हम सभी जानते है कि भारत एक विशाल देश है और यहाँ की लगभग 60 से 70 प्रतिशत जनसँख्या अपनी आजीविका निर्वहन के लिए कृषि कार्यों पर निर्भर है | हालाँकि आज से कुछ दशक पहले की जानें वाली खेती और वर्तमान में खेती करनें की प्रक्रिया में एक बहुत बड़ा अंतर है | स्वतंत्रता से पूर्व भारत में की जानने वाली खेती में किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थो का उपयोग नहीं किया जाता था, परन्तु जनसँख्या विस्फोट के कारण अन्न की मांग बढ़नें लगी और धीरे-धीरे लोगो नें कृषि उत्पादन बढ़ानें के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना प्रारंभ कर दिया |
जिसके कारण आज लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों का शिकार हो रहे है, जबकि 1960 से पूर्व देश परंपरागत और जैविक अर्थात ऑर्गेनिक खेती खेती की जाती थी | ऑर्गेनिक खेती क्या होती है, ऑर्गेनिक या जैविक खेती कैसे करे? इसके बारें में आज हम यहाँ विस्तार से चर्चा करेंगे |
जैविक खाद (Organic Fertilizer) कैसे बनता है
Table of Contents
ऑर्गेनिक खेती क्या होती है
Organic Farming in Hindi: ऑर्गेनिक खेती फसल उत्पादन की एक प्राचीन पद्धति है | आपको बता दें, कि ऑर्गेनिक खेती को जैविक खेती भी कहते है | जैविक कृषि में फसलों के उत्पादन में गोबर की खाद (Manure), कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फ़सलोन के अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों के माध्यम से पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं। सबसे खास बात यह है, कि इस प्रकार की खेती में प्रकृति में पाए जानें वाले तत्वों को कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है | जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता बनाये रखनें के साथ ही भूमी के प्राकृतिक स्वरूप को बनाये रखती है।
Jaivik Kheti ki Paribhasha: ऑर्गेनिक खेती का अभिप्राय एक ऐसी कृषि प्रणाली से है, जिसमें फसलों के उत्पादन में रासायनिक खादों एवं कीटनाशक दवाओं के स्थान पर जैविक या प्राकृतिक खादों का प्रयोग किया जाता है | वर्तमान समय में ऑर्गेनिक खेती से प्राप्त होनें वाली उपज की मांग बहुत अधिक है |
ऑर्गेनिक या जैविक खेती कैसे करे
Jaivik Kheti Kaise Karen: ऑर्गेनिक या जैविक खेती को हम देशी खेती भी कहते है| मुख्य रूप से ऑर्गेनिक कृषि प्रकृति और पर्यावरण को संतुलित रखते हुए की जाती है | इसके अंतर्गत फसलों के उत्पादन में रसायनिक खाद कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है | इसके स्थान पर गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष, फसल चक और प्रकृति में उपलब्ध खनिज पदार्थों का उपयोग किया जाता है| फसलों को विभिन्न प्रकार की बिमारियों से बचानें के लिए प्रकृति में उपलब्ध मित्र कीटों, जीवाणुओं और जैविक कीटनाशकों द्वारा हानिकारक कीटों तथा बीमारियों से बचाया जाता है|
आज के समय में किसी भी प्रकार की फसल के उत्पादन में कृषकों द्वारा विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थो का उपयोग किया जाता है | जिसके परिणाम स्वरुप उत्पादन की मात्रा तो बढ़ जाती है, परन्तु इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति निरंतर कम होती जा रही है इसके साथ ही प्रतिदिन लोग नई-नई बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे है | इसके साथ ही पर्यारण संतुलन बिगड़ता जा रहा है | हालाँकि जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास जारी है |
