सामान्य तौर पर पूरे वर्ष ही सब्जियों की खेती की जाती है | लेकिन प्रत्येक माह में एक ही सब्जी को नहीं लगाया जा सकता है, क्योकि सभी सब्जियों को लगाने के लिए समय और महीना अलग होता है | अगर समय से पहले या बाद में किसी सब्जी को लगाया जाता है, तो उसमे न तो फूल आएँगे, और न ही पौधा निकलेगा | इसी तरह से कुछ सब्जियां ऐसी है, जिन्हे फ़रवरी के महीने में लगाया जाता है |
अगर आप फ़रवरी के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियों को लगाते है, तो उसमे फूल भी आएँगे और पौधे पर सब्जियां भी उगेंगी | इसलिए फ़रवरी के महीने में कौन-सी सब्जियां लगाई जाती है, इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है| अगर आप भी फ़रवरी के महीने में लगाई जाने वाली सब्जी के बारे में जानकारी लेना चाहते है, तो इस लेख में आपको फ़रवरी में कौन सी खेती करें तथा फ़रवरी में कौन सी सब्जी लगाई जाती है बता रहे है |
Table of Contents
फ़रवरी में कौन सी खेती करें (February Farming)
अगर आप खेती-किसानी से भरपूर पैदावार लेना चाहते है, तो उचित मौसम व् समय का होना बहुत जरूरी है | कभी- कभार ऐसा होता है, कि किसान भाई खेती से अधिक लाभ लेने के लिए सब्जियों की अगेती फसल लगा देते है | ऐसे में बीजो का जमाव और पौधे तो स्वस्थ रहते है, लेकिन उनमे फूल नहीं आ पाते है, और जब फूल नहीं आएँगे, तो फसल भी नहीं होगी |
इसलिए जो किसान समय से पहले सब्जियों की बुवाई कर देते है, तो उन्हें उत्पादन न के बराबर मिलता है, लेकिन बीज, खाद, खेत की जुताई और मजदूरी में उनके पैसे जरूर लग जाते है | इसलिए किसान भाइयो को चाहिए कि वह सब्जी की फसल सही समय और सही महीने में उगाए | इसी तरह से फ़रवरी के महीने में भी उसी फसल को लगाए, जो फ़रवरी के महीने में लगाई जाती हो |
फ़रवरी में कौन सी सब्जी लगाई जाती है (Vegetable Farming in February)
अन्य मौसम की तरह ही फ़रवरी के महीने में भी अनेक प्रकार की सब्जियों को लगाया जाता है, जिसमे से कुछ सब्जियां ऐसी होती है, जिन्हे सीधा खेत में लगाते है, तथा कुछ को नर्सरी में तैयार कर खेत में लगाते है, यहाँ पर आपको फ़रवरी के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियों के बारे में बता रहे है:-
खीरा की खेती (Cucumber Cultivation)
खीरे की खेती में बीजो को लगाने के लिए खेत में क्यारियों को तैयार किया जाता है, जिसके बाद इनकी बुवाई लाइन में करते है | इस दौरान लाइन से लाइन के मध्य 1.5 मीटर और पौध से पौध के मध्य 1 मीटर की दूरी रखते है | बुवाई करने के 20 से 25 दिन पश्चात् निराई-गुड़ाई करे और खेत साफ़ सुथरा रखे | तापमान बढ़ने पर पौधों की हल्की सिंचाई कर दे, तथा समय-समय पर खर हटाते रहे |
ककड़ी की खेती (Cucumber Farming)
ककड़ी की बुवाई मार्च के महीने में ही की जाती है, लेकिन अगर आप अगेती फसल लेना चाहते है, तो पॉलीथीन की थैलियों में बीज भरकर उनकी रोपाई जनवरी के महीने में भी कर सकते है | ककड़ी की फसल के लिए आपको एक एकड़ के खेत में 1 KG बीज लगाने की जरूरत पड़ेगी | इसे आप किसी भी तरह की मिट्टी में उगा सकते है, लेकिन खेत तैयार करते समय गोबर की खाद डालकर खेत की 3 से 4 जुताई करना होता है | ककड़ी की बुवाई 2 मीटर चौड़ी क्यारियों में नाली के किनारे करे, तथा एक स्थान पर दो से तीन बीज लगाए, और पौधे से पौध के मध्य 60 CM की दूरी रखे |
करेला की खेती (Bitter Gourd Farming)
केरेले की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी अच्छी होती है | आप करेले की बुवाई दो विधियों द्वारा कर सकते है, बीज विधि और पौध विधि | करेले के बीजो को खेत में 2.5 से 5 मीटर की दूरी पर लगाते है | एक स्थान पर दो से तीन बीज लगाए जाते है | बीजो को लगाने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगोया जाता है, ताकि अंकुरण जल्दी और अच्छा हो सके | नदी के किनारे वाली भूमि पर भी करेले की खेती कर सकते है | करेले के लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से फिर दो से तीन बार हैरो या कल्टीवेटर लगाकर चला दे |
लौकी की खेती (Gourd Cultivation)
लौकी की खेती किसी भी मिट्टी में कर सकते है, किन्तु दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 4.5 KG लौकी के बीजो की आवश्यकता होती है | बीजो को 24 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद खेत में लगाते है | करेले की तरह ही लौकी के बीजो का अंकुरण भी तेजी से होता है | लौकी के बीजो को खेत में 50 CM चौड़ी व् 20 से 25 CM गहरी नालियों में 2.5 से 3.5 मीटर की दूरी पर लगाते है | एक स्थान पर लौकी के 2 से 3 बीज लगाए |
