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केंचुए की खाद बनाने की विधि से सम्बंधित जानकारी
आज के समय में बढ़ता हुआ प्रदूषण और खेत में इस्तेमाल होने वाली रासायनिक खाद से हमें केमिकल युक्त भोजन मिलता है, जो हमारे शरीर में कई सारी समस्याओ को जन्म देती है | इसी वजह से लोगो का रूझान अब जैविक खेती की और अधिक देखने को मिल रहा है| जैविक खेती करने के लिए वर्मी कम्पोस्ट का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है, क्योकि यह खाद बहुत ही कम समय और कम कीमत में तैयार हो जाती है | केंचुआ खाद को ही वर्मीकम्पोस्ट कहते है, यह कम समय में तैयार होने वाली उत्तम पोषक तत्व युक्त खाद है|
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) को तैयार करने के लिए वनस्पति व भोजन के कचरे का विघटन किया जाता है| इसमें सल्फर, पोटाश और नाइट्रोजन की अधिक मात्रा पाई जाती है | केंचुआ खाद की एक खास बात यह भी है, कि इसमें बदबू नहीं होती है | जिस वजह से वातावरण भी स्वच्छ बना रहता है | यहाँ पर आपको केंचुए की खाद बनाने की विधि, केंचुआ कहाँ से खरीदें [वर्मीकम्पोस्ट सब्सिडी] के बारे में बताने जा रहे है |
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केंचुए की खाद बनाने की विधि (Earthworm Manure Making Method)
जब केंचुआ जैविक पदार्थो को खाकर मल निकालता है, तब वर्मीकम्पोस्ट तैयार होता है | केंचुए जिन जैविक पदार्थो को खाता है, वह केंचुए के पाचन तंत्र में सूक्ष्म जीवो के साथ रासायनिक क्रिया करके अपशिष्ट के रूप में मल को बहार निकालता है | जिसे केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट कहते है | केंचुआ खाद काले रंग की दानेदार होती है, जिसे बनकर तैयार होने में डेढ़ से दो महीने का समय लगता है |
केंचुआ खाद बनाने के लिए जरूरी तत्व (Earthworm Compost Elements Making Required)
- केंचुआ (Earthworm) :- केंचुआ खाद बनाने में जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, वह खुद केंचुआ है | यह जैविक पदार्थो को खाकर मल द्वारा वर्मीकम्पोस्ट निकालता है| केंचुए की भी दो प्रजातियां मौजूद है | पहला डेट्रीटीव्होरस केंचुआ और दूसरा जीओफेगस प्रजाति का केंचुआ है |
- डेट्रीटीव्होरस :– केंचुए की यह प्रजाति भूमि की ऊपरी सतह पर पायी जाती है | जिसे खाद बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है, यह देखने में लाल रंग का होता है |
- जीओफेगस :– इस प्रजाति का केंचुआ भूमि के अंदर होता है | यह केंचुआ भूमि को अंदर से खोखला करता रहता है | इस तरह के केंचुए रंगहीन होते है |
- वर्मीबैड (Vermibad) :- वर्मीकम्पोस्ट खाद को तैयार करने में वर्मीबेड की आवश्यकता होती है | यह ईट और चूने का बना होता है | लेकिन अब बाज़ारो में प्लास्टिक के कट्टो से तैयार वर्मीबैड भी मिल जाते है | जिनकी लम्बाई और चौड़ाई का क्षेत्रफल 100 स्क्वायर फ़ीट और ऊंचाई 3 से 4 फ़ीट होती है |
