Table of Contents
कैमोमाइल की खेती (Chamomile Farming) से सम्बंधित जानकारी
कैमोमाइल की खेती औषधीय गुण वाले फूलो के लिए की जाती है | इसके फूलो में कई औषधीय गुण पाए जाते है, जिस वजह से इसे रामबाण दवा भी कहते है | कम सिंचित वाली जगहों पर भी कैमोमाइल की खेती आसानी से की जा सकती है | जिस वजह से इसे यूपी राज्य के हमीरपुर और बुंदेलखंड जिलों की बंजर भूमि में भी आसानी से और बड़े स्तर पर उगाया जा रहा है | इसके फूलो में दिमाग को शांति पहुंचने वाली लाजवाब खुशबु पायी जाती है | कैमोमाइल के पौधों का जिक्र प्राचीन काल से ही यूनानी, मिस्र और यूरोपी देशो से लेकर बौद्ध भिक्षुओं तक होता रहा है |
इसकी खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली है | जिस वजह से ज्यादातर किसान भाई कैमोमाइल की खेती के प्रति अधिक आकर्षित हो रहे है | यदि आप भी कैमोमाइल की खेती करने का मन बना रहे है, तो यहाँ आपको कैमोमाइल की खेती कैसे करें (Chamomile Farming in Hindi) तथा बबूने का फूल क्या है और कैमोमाइल की कीमत कितनी होती है, से संबंधित जानकारी दी जा रही है |
कैमोमाइल की खेती में भूमि (Chamomile Cultivation Land)
कैमोमाइल के पौधों को किसी भी भूमि में ऊगा सकते है | यदि आप इसकी खेती उपजाऊ भूमि में करते है, तो अधिक मुनाफे वाली उपज प्राप्त कर सकते है | इसके पौधों पर जलवायु का कोई विशेष प्रभाव नहीं देखने को मिलता है | ठंडियों के मौसम में भी यह आसानी से वृद्धि कर लेते है | कैमोमाइल की खेती में भूमि का P.H. मान भी मायने नहीं रखता है |
कैमोमाइल के खेत की तैयारी (Chamomile Field Preparation)
कैमोमाइल की खेती के लिए भूमि को समतल कर ले | इसके लिए खेत की गहरी जुताई कर दे | अच्छी पैदावार के लिए खेत में गोबर की खाद या जैविक खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए अच्छे से जुताई कर दे | इसके बाद रोटावेटर से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर देते है, और पाटा लगाकर खेत को समतल कर देते है | इस समतल और सूखे खेत में पौधों की रोपाई की जाती है |
बबूने का फूल क्या है (Baboon Flower)
बबूने के पौधे को डेज़ी लुक-अलाइक कहते है | जिसका रासायनिक नाम मैट्रिकेरिया कैमोमिला है | कैमोमाइल को चमत्कारी जड़ी बूटी के लिए जाना जाता है | इसमें कई मूल्यवान गुण पाए जाते है, जो मानव स्वस्थ के लिए लाभकारी होते है | हज़ारो वर्षो से इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल किया जा रहा है |
कैमोमाइल के फूलो को चाय बनाने के लिए भी उपयोग करते है, इससे बनी चाय का रंग सुनहरा होता है |इसका फूल चाय में एक बहुत ही स्वादिष्ट मीठा पन छोड़ता है | सामान्य तौर पर दो तरह के कैमोमाइल पाए जाते है, जिसमे जर्मन कैमोमाइल और रोमन कैमोमाइल मिलते है | जर्मन कैमोमाइल का अध्ययन कर यह पता लगाया गया है, कि इसे त्वचा रोग व् पाचन संबंधी समस्याओ से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल करते है |
कैमोमाइल के बीजो की रोपाई (Chamomile Seeds Planting)
कैमोमाइल के बीजो की बुवाई पौध के रूप में की जाती है | इसके लिए बीजो को नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है | प्रति हेक्टेयर के खेत में पौधों को लगाने के लिए 750 GM बीज लगते है | अक्टूबर से नवंबर के महीने में नर्सरी में इन बीजो से पोध तैयार कर ली जाती है | जिसके बाद नवंबर के मध्य तक इन पौधों को लगाने के लिए उन्हें नर्सरी से निकाल लिया जाता है | खेत में पौधों को 30 से 50 CM की दूरी पर लगाना होता है |
