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हींग (Asafoetida) की खेती से सम्बंधित जानकारी
हींग का पौधा हो या खेती दोनों ही दुर्लभ होते है | क्योकि भारत की जलवायु और भूमि हींग की पैदावार के लिए उपयुक्त नहीं है | लेकिन अन्य देशो की तुलना में भारत में हींग की खपत काफी अधिक है | हींग एक ईरानी पौधा है, जो पहाड़ो में पाया जाता है | संस्कृत में हींग को हिंगू नाम से जानते है | CSIR और IHBT ‘इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी’ संस्थाए वर्ष 2016 से आरम्भ रिसर्च ने वर्तमान समय में भारत में हींग की खेती को सफल कर दिखाया है | आज के समय में पंजाब, उत्तराखंड, लद्दाख, हिमाचल, कश्मीर और हिमालय के क्षेत्रों में इसकी खेती कर अच्छा लाभ भी कमाया जा रहा है | इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में हींग की खेती कर विदेशो से भारत में आयात की जा रही महंगी हींग की समस्या को कम करने के भी उपाय बनाए जा रहे है |
IHBT ने वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ने ईरान से नई दिल्ली के माध्यम से हींग के बीजो का आयात किया था | आयात किए गए बीजो से तैयार पौधों को हिमाचल प्रदेश और दूसरे कई स्थानों पर परिक्षण के लिए लगाया गया | 15 अक्टूबर 2020 में हींग की खेती की शुरुआत केलांग के समीप स्थित क्वारिंग गांव में की गयी | यदि आप भी हींग की खेती करने का मन बना रहे है, तो सबसे पहले हींग की खेती कैसे कर सकते है, की जानकारी अवश्य प्राप्त कर ले | इस लेख में आपको हींग (Asafoetida) की खेती कैसे करें, हींग कहाँ पैदा होती है तथा हींग का पौधा कैसे लगाएं इसकी जानकारी दी जा रही है|
हींग (Asafoetida) की खेती कैसे करें (Asafoetida Cultivate)
हींग सोंफ की प्रजाति वाला एक ईरानी मूल का पौधा है | जो पहाड़ी क्षेत्रों में वृद्धि करता है | हाल ही वर्ष 2020 में भारत में हींग का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जाने लगा है | इसके अलावा जो नए किसान हींग की खेती करना चाहते है, उन्हें यह सलाह दी जा रही है, कि उचित ज्ञान और प्रशिक्षण प्राप्त कर ही हींग कि खेती करे | क्योकि इस शोध से पहले भारत में हींग की खेती संभव नहीं थी, यह भी कहा जा सकता है, कि हींग की फसल से एक ग्राम भी हींग का उत्पादन नहीं किया जा सका |
हींग पौधे के किस भाग से प्राप्त होती है (Asafoetida Obtained From Part of Plant)
हींग के पौधों के निचले भाग मिट्टी के समीप प्रकंदो और ऊपरी जड़ो से गोंद जैसा वानस्पतिक दूध निकलता रहता है | जिसे एकत्रित कर पाउडर तैयार किया जाता है, और फिर हींग के रूप में उपयोग करते है | बाज़ारो में हींग को स्टार्च व गोंद के साथ मिलाकर बेचा जाता है|
भारत में हींग की खेती (Asafoetida Cultivation India)
हींग उपभोक्ता के मामले में भारत को विश्व में पहला स्थान प्राप्त है, जिस वजह से भारत में विदेशो से हींग का आयात किया जाता है | भारत में प्रतिवर्ष तक़रीबन 1100 टन हींग का उत्पादन किया जाता है, जिसकी खरीद के लिए 70 मिलियन रूपए खर्च किए जाते है | भारत में सबसे पहले हींग को हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल-स्पीति में उगाया गया है |
हींग की किस्में (Asafoetida Varieties)
ठंडी और शुष्क जलवायु में हींग का उत्पादन काफी अच्छा होता है | विश्व में हींग की तक़रीबन 130 किस्में उगाई जाती है | भारत में हींग की केवल 3 से 4 प्रजातियां ही उगाई जाती है, जो इस प्रकार है:-
- दूधिया सफ़ेद हींग :- इसे काबुली सफ़ेदा भी बोला जाता है | यह सफ़ेद व पीला घुलनशील होता है | इसके तीन रूप होते है, मास, टीमर्स और पेस्ट | यह शुद्ध रूप में गोल, पतला राल होता है, जो 30 MM आकार वाला भूरा और फीका पीला होता है |
- लाल हींग :- लाल हींग में सल्फर मौजूद होता है, जिस वजह से इसमें अधिक तीखी गंध होती है | यह काले व गहरे रंग वाले तेल में घुलनशील है, जिसमे गोंद व स्टार्च मिलाकर ईट के रूप में बेचते है |
हींग की खेती के लिए जलवायु (Asafoetida Cultivation Climate)
अभी के समय में हींग की खेती केवल पहाड़ी क्षेत्रों में ही की जा सकती है | कम ठंडा और शुष्क वातावरण हींग की फसल के लिए अच्छा होता है | 20 से 30 डिग्री तापमान वाले क्षेत्रों में हींग की खेती आसानी से कर सकते है |
हींग के खेत की तैयारी (Asafetida Field Preparation)
हींग की खेती के लिए रेत वाली रेतीली, मिट्टी के ठेले व चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है | पहाड़ के उन क्षेत्रों में जहां पानी का ठहराव नहीं होता है, वहां पर अलग से आप 40% तक रेट को मिला सकते है | इससे पौधों का विकास अच्छे से होता है, तथा जैविक खाद भी जरूरी होती है |
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हींग की खेती हेतु अनुमति (Asafoetida Permission For Cultivation)
नए किसान जो हींग की खेती करना चाहते है, उन्हें बीज खरीदने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है | क्योकि इसके बीजो को सरकार की सहायता से ही खरीद पाना संभव है | क्योकि अभी भी हींग के बीजो पर शोध जारी है | इसलिए आप सरकार से विचार विमर्श कर उनकी आज्ञानुसार बीज प्राप्त कर सकते है | जिसके बाद आप हींग की खेती आरम्भ कर सकते है | इसके अलावा नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट एंड जेनेटिक विभाग से भी संपर्क किया जा सकता है |
हींग की फसल रोग बचाव (Asafoetida Crop Disease Prevention)
हींग के पौधों में रोग लगने की समस्या की अभी कोई जानकारी नहीं है, अभी भी इस पर रिसर्च जारी है | हींग की खेती में अनुकूल तापमान और जलवायु से ही रोग होने का खतरा बना हुआ है | इसका पौधा 30 से 35 डिग्री के तापमान को सहन कर सकता है, किन्तु अधिक तापमान में इसके पौधे ख़राब होने लगते है |
हींग से कमाई (Asafoetida Earning)
कमाई के लिहाज से हींग की खेती से अच्छी शायद ही कोई दूसरी खेती होगी| हींग की गुणवत्ता के अनुसार हींग का बाज़ारी भाव 35,000 रूपए प्रति किलो से आरम्भ होता है| चूंकि देश में हींग का उत्पादन नहीं होता है, जिस वजह से हींग का व्यापार काफी फैला हुआ है, और प्रति वर्ष करोड़ो का व्यापार होता है|
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