- जैविक पदार्थ (Organic Matter) :- जैविक पदार्थ के लिए सूखा हुआ कार्बनिक पदार्थ, सूखी हरी घास, खेत से निकला कचरा और गोबर का इस्ते करते है| इसमें ताज़े गोबर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है | इन सभी पदार्थो को वर्मीबेड में भरने से पूर्व इसमें मौजूद पत्थर, कांच और पॉलीथिन को निकाल दे |
- पानी (Water) :- केंचुआ खाद तैयार करने में पानी की भी जरूरत होती है | पानी का इस्तेमाल वर्मीकम्पोस्ट खाद तैयार करते समय जैविक पदार्थो में नमी बनाए रखने के लिए किया जाता है |
- वातावरण (Atmosphere) :- जैविक खाद तैयार करने में वातावरण का भी विशेष ध्यान रखना होता है | इसमें वर्मीबेड को धूप से बचाकर छायादार जगह पर रखना होता है, क्योकि तेज़ धूप में केंचुए मर जाते है|
केंचुआ खाद निर्माण में वर्मीबैड भरने की विधि (Earthworm Compost Filling Vermibed Method)
केंचुआ खाद जैविक पदार्थो के विघटन से तैयार की जाती है | इन जैविक पदार्थो को एक सही तरीके से वर्मीबेड में भरना होता है, जिसके बाद ही उच्च गुणवत्ता वाली वर्मीकम्पोस्ट खाद तैयार हो जाती है| यहाँ पर आपको वर्मीबेड भरने का तरीका बताया जा रहा है:-
- सबसे पहले जैविक और कार्बनिक पदार्थो के बड़े टुकड़ो को तोड़कर छोटा कर लिया जाता है | इसके बाद सूखी पत्ती, घास और अन्य जैविक कचरे के टुकड़ो को 3 से 4 CM के आकार में काट लेते है |
- अब वर्मीबेड में बालू रेत की 1 इंच मोटी परत तैयार कर ले |
- बालू रेत की परत पर 3 से 4 इंच मोटी हरी सूखी जैविक कार्बनिक पदार्थो की परत बना ले |
- अब वर्मीबेड में पुरानी गोबर को 18 से 20 इंच की ऊंचाई तक भर दे |
- इसके बाद वर्मीबेड में नमी बनाने के लिए पानी का छिड़काव करे, इससे तापमान सामान्य रहता है |
- इसके बाद वर्मीबेड को पुलाव से ढक दे या फिर किसी छायादर जगह पर 2-3 दिन के लिए रख दे |
- इसके बाद वर्मीबेड में तक़रीबन 500 GM या 5 हज़ार केंचुओ को छोड़ दिया जाता है |
- वर्मीबेड में केंचुओ को डालने के बाद दो इंच मोटी कटे हुए जैविक पदार्थो की परत बना दी जाती है |
केंचुआ खाद तैयार करे (Earthworm Manure Prepare)
वर्मीबेड भरने के तक़रीबन एक महीने पश्चात् केंचुए खाद बनाने लगते है | इसके बाद 25 से 30 दिन में केंचुओ द्वारा तैयार खाद को निकालकर अलग कर लिया जाता है | खाद को निकालने के लिए हाथ का ही इस्तेमाल करे ताकि केंचुओ को कोई हानि न हो| पहली बार बनी खाद को निकाल लेने पर उसके 5 से 7 दिन में फिर से खाद बनकर तैयार हो जाती है | यह प्रक्रिया बार-बार अपनाई जाती है | सम्पूर्ण भरा हुआ वर्मीबेड जब जैविक अपशिष्ट खाद में बदल जाए तो एकत्रित खाद को सुखा ले | इसके बाद जब नमी सिर्फ 30 प्रतिशत बचे तो उसे जालीदार छन्नी से छानकर पैक कर ले |
वर्मीकम्पोस्ट खाद में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Vermicompost Compost Nutrients Found)
क्रं. सं. | तत्व का नाम | तत्व की मात्रा |
1. | नाइट्रोजन | 2.5 से 3.0 प्रतिशत |
2. | फास्फोरस | 1.5 से 2.0 प्रतिशत |
3. | पोटाश | 1.5 से 2.0 प्रतिशत |
4. | सूक्ष्म जीवाणु | काफी अधिक मात्रा में |
5. | कैल्शियम | 0.44 प्रतिशत |
6. | मैग्नीशियम | 0.15 प्रतिशत |
वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय ध्यान देने वाली सावधानियां (Vermicompost Making Precautions)
