मिर्च की खेती कैसे होती है | Chili Farming in Hindi | मिर्च की उन्नत किस्में


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मिर्च की खेती (Chili Farming) से सम्बंधित जानकारी

मिर्च की खेती को मसाला फसल के रूप में किया जाता है | मिर्च को ताज़ा सूखा एवं पाउडर तीनो ही रूपों में इस्तेमाल किया जाता है | सभी प्रकार की सब्जियों में मिर्च का बहुत अधिक महत्त्व होता है, क्योकि बिना मिर्च कोई भी सब्जी कितनी ही अच्छी तरह से क्यों न बनाई गई वह फीकी ही लगेगी | मिर्च में कैप्सेइसिन रसायन पाया जाता है, जो इसके स्वाद को तीखा बनाता है | यह हमारे भोजन में स्वाद का एक अहम हिस्सा होती है | मिर्च में फॉस्फोरस, कैल्सियम, विटामिन ए, सी, के तत्व पाए जाते है, जो स्वास्थ की दृष्टि से भी हमारे शरीर के लिए लाभदायक होते है |




हमारे देश में शिमला मिर्च को सब्जी, लाल मोटी मिर्च को अचार, हरी मिर्च को सलाद और सूखी लाल मिर्च को मसालों के रूप इस्तेमाल किया जाता है | इस तरह से किसान भाई मिर्च की प्रजातियों की खेती कर सकते है | वैज्ञानिक रूप से हरी मिर्च की खेती करने पर अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है | भारत में हरी मिर्च की खेती को महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विशेष तौर पर किया जाता है | इस पोस्ट में आपको मिर्च की खेती कैसे होती है (Chili Farming in Hindi) तथा मिर्च की उन्नत किस्में कौन – कौन सी है इसकी जानकारी से अवगत कराया गया है |

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मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Chilli Cultivation Suitable soil, Climate and Temperature)

मिर्च की खेती में कार्बनिक पदार्थो से युक्त काली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है | मिर्च की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि का होना जरूरी होता है, क्योकि जलभराव की स्थिति होने पर इसके पौधे कई रोगो से ग्रसित हो जाते है,जिससे पैदावार अधिक प्रभावित होती है | इसके खेती में भूमि का P.H. मान 5.5 से 7 के मध्य होना चाहिए |

मिर्च की खेती को किसी भी जलवायु में किया जा सकता है, किन्तु आद्र शुष्क जलवायु को इसकी खेती के लिए उचित माना जाता है | अधिक गर्मी और सर्दी का मौसम इसकी फसल के लिए हानिकारक होता है | इसके अलावा सर्दियों में गिरने वाला पाला भी मिर्च की फसल के लिए हानिकारक होता है|

आरम्भ में मिर्च के पौधों को अंकुरित होने सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है | सामान्य तापमान पर इसके पौधे अच्छे से वृद्धि करते है | मिर्च के पौधे गर्मियों के मौसम में अधिकतम 35 डिग्री तापमान तथा सर्दियों के मौसम में न्यूनतम 10 डिग्री तापमान को सहन कर सकते है, इससे अधिक या कम तापमान फसल की वृद्धि के लिए हानिकारक होता है |

मिर्च की उन्नत किस्में (Chilli Improved Varieties)

वर्तमान समय में मिर्च की देशी और संकर प्रजातियों की कई उन्नत किस्में उपलब्ध है | जिन्हे जलवायु और अधिक पैदावार के हिसाब से उगाया जा रहा है |

मिर्च की देशी प्रजाति (Chili Native Species)

पंजाबी तेज़

मिर्च की यह किस्म कम समय में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है| पंजाबी तेज़ किस्म के पौधे अधिक फैलावदार तथा सामान्य लम्बाई के होते है | जिनमे निकलने वाले फल 6 सेंटीमीटर तक लम्बे होते है | इसके फल आरम्भ में हरे रंग के तथा पकने के बाद गहरे लाल रंग के हो जाते है | यह प्रति एकड़ के हिसाब से 60 क्विंटल (हरी मिर्च) तथा 12 क्विंटल (लाल सुखी मिर्च) की पैदावार देती है |

पूसा जवाला

मिर्च की इस किस्म में निकलने वाले पौधे कम ऊंचाई के होते है, तथा इसमें लगने वाले फल 9 से 10 CM लम्बे, पतले और स्वाद अधिक तीखे होते है | इसके पौधे 130 से 150 दिन में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है, तथा प्रति एकड़ के हिसाब से 35 क्विंटल (हरी मिर्च) और 7 क्विंटल (लाल मिर्च) की पैदावार देती है |इसके अतिरिक्त भी मिर्च की काशी अनमोल,पूसा सदाबाहर, पंजाब सिंदूरी जैसी किस्मो को उगाया जाता है |

मिर्च की संकर किस्में (Chili Hybrids)