ऑर्गेनिक या जैविक खेती करनें की प्रक्रिया
ऑर्गेनिक या जैविक खेती करनें के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के अनुसार कार्य करना आवश्यक है, जो इस प्रकार है-
मिट्टी की जाँच
यदि आप ऑर्गेनिक खेती करना चाहते है, तो सबसे पहले आपको अपनें खेत की मिट्टी की जांच करवानी चाहिए, जो आप किसी भी निजी लैब या सरकारी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला में करवा सकते है | इससे कृषक को खेत की मिट्टी से सम्बंधित यह प्राप्त जानकारी हो जाती है, कि मिट्टी में किस तत्व की कमीं है | जिससे कृषक उपयुक्त खाद और कीटनाशकों का उपयोग कर अपनें खेत को अधिक उपजाऊ बना सकते है |
जैविक खाद बनाना
ऑर्गेनिक या जैविक खेती करनें के लिए आपके पास पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद होना आवश्यक है| इसके लिए आपको जैविक खाद बनानें के बारें में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है|
जैविक खाद का मतलब ऐसी खाद से है, जो पशु मल-मूत्र अर्थात गोबर तथा फसलों के अवशेष से बनायीं जाती है| आप वेस्ट डिस्पोजर की सहायता से ऑर्गेनिक खाद 3 से 6 माह में तैयार कर सकते है|
ऑर्गेनिक या जैविक खाद कैसे बनाये
ऑर्गेनिक खाद को विभिन्न प्रकार से तैयार किया जाता है, जैसे- गोबर गैस खाद, हरी खाद, गोबर की खाद आदि | इस प्रकार की कम्पोस्ट को प्राकृतिक खाद भी कहते है, इसे बनानें की प्रक्रिया इस प्रकार है-
1. गोबर की खाद बनानें की प्रक्रिया
गोबर की खाद बनाने के लिए आपको लगभग 1 मीटर चौड़ा, 1 मीटर गहरा और 5 से 10 मीटर लम्बा गड्ढा खोदना होगा | सबसे पहले गड्ढे में एक प्लास्टिक शीट फैलाकर उसमें फसलों के अवशेष, पशुओं के गोबर के साथ ही पशु मूत्र और पानी उचित मात्र में मिलाकर मिट्टी और गोबर से बंद कर दें। लगभग 20 दिनों के बाद गड्ढे में पड़े मिश्रण को अच्छी तरह मिलाये | इसी प्रकार लगभग 2 माह के बाद आप इस मिश्रण को एक बार पुनः मिलाये और ढ़ककर बंद कर दें | तीसरे माह के दौरान आपको गोबर की खाद बनाकर तैयार हो जाएगी, जिसे आप अपनी आवश्यकता के अनुसार उपयोग कर सकते है |
2. वर्मीकम्पोस्ट केंचुआ की खाद
केंचुए को किसान का मित्र भी कहते है, क्योंकि यह भूमि को उपजाऊ बनानें में बहुत ही अहम् भूमिका निभाता है | केंचुए की खाद बनानें के लिए आपके पास 2 से 5 किलो केंचुआ, गोबर, नीम की पत्तियां और जरुरत के अनुसार एक प्लास्टिक की शीट की आवश्यकता होती है | केंचुआ जैसे ऐसीनिया फोटिडा, पायरोनोक्सी एक्सक्वटा, एडिल्स 45 से 60 दिन में खाद बनाते हैं।
केंचुए की कम्पोस्ट बनाने के लिए छायादार और नम वातावरण की जरुरत होती है, इसलिए इसे घने छायादार पेड़ों के नीचे या छप्पर के नीचे बनानी चाहिए। इस बात का ध्यान रखे कि आप जिस स्थान पर यह खाद बनानें जा रहे है, वहां जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए |
केंचुए की कम्पोस्ट बनाने के लिए एक लम्बा गड्ढा खोदकर उस में प्लास्टिक शीट फैला कर अपनी जरुरत के अनुसार गोबर, खेत की मिट्टी, नीम पत्ता और केंचुआ मिलानें के पश्चात पानी का छिड़काव करें। आपक बता दें कि 1 किलो केंचुआ 1 घंटे में 1 किलो वर्मीकम्पोस्ट बना देता हैं और यह वर्मीकम्पोस्ट में एंटीबायोटिक होता हैं, जो फसलों को विभिन्न प्रकार की बिमारियों से बचाता है|
3. हरी खाद (Green Compost)
