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गुलदाउदी की खेती (Chrysanthemum Farming) से सम्बंधित जानकारी
गुलदाउदी की खेती विशेष प्रकार के फूलो के लिए की जाती है, सभी प्रकार के पौधों में गुलदाउदी पुष्प को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है | यह एक बहुवर्षीय व शाकीय पौधा होता है, जो एस्टीरेसी कुल का सदस्य भी है | इसकी खेती की खास बात यह है, कि इसे कृत्रिम वातावरण पॉलीहाउस के अंदर भी आसानी से ऊगा सकते है | शीट ऋतु में उगने वाला यह एक आकर्षक व लोकप्रिय फूल है, जिसे शरद ऋतु की रानी भी कहते है | गुलदाउदी को ‘ग्लोरी आफ ईस्ट’ या मम नाम से भी जानते है | चीन को गुलदाउदी पौधों की उत्पत्ति का स्थान कहा जाता है |
इसमें निकलने वाले फूल गुलाबी, क्रीम, सफ़ेद, पीला, लाल व हल्के हरे होते है | गुलदाउदी के फूलो को कट व लूज फ्लावर, अलंकृत बगीचों, क्यारियों और गमलों की सजावट के लिए इस्तेमाल करते है | विश्व के दस सर्वश्रेष्ठ कर्तित फूलो में गुलाब के बाद गुलदाउदी के फूलो को दूसरा स्थान प्राप्त है | बाज़ारो में स्टैंडर्ड टाइप के पुष्पों की मांग स्प्रे टाइप गुलदाउदी की तुलना में अधिक होती है | किसान भाई गुलदाउदी की खेती व्यापारिक तौर पर अधिक करते है, यदि आप भी इसकी खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में आपको गुलदाउदी की खेती कैसे करे (Chrysanthemum Farming in Hindi), तथा गुलदाउदी की देखभाल कैसे करे, की जानकारी दी जा रही है |
भारत में गुलदाउदी की खेती (Chrysanthemum Cultivation in India)
भारत में गुलदाउदी की खेती व्यपारिक तौर पर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में सफलता पूर्वक की जाती है, तथा पूरे विश्व में गुलदाउदी का उत्पादन चीन, जापान, इजराइल, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अन्य देशो में भी किया जाता है |
गुलदाउदी की खेती में जलवायु (Chrysanthemums Cultivation and Climate)
गुलदाउदी का पौधा शरद ऋतु वाला होता है | इसके पौधे ग्रीष्म व वर्षा ऋतु में ठीक से विकास नहीं कर पाते है | इसके पौधे 8 से 16 डिग्री तापमान पर अच्छे से विकास कर लेते है, इससे अधिक या कम तापमान पौध विकास के लिए अच्छा नहीं होता है |
गुलदाउदी की खेती के लिए भूमि (Chrysanthemums Cultivation Land)
गुलदाउदी की खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है, किन्तु अधिक उत्पादन के लिए प्रचुर मात्रा में जीवाश्म से युक्त बलुई दोमट मिट्टी व उचित जल निकासी वाली भूमि की जरूरत होती है | खुली धूप वाले स्थानों में भी गुलदाउदी का पौधा ठीक से विकास कर लेता है,जिस वजह से गुलदाउदी को किसी भी भूमि में ऊगा सकते है | इसकी खेत में भूमि उपजाऊ पदार्थो से युक्त 5.5 से 6.5 के मध्य P.H. मान वाली होनी चाहिए | यदि भूमि का पी. एच. मान 5.5 से कम है, तो मिट्टी में चूने को मिट्टी में मिलाकर P.H. मान बढ़ा सकते है, तथा जिप्सम मिलाकर पी. एच. मान को कम किया जा सकता है |
गुलदाउदी की उन्नत किस्में (Chrysanthemums Improved Varieties)
उन्नत क़िस्म | उत्पादन समय | पौधे का आकार | फूलो का रंग | उत्पादन |
बीरबल साहन | 121 दिन | 65 CM लंबा | सफ़ेद | प्रति एकड़ 13 क्विंटल का उत्पादन |
