बासमती चावल की पहचान कैसे करें | प्लास्टिक चावल की पहचान करने का तरीका [Hindi]


बासमती चावल (Basmati Rice) से सम्बंधित जानकारी

दुनिया में विभिन्न प्रकार के चावल की किस्मों का उत्पादन किया जाता है | जब कभी खान-पान की बात आती है, तो उसमें कोई भी किसी तरह का कॉम्प्रोमाइज करना नहीं चाहता है |  हर कोई अपने भोजन में बेहतर चीजें शामिल करना चाहता है। भारत की लगभग आधी से अधिक आबादी चावल खाना पसंद करती है। हालाँकि मार्केट में चावल की बहुत-सी किस्में मौजूद हैं लेकिन बासमती राइस एक ऐसा चावल है, जिसे लोगो द्वारा सबसे अधिक पसंद किया जाता है लेकिन मार्केट में इसका डुबलीकेट भी उपलब्ध है |




यहाँ तक कि मार्केट में प्लास्टिक चावल भी आ चुका है, जिसे अच्छे चावल के साथ मिलाकर बेंचा जा रहा है | जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है | ऐसे में हमारे लिए यह आवश्यक हो जाता है, कि हमें चावल की पहचान आना चाहिए | आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बासमती राइस के बारें में बताने जा रहे है | तो आईये जानते है, कि बासमती चावल की पहचान कैसे करें ? इसके साथ ही प्लास्टिक चावल की पहचान करने के तरीके के बारें में |    

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बासमती चावल क्या है (What is Basmati Rice)

विभिन्न प्रकार के चावल की वैरायटी में बासमती राइस एक ऐसा चावल है, जिसके बारें में हम सभी जानते है | यहाँ तक कि बासमती चावल को किचन का राजा (King of the Kitchen) कहा जाता है। इस चावल की सबसे खास बात यह है, कि यह अपनी अनूठी महक और अनोखे स्वाद के लिए जाना है। यह अत्यधिक सुगंधित अनाज है, जो लंबा और सुरुचिपूर्ण ढंग से पतला होता है।

“बासमती” नाम की उत्पत्ति हिंदी भाषा में ‘बास’ से हुई है जिसका अर्थ है “सुगंध” और ‘मती’ का अर्थ है “पूर्ण” इसलिए बासमती चावल सुगंध से भरा होता है। यह चावल मुख्य रूप से सुगंध और पकाने के बाद अनाज के लंबे होने के कारण अन्य चावलों से अलग होता है। परंपरागत रूप से यह चावल भारत, पाकिस्तान और नेपाल में उगाया जाता है।

बासमती चावल की पहचान कैसे करें (Basmati Rice Identification in Hindi)

बासमती चावल ही एक ऐसा चावल है, जिसमें खुशबू बहुत ही बेहतरीन आती है। ऐसी खुशबू किसी भी दूसरे चावल में नहीं होती है। बासमती चावल पारदर्शी होने के साथ ही इसकी चमक की तुलना तलवार से कर सकते है। इस चावल को पकाने पर इसकी लंबाई दोगुनी हो जाती है या उससे भी अधिक लंबा हो जाता है। बासमती चावल अन्य चावलों की अपेक्षा सबसे अधिक महंगा होता है। इसके अलावा पकाए जाने पर बासमती मानक सफेद चावल की तुलना में लंबी, हल्की और फूली हुई होती है और एक साथ चिपकती नहीं है। इसकी अन्य पहचान इस प्रकार है-

  • रंग: बासमती का रंग पारभासी, मलाईदार सफेद होता है। ब्राउन बासमती चावल भी उपलब्ध है लेकिन सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला सफेद बासमती है।
  • अनाज: अनाज लंबा (6.61 – 7.5 मिमी) या बहुत लंबा (7.50 मिमी और 2 मिमी से अधिक चौड़ाई) है।
  • आकार: बासमती चावल की पहचान करने के लिए आकार या लंबाई-से-चौड़ाई अनुपात एक और मानदंड है। बासमती के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए इसे 3.0 मिमी से अधिक होना चाहिए।
  • बनावट: पकाने पर बनावट बिना फूटे दृढ़ और कोमल होती है और यह गैर-चिपचिपी होती है। यह गुण चावल में एमाइलोज सामग्री से प्राप्त होता है। यदि यह मान 20-22% है, तो पके हुए चावल चिपकते नहीं हैं। चॉपस्टिक उपयोगकर्ताओं द्वारा पसंद की जाने वाली चिपचिपा चिपचिपी किस्म में 0-19% एमाइलोज होता है।
  • बढ़ाव: चावल पकाने पर लगभग दो बार लम्बा हो जाता है लेकिन ज्यादा मोटा नहीं होता है। पकाए जाने पर अनाज अन्य किस्मों की तुलना में लंबा (पहले से पके अनाज से 70-120%) अधिक हो जाता है।
  • स्वाद: विशिष्ट सुगंध जो बासमती में 100 यौगिकों के कॉकटेल से उत्पन्न होती है – हाइड्रोकार्बन, अल्कोहल, एल्डिहाइड और एस्टर। एक विशेष अणु 2-एसिटाइल-1-पाइरोलाइन है।
  • उपयोग: स्वाद और बनावट करी के पूरक हैं क्योंकि यह सूखे चावल हैं और अनाज अलग रहते हैं। बिरयानी और पिलाफ पर भी सूट करता है (जहां अतिरिक्त रंग और स्वाद प्रदान करने के लिए केसर मिलाया जाता है)।