ऑर्गेनिक खेती करनें के लिए आप जिस खेत में फसल उत्पादन करना चाहते है, उस खेत में वर्षा होनें से समय में बढ़ने वाली लोबिया, मुंग, उड़द, ढेचा आदि की बुवाई कर दे | और लगभग 40 से 60 दिन के पश्चात उस खेत की जुताई कर दे|
ऐसा करने से खेत को हरी खाद मिलती है। हरी खाद में नाइट्रोजन, गंधक, सल्फर, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन और जस्ता भरपूर मात्र में पाया जाता है जो खेत की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाता है |
केंचुए और गोबर की खाद में पाए जानें वाले तत्व
तत्व (प्रतिशत में) | केंचुआ खाद | गोबर की खाद |
नाइट्रोजन | 1.00 – 1.60 | 0.40 – 0.75 |
फास्फोरस | 0.50 – 5.04 | 0.17 – 0.30 |
पोटाश | 0.80 – 1.50 | 0.20 – 0.55 |
कैल्शियम | 0.44 | 0.91 |
मैग्नीशियम | 0.15 | 0.19 |
लोहा (पीपीएम) | 175.20 | 146.50 |
मैंगनीज (पीपीएम) | 96.51 है | 69.00 |
ज़िन (पीपीएम) | 24.43 | 14.50 |
कॉपर (पीपीएम) | 4.89 | 2.08 |
कार्बन नाइट्रोजन | 15.50 | 31.321 |
खाद बननें का समय | 3 माह | 12 माह |
ऑर्गेनिक या जैविक खेती से लाभ
- आर्गेनिक खेती करने से भूमि की उर्वरक क्षमता अर्थात उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे उत्पादन अधिक होता है |
- जैविक खेती से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है अर्थात पर्यावरण संतुलन बना रहता है |
- रासायनिक खेती की अपेक्षा आर्गेनिक खेती में पानी की आवश्यकता कम होती है |
- आर्गेनिक खेती में फसलों के उत्पादन में कृषक को लागत कम लगनी पड़ती है और लाभ अधिक होता है।
- ऑर्गेनिक खेती से उत्पन्न अनाज का सेवन करनें से व्यक्ति को किसी प्रकार की बीमारी से ग्रसित होनें का खतरा नहीं होता है |
- पारम्परिक खेती की अपेक्षा जैविक खेती में पैदावार कम होती है परन्तु आय अधिक होती है क्योंकि मार्केट में जैविक खेती से उत्पादित अनाज की मांग अधिक है |
- ऑर्गेनिक खेती से कृषि के सहायक जीव सुरक्षित रहनें के साथ ही उनकी संख्या बढ़ोतरी होती है |
जैविक खेती पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण कैसे करे
भारत में जैविक खेती करनें वाले राज्य
भारत में सिक्किम देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसे 100 फ़ीसदी जैविक खेती करनें के लिए ग्लोबल फ्यूच पॉलिसी अवार्ड दिया गया है | आपको बता दें कि सिक्किम का कुल क्षेत्रफल 7 लाख 29 हजार 900 हेक्टर है, जिसमें से मात्र 10.20 प्रतिशत क्षेत्र कृषि योग्य है | जबकि शेष क्षेत्र वन, बेमौसम भूमि के, शीत मरुस्थल और अल्पाइन क्षेत्र आदि के अंतर्गत आते हैं।
सिक्किम भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का पहला ऐसा जैविक राज्य है, जहाँ किसी भी प्रकार की रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है | ऑर्गेनिक खेती से सिक्किम में लगभग 66 हजार से अधिक कृषक लाभन्विन्त हुए है और उनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है |
दरअसल सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग नें वर्ष 2016 में किसी भी तरह के रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था | इसके साथ ही फसलों के उत्पादन में रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करनें पर एक लाख (1,00,000) रुपये का जुर्माना लगा दिया था | इस प्रकार सिक्किम भारत का पहला जैविक राज्य बन गया | वर्तमान समय में यहाँ के लोग जैविक खाद से फसल और सब्जियों का उत्पादन करते है |