बग्गी | 137 दिन | 64 CM लंबा | सफ़ेद | प्रति एकड़60क्विंटलकाउत्पादन |
रतलाम सिलेक्शन | 138 दिन | 51 CM | सफ़ेद व हल्के पीला | प्रति एकड़ 72 क्विंटल उत्पादन |
पंजाब गोल्ड | 76 दिन | 23 CM लंबा | लाल रंग की कालिया व पीले रंग के फूल | गमले में बोने के लिए उपयुक्त |
अनमोल | 114 दिन | 50 CM लंबा | पीला | प्रति एकड़ 13 क्विंटल उत्पादन |
रॉयल पर्पल | 141 दिन | 45 CM | लम्बा जमुनी-गुलाबी रंग | एक पौधे से 200 तक फूलो का उत्पादन व पौधे को गमले में भी लगा सकते है| |
येलो डिलाइट | 88 दिन | 66 CM | आकर्षक पीला रंग | एक पौधे से 105 तक फूल मिल जाते है| |
गार्डन ब्यूटी | 132 दिन | 70 CM | एक सामान रंग के फूल | प्रति पौधा 73 फूल |
विंटर क्वीन | 128 दिन | 75 CM | एक सामान रंग के फूल | प्रति पौधा 125 फूल |
एटम जॉय | 101 दिन | 58 CM | गुलाबी रंग | प्रति पौधा 283 फूल |
केल्विन मैंडरिन | 45 दिन | 48 CM | कॉपर रंग के फूल | प्रति पौधा 102 फूलो का उत्पादन |
केल्विन टैटू | 31 दिन | 41 CM लंबा | लाल रंग | प्रति पौधा 101 फूल |
रीगन वाइट | 103 दिन | 45 CM लंबा | सफ़ेद रंग | प्रति पौधा 54 फूल |
रीगन एम्परर | 30 दिन | 78 CM | गुलाबी रंग | प्रति पौधा 25 फूल |
येलो चार्म | 36 दिन | 15 CM | पीला रंग | प्रति पौधा 485 फूल |
अजय | 116 दिन | 55 CM | चमकदार पीला रंग | प्रति पौधा 79 फूल |
मदर टेरेसा | 102 दिन | 38 CM | सफ़ेद रंग | प्रति पौधा 150 फूल |
इसके अलावा कई किस्में है, जिन्हे किसान भाई उगाना पसंद करते है, जो इस प्रकार है:- अर्का स्वर्ण, इंदिरा एंड रेड गोल्ड, सद्भावना, अर्का गंगा, कीर्ति, बिंदिया, शांति, अप्पू, Y2K, राखी, येलो स्टार्ट, Ravi किरण, इंदिरा, आकाश और चन्द्राकाण्ड आदि |
गुलदाउदी के खेत की तैयारी (Chrysanthemum Field Preparation)
गुलदाउदी की खेती करने से पहले खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर ले | इसके लिए ग्रीष्म ऋतु के मौसम में मिट्टी पलटने वाले हलो से खेत की तीन से चार गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर देते है | इसके बाद भुरभुरी मिट्टी को समतल करने के लिए पाटा लगाकर खेत में चला दे | इसके बाद सिंचाई के अनुसार उचित आकार वाली क्यारियों को तैयार कर लेते है | गुलदाउदी के प्रति हेक्टेयर के खेत में आखरी जुताई के समय खेत में 25 से 30 टन सड़ी गोबर की खाद डालें और जुताई कर खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला दे | इसके बाद पौध रोपाई से पूर्व प्रति हेक्टेयर के खेत में डालने के लिए 500 KG सुपर फास्फेट, 100 KG यूरिया और 100 KG पोटाश को मिलाकर अच्छे से तैयार कर ले | इस खाद का छिड़काव पौध रोपाई के आठ सप्ताह बाद खड़ी फसल पर करे |
यदि फसल पर दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो 4 प्रतिशत चूर्ण, 25 किलोग्राम एण्डोसल्फॉन या क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के खेत में करे |
गुलदाउदी पौध रोपण (Chrysanthemum Planting)