कैमोमाइल बीमारियों के लिए रामबाण औषधि (Chamomile Panacea for Ailments)
कैमोमाइल के पौधों में बहुत ही सुन्दर फूल पाए जाते है, जो सादगी और शांति का प्रतीक होते है | इसके पुष्प में औषधीय गुणों की मात्रा भरपूर होती है | पेट का रोग हो या त्वचा रोग सभी के लिए कैमोमाइल लाभकारी औषधि है | यह अनिद्रा, जलन, घबराहट और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याओ में भी लाभ पहुंचाता है | इसके अलावा इसके फूल को घाव, मोच, रैसेज और चोट के उपचार में भी इस्तेमाल करते है |
कैमोमाइल का उत्पादन कंपनियो के कॉन्ट्रैक्ट पर (Chamomile Production on Contract with Companies)
कृषक प्रवेश कुमार जो कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में रहते है, कैमोमाइल की खेती कर अधिक मुनाफा कमा रहे है | प्रवेश कहते है, कि पिछले 15 वर्षो से उनके गांव में कैमोमाइल का उत्पादन किया जा रहा है | पारंपरिक खेती की तुलना में इसकी खेती से किसानो को दोगुना मुनाफा मिलता है |
कैमोमाइल एक सुगन्धित पौधा है, जिसका उपयोग सौन्दर्य प्रशाधन की चीजों को बनाने में अलावा दवाइयों को बनाने में भी करते है | इसके निचले भाग को औषधि के रूप में तथा फूल को ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने के लिए इस्तेमाल करते है | गेहूं और धान की खेती करने वाले किसान भी कैमोमाइल की खेती आसानी से कर सकते है, तथा उन फसलों से मुकाबले अधिक मुनाफा कमा सकते है | कुछ कंपनिया किसानो से कॉन्ट्रैक्ट पर कैमोमाइल की खेती करवा रही है | किसान भाई कैमोमाइल के फूलो को सीधे बाज़ारो में भी बेच सकते है|
कैमोमाइल के बीज कहा से ख़रीदे (Chamomile Seeds Buy)
डॉ. कविता जो कि एक औषधीय पौध विशेषज्ञ है | उनका कहना है, कि फ़िलहाल कैमोमाइल की दो ही किस्में मौजूद है | इसमें पहली वल्लारी और दूसरी जर्मन क़िस्म है | भारत में इसका उत्पादन हाल ही आरम्भ हुआ है, ऐसे में आप कैमोमाइल के बीजो को हर जगह नहीं पा सकते है | किन्तु जोधपुर की सरकारी संस्था काजरी से आप इन बीजो को खरीद सकते है | इसके अलावा लखनऊ में स्थित एनबीआरआई, सीआईएमएपी, आरआरएल-जोरहाट तथा देश के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों से भी कैमोमाइल के बीजो को प्राप्त कर सकते है |
कैमोमाइल की कीमत (Chamomile Price)
पहाड़ी क्षेत्रों में उगाये गए कैमोमाइल के पौधों से 10 से 12 बार फूलो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है, तथा मैदानी क्षेत्रों में 6 से 8 बार ही फूलो का उत्पादन मिल पाता है | एक एकड़ के खेत से तक़रीबन 28 से 30 KG फूल की पैदावार मिल जाती है | इन फूलो को किसी छायादार जगह पर अच्छे से सुखा लेते है | इन सूखे हुए फूलो से पाउडर बनाया जाता है, फिर इसी पाउडर को चाय के रूप में इस्तेमाल कर सकते है |
एक एकड़ के खेत से मिले फूलो से 6 से 8 लीटर तेल प्राप्त हो जाता है | एक लीटर तेल का मार्केट भाव 40 से 45 हज़ार रूपए तक होता है | किसान भाई को एक एकड़ के खेत में कैमोमाइल की खेती करने के लिए 10 से 12 हज़ार रूपए तक खर्च करने होते है | जिसके बाद किसान कैमोमाइल चाय, बीज और तेल को बेचकर ढाई से तीन लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते है |