पत्ता गोभी की खेती कैसे करें | Cabbage (Patta Gobhi) की खेती के बारे में जानकारी


पत्ता गोभी (Cabbage) से सम्बंधित जानकारी

पत्ता गोभी की खेती किसानो के लिए काफी फायदे की खेती होती है | पत्ता गोभी को बंध गोभी भी कहा जाता है, इसे बड़े-बड़े होटलो, ढाबो या घरो में सलाद के रूप में बड़े शौक से खाया जाता है | ज्यादातर पत्ता गोभी के उत्पादन को नर्सरी में बीज से पौध को तैयार कर शुरू किया जाता है | इसकी आंतरिक बुवाई से रोपाई करने तक 18 से 38 दिन का समय लग जाता है | इसके बाद पत्ता गोभी के पौधों को अच्छी तरह से जुताई किए गए उपजाऊ खेत में लगाते है, जो जंगली घास मुक्त हो |




इन छोटे-छोटे पौधों को पंक्तियों में लगाया जाता है, ताकि पौधों के मध्य वायु संचार और उचित स्थान मौजूद रहे | पत्ता गोभी की फसल को तैयार होने में 75 से 88 दिन का समय लग जाता है, तथा उत्पादन भी अधिक मात्रा में मिल जाता है | चूंकि बाज़ारो में पत्ता गोभी की मांग भी काफी रहती है, इसलिए इन्हे बेचने में भी आसानी होती है | अगर आप भी पत्ता गोभी की खेती करने का मन बना रहे है, तो यहाँ पर आपको पत्ता गोभी की खेती कैसे करें तथा Cabbage (Patta Gobhi) की खेती के बारे में जानकारी दे रहे है |

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पत्ता गोभी की खेती कैसे करे (Cabbage Cultivate)

किसान भाई जो पत्ता गोभी की खेती करने की सोच रहे है, उन्हें पत्ता गोभी की खेती करने से पहले अन्य सभी तैयारियों का प्रबंध कर लेना चाहिए, ताकि कीट व् अन्य रोगो से फसल को बचा सके| पत्ता गोभी की खेती एक नकदी फसल है, जो किसानो के लिए काफी लाभकारी भी है | लेकिन इस फसल में कीट का प्रकोप इतना अधिक लगता है, कि हर समय सतर्क रहना पड़ता है | थोड़ी सी भी लापरवाही फसल ख़राब करने में समय नहीं लेती है | मैदानी व् पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली पत्ता गोभी की फसल का सबसे बड़ा लाभ यह है, कि इनकी कीमत घटने के समय फसल को खेत में रोका भी का जा सकता है, और महंगी होने पर कटाई कर बेच सकते है | पत्ता गोभी को सब्जी बनाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते है |

इसके अलावा पत्ता गोभी का उपयोग सलाद, अचार, कढ़ी, पाव भाजी, स्ट्रीट फ़ूड और चाट जैसी चीजों को बनाने मे करते है | पत्ता गोभी में 0.1 प्रतिशत वसा, 1.8 प्रतिशत प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, 4.6% कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी-2, बिटामिन ए व विटामिन बी-1, विटामिन सी और आयरन पाया जाता है | यह पेट के रोगो और डायबिटीज पीड़ित लोगो के लिए काफी लाभकारी है |

पत्तागोभी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Cabbage Cultivation Suitable Soil)

पत्ता गोभी की खेती के लिए पोषक तत्व से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली भूमि की जरूरत होती है | भूमि ऐसी हो जहा खुली धूप आ सके | इसके बीजो की बुवाई तैयार पौधों की रोपाई करने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर ले | पत्ता गोभी की खेती के लिए नम और 6 से 8 P.H. मान वाली भूमि हो |

पत्ता गोभी की उन्नत किस्में (Cabbage Improved Varieties)

पत्ता गोभी की कई उन्नत किस्में है, जिन्हे रंग, रूप और आकार के आधार पर बांटा गया है | पत्ता गोभी की किस्में इस प्रकार है:-

