सुपारी की खेती कैसे करे | Betel Nut Farming in Hindi | सुपारी का रेट


सुपारी की खेती (Betel Nut Farming in Hindi)

किसान अक्सर ही अपनी फसल के नष्ट हो जाने से परेशान रहते है| फसल में कीट आक्रमण कर पूरी फसल को ख़राब कर देते है, जिससे किसानो को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है| किसान भाई सुपारी की खेती को विकल्प के रुप में देख रहे है| इसी को देखते हुए केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान व  कासरगोड़ केरल किसानो के लिए एक ऐसा तोहफा लाये है, जिसके बाद किसान देश के अन्य हिस्सों में भी सुपारी की खेती कर अधिक पैदावार और लाभ भी कमा सकेंगे| केरल (सीपीसीआरआई), कासरगोड़ व केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान द्वारा सुपारी की दो संकर प्रजातियों को तैयार किया गया है| जिन्हे उगाकर किसान अधिक मात्रा में पैदावार प्राप्त कर सकेंगे| इन किस्मो के आने से किसानो को फसल में लगने वाले रोग से छुटकारा मिल सकेगा| क्योकि पिछले कुछ वर्षो में सुपारी की फसल में कोले रोग का अधिक प्रकोप देखने को मिला है|




इस कोले रोग में पूरी की पूरी फसल को नष्ट करने की क्षमता थी| इसी को देखते हुए ही इस नई प्रजाति को तैयार किया है| इसमें पौधों की लम्बाई कम होगी, जिससे उस पर रोग नाशक दवाइयो का छिड़काव आसानी से हो सकेगा, और पौधों की देखभाल भी ठीक से हो पायेगी| यह बोनी प्रजातियां किसानो के लिए अधिक लाभकारी साबित हो रही है| सुपारी का इस्तेमाल पान, डली, गुटका मसाला के रूप में खाने के लिए करते है| सुपारी का बाजारी भाव काफी अच्छा होता है, जिससे किसान भाई अधिक मात्रा में लाभ भी कमाते है| यदि आप भी सुपारी की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में आपको सुपारी की खेती कैसे करे (Betel Nut Farming in Hindi) तथा सुपारी का रेट क्या है, इसके बारे में बताया जा रहा है|

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सुपारी के फ़ायदे (Betel Nut Benefits)

सामान्य तौर पर सुपारी को पान मसाले के रूप में खाने के लिए इस्तेमाल करते है, किन्तु हिन्दू रिवाजो में सुपारी का इस्तेमाल पूजा पाठ के लिए किया जाता है| इसके अलावा सुपारी में औषधीय गुण भी पाए जाते है, जो कई बीमारियों की रोकथाम व् इलाज में काम आती है| यहाँ पर आपको सुपारी के कुछ फायदों के बारे में बताया जा रहा है|

  • पेट की बीमारी में :- सुपारी का सेवन पेट के लिए फायदेमंद होता है| पेट में कीड़े हो जाने पर सुपारी का काढ़ा बनाकर उसका सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते है, तथा छाछ में 1 से 4 ग्राम सुपारी की मात्रा को मिलाकर खाने से आंत की बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है| दस्त आने पर 5 हरी सुपारियों को धीमी ताप पर पकाकर खाए| दस्त की समस्या दूर हो जाती है|
  • दांतो की समस्याओ के लिए :- सुपारी को पीसकर उसका चूरन बना ले, और फिर उस चूरन से दांतो की मालिश करे| इससे दांतो का दर्द और दांत से जुड़ी कई बीमारिया ख़त्म हो जाती है|
  • उल्टी रोकने में लाभदायक :- यदि आपको उल्टी जैसी समस्या आ रही है, तो आपको सुपारी का सेवन करना चाहिए| इसके अलावा पीसी हल्दी के साथ चीनी और सुपारी को मिलाकर पीने से भी उल्टी नहीं होती है| शरीर में घाव हो जाने पर सुपारी को पीसकर उस घाव पर लगाने से जख्म कम समय में ही सूखकर ठीक हो जाता है|
  • आँखों का लालपन दूर करे :- सुपारी का इस्तेमाल आँखों के लिए भी फायदेमंद होता है| आप नींबू के रस में अपांप्म, सुपारी और स्पटिक की कुछ मात्रा को पीसकर अच्छी तरह से मिला ले| इसके बाद इस मिश्रण को अपनी आँखों में डालें आपकी आँखों का लालपन दूर हो जायेगा|

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विश्व में सुपारी का उत्पादन (Betel Nut Production in the World)