मिर्च की यह संकर किस्म देशी किस्मो से अधिक पैदावार देने के लिए उगाई जाती है |

अर्का मेघना

मिर्च की यह एक संकर किस्म है, जिसे अधिक पैदावार देने के लिए उगाया जाता है | अर्का मेघना किस्म के पौधों में लगने वाले फल आरम्भ में हल्के हरे तथा पूरी तरह से पकने के बाद गहरे लाल रंग के दिखाई देते है | इस किस्म का पौधा पत्ती धब्बा रोग रहित होता है | यह प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 130 से 140 क्विंटल (हरी मिर्च) तथा 15 से 20 क्विंटल (लाल मिर्च) की पैदावार देने वाली किस्म है |

अर्का हरिता

मिर्च की इस किस्म में निकलने वाले फल अधिक तीखे होते है | इसमें निकलने वाले फल आरम्भ में हल्के हरे तथा पकने के बाद गहरे लाल रंग के दिखाई देते है | यह किस्म चूर्ण असिता रोग रहित होती है | इस किस्म के पौधे प्रति एकड़ के हिसाब से 150 से 200 क्विंटल (हरी मिर्च) और 30 से 35 क्विंटल (लाल मिर्च) की पैदावार देते है | इसके अलावा भी मिर्च की काशी अर्ली, कल्याणपुर चमन की संकर किस्मो को भी उगाया जाता है |

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मिर्च के खेत को तैयार करने की प्रक्रिया (Chilli Field Preparation)

मिर्च की अच्छी पैदावार के लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई कर उचित मात्रा में उवर्रक देकर अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए | इसके लिए खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए | जिससे खेत के पुराने अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जायेंगे | इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे | जिससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाएगी | इसके बाद खेत में 25 से 30 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिट्टी में डाल कर जुताई करवा दे | इससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद अच्छी तरह से मिल जाएगी | यदि आप चाहे तो गोबर की जगह कम्पोस्ट खाद को भी उपयोग में ला सकते है|

इसके अतिरिक्त यदि आप रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहते है, तो आपको 140 KG नाइट्रोजन, 60 KG फास्फोरस और 80 KG पोटाश की मात्रा को लेकर अच्छे से आपस में मिला ले | इस रासायनिक खाद को आखरी जुताई के समय खेत में दिया जाता है | खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाने के बाद उसमे पानी छोड़ देना चाहिए | पानी लगाने के बाद खेत को ऐसे ही छोड़ दे, उसके बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे तब रोटावेटर लगा कर दो से तीन तिरछी जुताई करवा दे | इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी | इसके बाद खेत में पाटा लगा कर खेत को समतल करवा दे, जिससे खेत में जलभराव की समस्या नहीं देखने को मिलेगी |

मिर्च के पौधों को तैयार करने का तरीका (Chili Plants Prepare)

मिर्च के पौधों की रोपाई को बीजो के रूप में न करके उनके पौधों को तैयार कर की जाती है | इसके लिए मिर्च के बीजो को नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है | बीजो को नर्सरी में तैयार करने से पहले उन्हें थायरम या बाविस्टन से उपचारित कर लिया जाता है | इसके बाद नर्सरी में क्यारियों को तैयार कर लिया जाता है, इन क्यारियों में कम्पोस्ट खाद या 25 किलो पुरानी गोबर की खाद को डाल उसे मिट्टी में अच्छे से मिला दिया जाता है |

इसके बाद क्यारियों में 4-5 CM की दूरी रखते हुए हल्की गहरी नालियों को तैयार कर लिया जाता है | तैयार की गई इन नालियों में बीजो को डालकर उन्हें हल्की मिट्टी से दबा देना चाहिए | इसके बाद हजारे विधि द्वारा बीजो की सिंचाई कर देनी चाहिए | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 500 GM संकर बीज तथा 1 KG देशी बीजो की आवश्यकता होती है |

मिर्च के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Chilli Plants Transplanting Right time and Method)

मिर्च के पौधों की रोपाई मेड और समतल दोनों ही स्थानों में की जाती है | यदि आप इसके पौधों की रोपाई को मेड़ो पर करना चाहते है, तो उसके लिए आपको खेत में तीन फ़ीट की दूरी रखते हुए मेड़ो को तैयार कर लेना चाहिए | इसके बाद प्रत्येक पौधे के बीच में डेढ़ फ़ीट की दूरी रखते हुए पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए | समतल भूमि में पौधों की रोपाई के लिए 10 फ़ीट लम्बी क्यारियों को तैयार कर लेना चाहिए | इन क्यारियों में ढाई फ़ीट की दूरी रखते हुए पौधों को लगाना चाहिए, जिससे पौधों को फैलने के लिए प्रयाप्त जगह मिल सके |