  • अगेती किस्में :- अगेती फसल के लिए उपयुक्त किस्मो को प्रमुख माना गया है, जिनमे प्राइड आफ इंडिया, गोल्डन एकर, मीनाक्षी, पूसा मुक्ता एवं मित्रा शामिल है |
  • मध्यम किस्में :- इसमें पूसा मुक्त और अर्ली ड्रमहेड किस्में शामिल है |
  • पछेती किस्में :- पछेती किस्मों में मुक्ता, पूसा ड्रम हेड, लेट ड्रम हेड, डेनिस वाल हेड, पूसा हिट, टायड, गणेश गोल, रेड कैबेज, हरी रानी कोल और कोपेन हेगन शामिल है |

इन किस्मों के अलावा गुड्डी वाल 65, माही क्रांति, बीसी 90, इंदु, एसएन 183 प्रमुख किस्में भी शामिल है |

पत्ता गोभी के खेत की तैयारी (Cabbage Field Preparation)

पत्ता गोभी की फसल लगाने से पहले किसान भाई खेत को अच्छी तरह से तैयार कर ले, इसके लिए उन्हें सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से हैरो लगाकर जुताई करनी होती है, फिर मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर दे, ताकि पिछली फसल के अवशेष और खरपतवार उसमे दब जाए और फिर खेत को 8 से 10 दिन के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे | इस बीच खेत की मिट्टी में अच्छे से धूप लग जाती है, और फिर खेत की सिंचाई कर दे | इसके बाद जब फिर खरपतवार निकल आए तो दो से तीन फिर से गहरी जुताई करे और पाटा चला दे | इस तरह से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी और खेत फसल लगाने के लिए तैयार हो जाएगा |

पत्ता गोभी की फसल में खाद एवं उर्वरक का प्रबंधन (Cabbage Crop Manure and Fertilizer Management)

खेत की मिट्टी में किसी भी तरह की खाद डालने से पूर्व खेत की मिट्टी का विश्लेषण अवश्य कर ले | यह मिट्टी का सही पोषक विवरण जानने के सबसे बढ़िया तरीका है | पत्ता गोभी के फलो को बड़ा होने और अच्छा उत्पादन देने के लिए पोषक तत्व से भरपूर मिट्टी की जरूरत होती है | किसान भाइयो को पत्ता गोभी के पौधों को खेत में लगाने से दो हफ्ते पूर्व खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद को डालकर मिट्टी की अच्छे से जुताई करना चाहिए, तथा पौध रोपाई के दो या तीन सप्ताह पश्चात् छोटे पौधों में खाद की उपयुक्त मात्रा डालें | किसी भी खाद को डालने से पहले पौधों की लंबाई बढ़ जाने दे |

रासायनिक उवर्रक को डालने के लिए अधिकतर ड्रिप सिंचाई और फर्टिगेशन का इस्तेमाल किया जाता है | इसमें किसान भाई पोटेशियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस जैसे पोषक युक्त उवर्रक का इस्तेमाल करते है | दानेदर खाद को सीधा भूमि की सतह पर डालकर सिंचाई कर सकते है | किन्तु इस बात का ध्यान रखे की खाद के दाने छोटे पौधों के संपर्क में न आए, इससे पौधों में जलन पैदा हो सकती है | यह एक सामान्य पैटर्न है, जिसे शोध किए बिना नहीं आजमाना चाहिए, क्योकि प्रत्येक खेत अलग है, और सभी की अपनी-अपनी अलग जरूरते है | मिट्टी का विश्लेषण करने के लिए आप किसी रेजिस्टर्ड कृषि वैज्ञानिक से संपर्क कर सकते है |

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पत्ता गोभी के पौधों को लगाने का समय और तरीका (Cabbage Plants Planting Timing and Method)