प्लास्टिक चावल क्या है (What is Plastic Rice)

प्लास्टिक चावल को अक्सर चीनी चावल कहा जाता है क्योंकि यह चीन में निर्मित होता है। इसे आलू, शकरकंद और प्लास्टिक का उपयोग करके बनाया जाता है। आलू को चावल के दाने के आकार में बनाया जाता है और फिर उसमें प्लास्टिक मिलाया जाता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए जहरीला है। यह कृत्रिम चावल बिल्कुल प्राकृतिक चावल जैसा दिखता है लेकिन पकाने के बाद इसे प्राकृतिक चावल से अलग किया जा सकता है। प्लास्टिक चावल सिंथेटिक या अर्ध-सिंथेटिक कार्बनिक यौगिकों से बने होते हैं, जिनका उपयोग विभिन्न उत्पादों के उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। प्लास्टिक मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है और प्लास्टिक के चावल में वह चमक होती है जो सामान्य चावल में नहीं देखी जाती है।

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प्लास्टिक चावल की पहचान करने का तरीका (Plastic Rice Identification in Hindi)

चावल भारत के कई राज्यों जैसे बंगाल, बिहार, असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और दक्षिण का मुख्य भोजन है। चावल और दाल के बिना लोगों का पेट नहीं भरता है। चाहे राजमा चावल हो, कढ़ाई चावल हो या पुलाव। हर चीज में चावल की अहम भूमिका होती है। यदि आप भी बिना चावल खाए खालीपन महसूस करते हैं और इसे खाने से आपको मिचली आ रही है, तो अब सावधान हो जाइए। क्योंकि आजकल चावल के नाम पर कृत्रिम चावल बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा है, जो सेहत के लिए हानिकारक है | इसे खाने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।

हालाँकि प्लास्टिक चावल को अलग से पहचानना आसान है लेकिन यदि इसे शुद्ध चावल में मिला दिया जाए तो इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। प्लास्टिक चावल आलू, शलजम, प्लास्टिक और राल को मिलाकर बनाया जाता है, जिसे हमारा शरीर पचा नहीं पाता और सेहत बिगड़ने का खतरा बढ़ जाता है। यहाँ आपको हम प्लास्टिक चावल की पहचान करने के कुछ तरीके बता रहे है, जो इस प्रकार है-

जल परीक्षण (Water Testing)

एक गिलास पानी लें, उसमें एक बड़ा चम्मच कच्चा चावल डालें और कुछ देर तक चलाएं। यदि चावल सबसे ऊपर तैरता है तो उसे प्लास्टिक चावल माना जाता है, क्योंकि चावल पानी पर तैरता नहीं है।

अग्नि परिक्षण (Fire Testing)

थोड़े से चावलों को ले औए इन्हें माचिस या लाइटर की सहायता से जलने पर यदि जलने पर इसमें प्लास्टिक के जलने जैसी स्मेल आये तो आप समझ जाएँ कि यह प्लास्टिक से बना चावल है|

गर्म तेल परीक्षण (Hot Oil Testing)

कुछ चावल लें और उन्हें बहुत गर्म तेल में डाल दें। यदि चावल प्लास्टिक का है, तो यह पिघल जाएगा और बर्तन के तल पर एक साथ चिपक जाएगा।

कवक या फंगस परीक्षण (Fungus Testing)

चावल उबालने के बाद उसमें से कुछ को एक बोतल में डाल कर 3 दिन के लिए छोड़ दें। अगर कवक दिखाई नहीं देता है, तो आपका चावल नकली है क्योंकि प्लास्टिक के चावल किसी भी मौसम में कवक या फंगस नहीं लगेगा।

चावलों को उबालने पर (On Boiling Rice)

प्लास्टिक के चावल और असली चावल को उबाल कर भी पहचाना जा सकता है| यदि चावल प्लास्टिक निर्मित होगा तो उबलने के दौरान वह एक मोटी परत बनायेगा। यदि चावल असली होगा तो वह पानी के साथ खौलेगा। 

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