- केंचुआ खाद तैयार करने के दौरान कई तरह की सावधानिया बरतनी होती है | यदि आप इन बातो को ध्यान में नहीं रखते है, तो खाद की गुणवत्ता में काफी फर्क देखने को मिल सकता है, साथ ही केंचुओ के मरने की संभावनाए भी अधिक होती है |
- वर्मीबेड को हमेशा ऊँचे एवं छायादर स्थान पर बनाए |
- वर्मीबेड की निचली सतह पर छोटे-छोटे छेद बना दे, ताकि खाद में पानी का भराव न रहे |
- वर्मीबेड में कभी भी ताज़ा गोबर न डालें, इससे केंचुए जीवित नहीं रह पाते है |
- खाद में तक़रीबन 60 प्रतिशत तक नमी की मात्रा बनाए रखने के लिए उसमे पानी का छिड़काव करते रहना होता है |
- वर्मीबेड की खाद में किसी भी तरह की कांचा या पत्थर न हो, इससे केंचुओ के शरीर को चोट पहुंच सकती है |
- वर्मीबेड में भरे पदार्थो के मिश्रण का तापमान सामान्य बनाए रखने के लिए पानी का छिड़काव और छायादार जगह का चुनाव करे |
वर्मीकम्पोस्ट के लाभ (Vermicompost Benefits)
केंचुआ खाद खेत के लिए हर तरह से लाभदायक होती है, खेत में आपको इसके कई लाभ देखने को मिल सकते है |
भूमि के लिए लाभकारी (Land Beneficial)
- वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करने से भूमि की गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिलता है |
- खेत में केंचुआ खाद डालने से भूमि की जल पकड़ने की क्षमता बढ़ती है, जिससे फसल में अधिक सिंचाई नहीं करना पड़ता है |
- भूमि का तापमान सामान्य रहता है, जिससे कम मात्रा में जल वाष्पीकरण होता है|
- केंचुआ खाद का इस्तेमाल करने से भूमि में जीवाणुओं की संख्या भी बढ़ती है|
- रासायनिक खाद का उपयोग करने से जो भूमि प्रदूषित हो चुकी है, उसका प्रदूषित होना बंद हो जाता है|
पर्यावरण के लिए लाभकारी (Environment Benifits)
- वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करने से वातावरण में किसी तरह की हानि नहीं होती है |
- सभी जैविक कचरो का खाद बन जाने की वजह से आस-पास प्रदूषण नहीं फैलता है, जिससे बीमारिया भी कम फैलती है |
- यह भूमि के गिरते जल स्तर को रोकने में मदद करता है, जिस वजह से प्रकृति के जल असंतुलन में भी कमी आती है |
- वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग वायु और भूमि प्रदूषण दोनों को ही कम करता है |
किसानों के लिए लाभकारी (Farmers Beneficial)
- केंचुआ खाद किसानो के लिए अधिक लाभकारी है, क्योकि इसका उपयोग करने से वह रासायनिक उवर्रक में खर्च होने वाले अधिक खर्चे से बच सकेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा |
- वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल भूमि की उवर्रक क्षमता को बढ़ाने और फसल का अधिक उत्पादन लेने के लिए अच्छा होता है |
- इसके इस्तेमाल से रासायनिक उवर्रक की निर्भरता भी कम होगी |
- वर्मीकम्पोस्ट में मौजूद फास्फोरस, नाइट्रोजन, पोटाश और अन्य सूक्ष्म द्रव्य की अधिक मात्रा पौधों को कम समय में विकास करने में सहायता प्रदान करती है |
- कम जल वाष्पीकरण होने की वजह से किसानो को अधिक सिंचाई करने की जरूरत नहीं होती है |
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