पत्ता गोभी का पौधा पाला सहन करने में सक्षम होता है, किन्तु वसंत का पाला पौधों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है | चोटिल पौधे निम्न गुणवत्ता वाली पत्तियों, अविकसित सिरों और निम्न गुणवत्ता वाली फसल का उत्पादन करेंगे | इसलिए फसल के बीजो को लगाने के लिए उचित समयांतराल पर ध्यान देना चाहिए | वसंत ऋतु के मध्य में किसान भाइयो को गर्मी वाली पत्तागोभी फसल की बुवाई करनी चाहिए | इसके बाद वसंत ऋतु के अंत में शरद ऋतु वाली किस्मों की बुवाई करे, तथा गर्मियों के अंतिम दिनों में वसंत ऋतु वाली पत्तागोभी बोई जाती है, और दूसरे वर्ष में कटाई कर लेते है |

पत्ता गोभी के बीजो को क्यारियों या गमलो में वसंत ऋतु के अंत से पहले लगा सकते है | अधिकतर मामलो में पत्तागोभी की फसल को उगने के लिए 55-75 °F (12 – 23 °C) डिग्री तापमान की जरूरत होती है | इस दौरान पौधों पर 3 से 4 पत्तिया आने तक लगातार पानी देना होता है, तथा बुवाई के 18 से 38 दिन पश्चात् पौधों की रोपाई करे | जब पौधों को 3 से 4 पत्तिया आ जाए तब उन्हें अपनी पसंद की जगह पर लगा दे | अनुभवी किसान बताते है, कि वह अक्सर बादल घिरे आसमान के समय ही पत्तागोभी की रोपाई करते है, ताकि पौधों को सीधा आने वाली धूप से बचाया जा सके | पौधा लगाने की किसी भी विधि में नियमित सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है | अच्छे विकास और स्वस्थ पौधों के लिए भूमि में नमी बनाए रखे |

पत्तागोभी की फसल के अच्छे विकास और उपज के लिए किसानो को निम्न बातो पर ध्यान देना होता है:-

  • प्रति हेक्टेयर के खेत में 250-400 GM की दर से बीजरोपण करे |
  • प्रति हेक्टेयर के खेत में पौधों की संख्या 20,000 से 40,000 तक हो सकती है |
  • 1 हेक्टेयर = 2,47 एकड़ = 10 हज़ार वर्ग मीटर |
  • पंक्ति में पौधों के मध्य 40 से 70 CM की दूरी रखी जाती है, तथा पंक्तियों के मध्य सामान्य रूप से 60-90 CM की दूरी होनी चाहिए | इस बात पर भी विशेष ध्यान रखे की प्रत्येक सिर के अनुसार संख्या अलग-अलग हो सकती है | पौधे जितने समीप होंगे, सिर भी उतना ही छोटा होगा |
  • अधिकतर मामलो को पौधों के परिपक्व हो जाने पर उनकी सिंचाई करना फायदेमंद माना गया है, ऐसा भी कहा गया है, कि अधिक सिंचाई से पत्तागोभी सिर के पास से अधिक तेजी से बढ़कर अलग-अलग हो जाते है |
  • किसान भाई स्वस्थ और विकसित पौधों को उगाने के लिए उचित योजना बनाकर स्थानीय लाइसेंस प्राप्त कृषि वैज्ञानिको की सलाह ले सकते है |

पत्तागोभी की फसल में लगने वाले कीड़े एवं बीमारिया (Cabbage Crop Insects and Diseases)

पत्तागोभी की फसल तैयार होने के दौरान उसमे कई तरह के कीड़े और बीमारिया लगने का खतरा बढ़ने लगता है | यह एक ऐसी फसल है, जो कई सारे कीड़ो को अपनी और आकर्षित करती है | हमें अपनी फसल को हानि पहुंचाने वाले कीड़ो और बीमारियों के बारे में जानकर उनके अनुकूल तरीका अपनाना चाहिए | इसके अलावा अपनी फसल को कीड़ो और बीमारियों से बचाने के लिए हम किसी लाइसेंस प्राप्त योग्य व्यक्ति से भी सलाह ले सकते है | यहाँ पर आपको पत्ता गोभी की फसल में लगने वाले सामान्य कीड़ो और बीमारियों के बारे में बताया जा रहा है:-