मिर्च के पौधों की रोपाई को शाम के समय करना अधिक लाभकारी माना जाता है, क्योकि इस समय रोपाई करने से पौधे अच्छे से अंकुरित होते है, और पैदावार भी अच्छी देते है| मिर्च के पौधों की रोपाई के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए शर्दियो के मौसम में इसके पौधों को अक्टूबर और नवम्बर माह के मध्य में करना चाहिए, वही गर्मियों के मौसम में पौधों की रोपाई के लिए फरवरी और मार्च के महीने को उपयुक्त माना जाता है |

मिर्च के पौधों की सिंचाई (Chilli Plants Irrigation)

मिर्च के पौधों को सिंचाई की अधिक जरूरत होती है, क्योकि इसके पौधों को अंकुरित होने के समय खेत में नमी की आवश्यकता होती है | मिर्च के पौधों की पहली सिंचाई को पौध रोपाई के तुरंत बाद कर देना चाहिए | गर्मियों के मौसम में मिर्च के पौधों को सप्ताह में दो से तीन सिंचाई की आवश्यकता होती है | इसके अलावा सर्दियों के मौसम में 10 से 15 दिनों में सिंचाई की आवश्यकता होती है | बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही मिर्च के पौधों की सिंचाई करनी चाहिए |

मिर्च के खेत में खरपतवार नियंत्रण (Chilli Field Weed Control)

मिर्च की खेती में खरपतवार नियंत्रण प्राकृतिक तरीके से निराई – गुड़ाई कर की जाती है | सही समय पर खरपतवार नियंत्रण न करने पर पौधे का विकास भी रुक जाता है, और पैदावार भी प्रभावित होती है | मिर्च के खेतो में पहली गुड़ाई को 20 दिन बाद करना होता है, तथा बाकी की गुड़ाई को 15 से 20 दिन के अंतराल में करे | खरपतवार नियंत्रण के लिए आप रासायनिक विधि का भी इस्तेमाल कर सकते है, इसके लिए आपको आक्सीफ्लोरफेन की उचित मात्रा का छिड़काव करना चाहिए |

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मिर्च के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Chilli Plants Diseases and their Prevention)

मिर्च के पौधे में भी कई तरह के रोग देखने को मिल जाते है | यह रोग पौधों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देते है, जिससे पैदावार भी अधिक प्रभावित होती है –

छाछया किस्म के रोग

इस किस्म के रोग को सफ़ेद रोली के नाम से भी पुकारा जाता है | इस रोग से प्रभावित होने पर पौधों की पत्तियों पर सफ़ेद चूर्णी धब्बे दिखाई देते है | केराथियॉन एल सी की उचित मात्रा का 10 से 15 दिन में छिड़काव कर इस रोग से पौधों को बचाया जा सकता है |

आर्द्र गलन

पौधों पर इस तरह का रोग आरम्भ में ही देखने को मिल जाता है | यह रोग पौधों पर उसकी जमीनी सतह से कुछ ऊपर देखने को मिलता है | इस रोग के लग जाने से पौधों का तना काला पड़ जाता है | जिसके बाद पौधे का तना सड़कर नष्ट हो जाता है | इस रोग की रोकथाम के लिए पौध रोपाई से पहले उन्हें थाइरम या कैप्टान से उपचारित कर लेना चाहिए | खड़ी फसल पर इस रोग के लग जाने पर पौधों की जड़ो पर इसका छिड़काव करना चाहिए |

इसके अलावा भी मिर्च के पौधों में कई तरह के रोग देखने को मिल जाते है, जैसे – फूलों का झाड़ना, सफेद लट, मोजेक, सूत्र कृमि आदि |

मिर्च की तुड़ाई, पैदावार और लाभ (Chilli Harvesting, Yield and Benefits)

मिर्च की तुड़ाई उनकी उन्नत किस्मो के आधार पर अलग-अलग समय पर की जाती है | मिर्च की कई किस्में तक़रीबन 50 दिनों में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है, जिनकी पहली तुड़ाई के बाद बाकी सभी तुड़ाईयो को 10 से 12 दिनों के अंतराल में कर लेना चाहिए | किन्तु लाल मिर्च प्राप्त करने के लिए इसके फलो को 120 से 130 दिन बाद तोड़ना चाहिए | इसके बाद इन लाल मिर्चियो को धूप में सूखा लेना चाहिए | इन सूखी हुई मिर्चियो का भंडारण कर दबा दिया जाता है, जिससे उनमे अधिक तीखापन उत्पन्न हो जाता है |

इसके बाद इन्हे बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है | एक एकड़ के खेत में किस्मो के आधार पर देशी प्रजाति की 35 से 50 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त हो जाती है | इसके अलावा संकर किस्मो से 250 से 300 क्विंटल की पैदावार प्राप्त की जा सकती है | मिर्च का बाज़ारी भाव किस्मो के आधार पर 15 से 40 रूपए प्रति किलो होता है | जिस हिसाब से किसान भाई एक एकड़ के खेत में मिर्च की एक बार की फसल से एक लाख तक की कमाई कर सकते है, वही संकर किस्मो की फसल कर 3 से 4 लाख रूपये तक की कमाई को आसानी से कर सकते है |

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