भिंडी की खेती (Okra Farming)
भिंडी की अगेती क़िस्म को फ़रवरी से मार्च के महीने में लगाया जाता है | इसकी खेती भी हर तरह की भूमि में कर सकते है | भिंडी के खेत को दो से तीन बार अच्छे से जोत कर उसकी मिट्टी को भुरभुरा कर दे, फिर पाटा लगाकर समतल कर दे | बीजो की बुवाई कतारों में करे, जिसमे कतार से कतार के बीच की दूरी 25 -30 CM और कतार में लगाए गए पौधों के बीज की दूरी लगभग 15 -20 CM रखे | बीजो की बुवाई के 15-20 दिन बाद खेत की पहली निराई-गुड़ाई करे | रासायनिक इस्तेमाल करके भी खरपतवार पर नियंत्रण पा सकते है |
तोरई की खेती (Ridge Gourd Cultivation)
हल्की दोमट मिट्टी तोरई की फसल के लिए सबसे अच्छी होती है | नदी के किनारे स्थित भूमि भी तोरई की खेती के लिए काफी अच्छी होती है | इसके बीजो की बुवाई से पहले खेत की पहली जुताई को मिट्टी पलटने वाले हल से करे, और फिर बाद में 2-3 बार खेत में हैरो या कल्टीवेटर लगाकर चला दे | इस दौरान खेत की मिट्टी को बिल्कुल भुरभुरा कर दे | तोरई की फसल में निराई ज्यादा करनी होती है | इसलिए खेत में कतारों को 1 से 1.20 मीटर की दूरी पर बनाए, तथा पौधों के मध्य 1 मीटर की दूरी रखे | एक स्थान पर 2 बीजो को बोए | तोरई के बीजो को ज्यादा गहराई में न लगाए, इससे बीज अंकुरण प्रभावित होता है | एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 4 से 5 KG तोरई के बीजो की आवश्यकता होती है |
पालक की खेती (Spinach Farming)
पालक की खेती को मटियार या बलुई दोमट मिट्टी में करना अच्छा होता है, लेकिन अम्लीय भूमि में पालक की खेती बिल्कुल न करे | पालक के खेत को तैयार करने के लिए मिट्टी को पलेव करे, फिर जब भूमि जुताई योग्य हो जाए तो मिट्टी पलटने वाले हल से खेत को जोत दे| इसके बाद 2 से 3 जुताई हैरो या कल्टीवेटर लगाकर कर दे, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए | इसके साथ ही पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दे | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 25 से 30 KG पालक के बीजो की आवश्यकता होती है | पालक के बीजो की बुवाई खेत में 20 से 25 CM की दूरी पर तैयार की गई कतार में करते है, जिसमे पौधों के बीच 20 CM की दूरी रखी जाती है | पालक के बीजो को 2-3 CM की गहराई में बोए, इससे अधिक गहराई में बीजो न लगाए |
अरबी की खेती (Arabic Cultivation)
अरबी सब्जी की फसल को रेतीली दोमट मिट्टी में अच्छे से उगा सकते है | अरबी के पौधों को गहरी भूमि में लगाना चाहिए, ताकि कंदो का समुचित विकास हो पाए | इसके लिए पहले समतल क्यारियां बनाए, जिसके लिए कतारों के बीच 45 CM की दूरी रखे | इसमें अरबी के पौधों को 30 CM की दूरी पर लगाए | अरबी की गांठो को 6-7 CM की गहराई में बोना होता है |
बैंगन की खेती (Brinjal Cultivation)
बैंगन की खेती के लिए नर्सरी को फ़रवरी में तैयार किया जाता है, और बुवाई अप्रैल के महीने में करते है | बैंगन की खेती उचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में करते है | नर्सरी में बैंगन के पौधों को तैयार करने के साथ ही दूसरा महत्वपूर्ण कार्य खेत को तैयार करना होता है | इसके लिए मिट्टी का परीक्षण करने के पश्चात् 4 से 5 ट्रॉली पके गोबर की खाद को एक हेक्टेयर के खेत में बिखेर दे | बैंगन के पौधों को लगाने के लिए खेत में 60 CM की दूरी पर कतारों को तैयार करते है, फिर इसी दूरी पर पौधों को लगाते है |
पेठा कद्दू की खेती (Petha Pumpkin Cultivation)
पेठा कद्दू की फसल को दोमट व् बलुई दोमट मिट्टी में उगना सबसे अच्छा होता है | इसके अलावा अम्लीय मिट्टी में भी पेठा कद्दू को आसानी से उगा सकते है | पेठा की बुवाई करने से पूर्व खेत की अच्छी तरह से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर देते है, और फिर 2-3 बार कल्टीवेटर चलाकर पाटा लगाना चाहिए | एक हेक्टेयर के खेत में पेठा कद्दू के तकरीबन 7 से 8 KG बीजो की जरूरत होती है | पेठा के बीजो की बुवाई करने के लिए एक सीधा 15 हाथ लंबा डंडा लिया जाता है, इस डंडे में दो हाथ की दूरी रखते हुए फीता बांधकर निशान बना देते है, ताकि लाइन सीधी रहे | इसके बाद दो हाथ की दूरी पर लम्बाई-चौड़ाई का अंतर रखते हुए गोबर की खाद का सीधी लाइन में गोबर का घुरवा बनाते है, और इसमें पेठे के 7-8 बीजो को बोते है | अगर सभी बीज जम जाए तो बाद में 3-4 पौधों को छोड़कर सभी पौधों को उखाड़कर निकाल दे |