4 छेद जरूर होने चाहिए, तथा कमरे में प्रकाश और हवा के आने का भी उचित प्रबंध हो |
गैनोडर्मा मशरुम की तुड़ाई (Ganoderma Mushroom Pruning)
गैनोडर्मा के मशरूम की बढ़वार धीरे-धीरे होती है, तथा तैयार किए गए पैकेटो से कुछ दिन पश्चात् मशरूम का अंकुरण शुरू हो जाता है, और तक़रीबन 3 से 5 सप्ताह में मशरूम तैयार हो जाती है | जिसे संग्रहण करने के लिए घुमाकर मशरूम को तोड़ लेते है| सूखे मशरूम से तैयार पाउडर को अधिक समय तक संग्रहित किया जा सकता है| कुछ विदेशी कंपनिया इस मशरूम से तैयार पाउडर और कैप्सूल का बाज़ारो में विपणन भी करती है|
गैनोडर्मा मशरूम का भंडारण (Ganoderma Mushrooms Storage)
गैनोडर्मा मशरूम का भंडारण तुड़ाई के 2 दिन बाद तक बिना रेफ्रिजरेटर के भी किया जा सकता है, किन्तु अगर आप अधिक समय के लिए भंडारण करना चाहते है, तो रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल अवश्य करे| आरम्भ में मशरूम मुलायम और गूदेदार होता है, लेकिन सूख जाने पर यह कठोर हो जाता है, जिससे अगर आप चाहे तो इसे सुखाकर भी अधिक समय तक भंडारित कर सकते है|
गैनोडर्मा मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण (Ganoderma Mushroom Cultivation Training)
अनिल पांडे जो कि नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर में रहते है, उनका कहना है, कि अब पहाड़ी क्षेत्र के लोग भी खेती की और कदम बढ़ा रहे है | अनिल कई ऐसे लोगो को जानते भी है, जिन्होंने गैनोडर्मा मशरूम की खेती कर अच्छी कमाई की है | अनिल तक़रीबन 18 वर्षो से ऑर्गेनिक खेती कर रहे है, और उन्होंने जैविक खेती के लिए हजारो किसानो को जागरूक भी किया है | अपनी कड़ी मेहनत से अनिल ने कृषि के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है | इसके अलावा अनिल प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत नैनीताल के किसानो को जैविक खेत के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहे है |
गैनोडर्मा मशरूम की खेती से लाभ व मार्किट रेट (Ganoderma Mushroom Cultivation Profit and Market Rate)
वर्तमान समय में गैनोडर्मा मशरूम भारत में काफी कम मात्रा में बेचा जा रहा है | किन्तु गैनोडर्मा मशरूम से तैयार व्यावसायिक उत्पादों जैसे पाउडर और डीएक्सएन कैप्सूल का मार्किट रेट 1100 से 1300 रुपये प्रति 100 कैप्सूल है, तथा 50 GM पाउडर 1150 से 1350 रुपये के रेट पर उपलब्ध है | किसान भाई मात्र 90 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में गैनोडर्मा मशरूम की खेती कर प्रति वर्ष 3 लाख रूपए की कमाई कर सकते है |
सबसे ज्यादा कमाई वाली फसल कौन सी है ?