पत्ता गोभी फसल में लगने वाले कीड़े :-

  • छोटी – बड़ी सफ़ेद तितलियाँ | इस तरह का कीड़ा पत्तागोभी के पौधे की पत्तियों के नीचे अपने अंडे देकर उन पर लार्वा छोड़ देता है, और पत्तियों को खा जाता है |
  • पत्तागोभी के पौधों पर एफिड्स नाम का कीड़ा उनकी पत्तियों को खाकर नष्ट कर देता है, यह कीड़े ग्रे और हरे रंग के होते है |
  • कबूतर और अन्य छोटे पक्षी भी इस तरह की फसल को खाना पसंद करते है |

पत्तागोभी में लगने वाली बीमारियां :-

  • अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट पत्तागोभी की फसल में फफूंद के रूप में आक्रमण करता है | यह पौधे के तनो पर गहरे धब्बे और पत्तियों पर भूरे धब्बे बना देता है, और साथ ही छोटे और पुराने पौधों को प्रभावित करता है | यदि समय पर इसका उपचार न किया जाए तो पत्तिया पीली पड़कर गिरने लगती है |
  • पत्ता गोभी के पौधों पर ज़ैंथोमोनस कैंपेस्ट्रिस एक बैक्टीरियल बीमारी है, जो मुख्य रूप से पौधे की सतह को संक्रमित करता है |
  • पेरोनोस्पोरा पैरासिटिका बीमारी में पौधों के कोमल भागो पर फफूंद बनने लगती है, और पौधे के पुराने पत्तो पर परिगलित धब्बा बनने लगता है |

कीड़े और बीमारी नियंत्रण के उपाय :-

  • प्रमाणित बीजो का इस्तेमाल करना चाहिए |
  • स्थानीय बीमारी से बचाव के लिए संकर और प्रतिरोधी क़िस्म का उपयोग करे |
  • पत्ता गोभी की फसल को जाली से ढ़ककर उन्हें कुछ कीड़ो के हमले से बचाया जा सकता है |
  • खेत में अधिक खाद का उपयोग करने से बचे |
  • कबूतर के हमले से बचने के लिए तार की जाली का इस्तेमाल कर सकते है |
  • कुछ परिस्थितियों में लार्वा और केटरपिलर को फसल से उठाकर फेकना भी अच्छा समाधान है |
  • फसल की कटाई कर उनके अवशेषों को इकठ्ठा कर फेकने से अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट से बचा जा सकता है |
  • कीड़ो और बीमारियों पर प्राकृतिक रूप से नियंत्रण पाने के लिए फसल चक्र का इस्तेमाल कर सकते है |

पत्ता गोभी की पैदावार और लाभ (Cabbage Yield and Benefits)

पत्ता गोभी की फसल में बीज बुवाई से लेकर पौध रोपाई का कार्य 18 से 38 दिन में पूर्ण हो जाता है | इसके बाद फसल को तैयार होने में किस्म के आधार पर 75 से 88 दिन का समय लग जाता है | कुछ किस्में बहुत जल्दी बढ़ने वाली होती है, जो सिर्फ 55 दिन में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है | एक हेक्टेयर के खेत में की गयी पत्ता गोभी की फसल से औसतन 30-70 टन की पैदावार मिल जाती है | इसके अलावा अनुभवी किसान इसके एक हेक्टेयर के खेत से 80 टन से भी अधिक पैदावार ले रहे है | जिस हिसाब से किसान भाइयो की पत्ता गोभी की फसल से काफी तगड़ी कमाई हो जाती है |

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