गुलदाउदी के गांठो को लगाने के लिए फ़रवरी से मार्च का महीना सबसे अच्छा होता है, अतः टहनियों की रोपाई के लिए जून-जुलाई का महीना उपयुक्त माना जाता है | इन पौधों की रोपाई कतारों में की जाती है, तथा पौधों के मध्य 30X30 CM का फासला रखा जाता है | इसके अलावा बीज बुवाई के लिए प्रजनन विधि का इस्तेमाल किया जाता है, तथा बीजो को पॉलीथिन या लिफाफों में 1 से 2 CM की गहराई में लगाते है | इन बीजो को खेत में लगाने से पहले उन्हें कैप्टान 0.2% या सीरेसन 0.2% की मात्रा से उपचारित कर ले |
गुलदाउदी की देखभाल (Chrysanthemum Care)
गुलदाउदी के पौधों के अच्छे विकास के लिए देख-रेख करना बहुत जरूरी होता है | इसके लिए समय – समय पर पौधों को पानी देना, निराई- गुड़ाई करना, खरपतवार निकालना, पिचिंग करना, निस्पररोहण और पौधों को सहारा देने की जरूरत होती है |
गुलदाउदी की पिचिंग
पौधों की पिचिंग में जब पौधा 8 से 10 CM लंबा हो जाता है, तो पौधे के ऊपरी भाग को 3 से 5 CM तक तोड़ देते है | इससे पौधे का आकार छोटा बना रहता है, और पौधों में शाखाए अधिक मात्रा में विकसित होती है |
निष्प्ररोहन
जब पौधों पर शाखाए निकालना आरम्भ कर देती है, तब इस क्रिया को इस्तेमाल में लाते है | इस क्रिया में यदि आप पौधे से एक ही फूल प्राप्त करना चाहते है, तो मुख्य शाखा को छोड़कर बाकि सभी शाखाओ को निकाल दे | यदि आप एक पौधे से अधिक फूलो का उत्पादन लेना चाहते है, तो बीच वाली शाखा के साथ अगल-बगल वाली शाखाओ को भी बढ़ने दे |
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
पौधों को विकास करने में किसी तरह की समस्या न हो इसके लिए खरपतवार पर विशेष ध्यान देना होता है | इसके लिए पौधों की नीलाई-गुड़ाई की जाती है | गुलदाउदी के पौधों की पहली गुड़ाई पौध रोपाई के 4 सप्ताह बाद की जाती है, तथा बाद की गुड़ाइयो को जरूरत के अनुसार करना होता है |
गुलदाउदी के पौधों में लगने वाले व उपचार (Chrysanthemum Plants and Treatment)
रोग | रोग का प्रकार | उपचार |
पत्ती काला धब्बा | धब्बा रोग | प्रति एकड़ के खेत में जिनेब या डाइथेन M-45 की 400 GM की मात्रा का छिड़काव करे| |
गलन | जल भराव | प्रति एकड़ के खेत में 15 दिन के अंतराल में डाइथेन M-45 की 400 GM की मात्रा का छिड़काव करे| |
चूर्णिल असिता | फफूंद | केराथेन 40 ई.सी.की 0.5 प्रतिशत कीमात्रा का छिड़कावकरे| |
एफिड | कीट | मेटासिस्टोक्स 25 ई.सी. या रोगोर 30 ई.सी. की 2 ML की मात्रा को प्रति लीटर पानी के हिसाब से मिलाकर उसका छिड़काव फसल पर करे| |
प्लांट हॉपर | कीट | रोगोर 30 ई.सी. 2 ML की मात्रा प्रति लीटर या प्रोफेनोफोस 25 ई.सी. 2 ML की मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव खेत में करे| |
गुलदाउदी की पैदावार (Chrysanthemum Production)
गुलदाउदी के पौधों को तैयार होने में 5 से 6 महीने का समय लग जाता है | जब पौधों पर लगे फूल पूरी तरह से खिल जाए, उस दौरान फूलो की तुड़ाई कर ले | फूलो की तुड़ाई सुबह या शाम के समय करे, तथा तुड़ाई के पश्चात् उन्हें साफ पानी में डुबोकर रख ले, और फिर किसी छायादार या ठंडी जगह पर भंडारित कर ले, इससे फूल अधिक समय तक खिला हुआ रहता है | फूलो की तुड़ाई के बाद उन्हें टोकरियों में पैक कर बाज़ार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है | एक एकड़ के खेत में 15 से 50 क्विंटल का औसतन उत्पादन प्राप्त हो जाता है, जिससे किसान भाइयो की गुलदाउदी की फसल से अच्छी कमाई हो जाती है |