सुपारी उत्पादन में भारत को विश्व में पहला स्थान प्राप्त है| सीपीसीआई के द्वारा जमा किये गए आंकड़ों के मुताबिक तक़रीबन 925 हज़ार हेक्टेयर के खेत में 127 हज़ार टन सुपारी का उत्पादन पूरी दुनिया में होता है| अकेले भारत में पूरे विश्व के 49% क्षेत्र में तक़रीबन 50% सुपारी का उत्पादन होता है, जो कि 632 टन सुपारी उत्पादन के साथ सभी देशो से ज्यादा है| इसके बाद 187 टन सुपारी उत्पादन के साथ इंडोनेशिया दूसरे स्थान पर है, तथा तीसरा स्थान चीन (135 टन), चौथा स्थान म्यांमार (122 टन) और पांचवा स्थान बांग्लादेश (108 टन) सुपारी का उत्पादन करता है|

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सुपारी की फसल के लिए उपयुक्त भूमि (Betel Nut Crop Suitable Land)

सुपारी की खेती किसी भी तरह की भूमि में की जा सकती है| जैविक सामग्री युक्त दोमट चिकनी मिट्टी में सुपारी का अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है| इसकी खेती में भूमि 7 से 8 P.H. मान के मध्य होनी चाहिए| इसकी खेती को भू-मध्य रेखा के 28 डिग्री उत्तर और 28 डिग्री दक्षिणी इलाको में करना अच्छा होता है|

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सुपारी की उन्नत किस्में (Betel Nut Improved Varieties)

  • मंगला
  • सुमंगला
  • श्री मंगला
  • मोहित नगर
  • हिरेहल्ली बौना

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सुपारी के खेत की तैयारी (Betel Nut Field Preparation)

सुपारी की खेती में भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है| इसलिए खेत की सफाई कर उसकी अच्छी तरह से जुताई कर दे| जुताई के बाद खेत में पानी लगाकर सूखने के लिए छोड़ दे| इसके बाद जब खेत का पानी सूख चुका हो तब रोटावेटर लगाकर अच्छे से जुताई कर देने से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है| इस भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दे| इसके बाद सुपारी के पौधों की रोपाई के लिए 2.7 x 2.7 मीटर की दूरी पर पंक्तियों में गड्डे तैयार कर लेते है| यह सभी गड्डे 90 x 90 x 90 CM आकार के हो| इन गड्डो में ही सुपारी के पौधों को लगाते है|

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सुपारी की फसल में खाद (Betel Nut Manure)

जब सुपारी के पौधे 5 वर्ष या उससे अधिक पुराने हो चुके होते है, तब 10 से 20 KG पुरानी सड़ी गोबर की खाद प्रत्येक पौधे को दे| इसके अलावा रासायनिक उवर्रक फास्फोरस 40 GM, नाइट्रोजन 100 GM और पोटाश 140 GM की मात्रा प्रति पौधे को दे| इस खाद को जनवरी से फ़रवरी माह में देना चाहिए|

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सुपारी का पौध रोपण (Betel Nut Planting)

सुपारी के पौधों की रोपाई बीज से पौध को तैयार कर करते है| इसके लिए बीजो को क्यारियों में तैयार कर लिया जाता है| इसके बाद इन पौधों को नर्सरी से निकालकर खेत में रोपाई कर दी जाती है| यह सभी पौधे 12 से 18 माह पुराने अवश्य हो| पौध रोपाई के लिए खेत में जुताई कर जल निकासी के लिए नालिया बना दी जाती है| इसके बाद पंक्तियों में तैयार गड्डो में सड़ी गोबर की खाद और कम्पोस्ट खाद को मिट्टी के साथ अच्छे से मिलाकर गड्डो में भर दे| इन पौधों को जून से जुलाई के महीने में लगाना अच्छा होता है|

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सुपारी के खेत की सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण (Betel Field Irrigation and Weed Control)

सुपारी की फसल में खरपतवार नियंत्रण गुड़ाई कर की जाती है| इसके पौधों को वर्ष में दो से तीन गुड़ाई की ही जरूरत होती है| इसके अलावा पौधों को विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं होती है| पौध सिंचाई के लिए नवंबर से फ़रवरी माह के मध्य और मार्च से मई माह के दौरान सप्ताह में एक बार की जानी चाहिए|

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सुपारी का रेट (Betel Nut Rate)

सुपारी के पौधों को पैदावार देने में 5 वर्ष से अधिक का समय लग जाता है| इसके फसल की तुड़ाई गिरियो के तीन चौथाई पक जाने पर करना चाहिए| सुपारी का बज़ारी रेट भी काफी अच्छा होता है, जो 400 रूपए से लेकर 600 रूपए प्रति किलो होता है| किसान भाई सुपारी की फसल से अच्छी कमाई भी करते है|

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