चीनी कैसे बनती है ? चीनी सफेद कैसे होती है | Sugar Production Process in Hindi


चीनी कैसे बनती (Sugar Production Process) इससे सम्बंधित जानकरी

चीनी खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल किया जाने वाला क्रिस्टलीय मीठा खाद्य पदार्थ होता है | आज के समय में चीनी का यूज करके अनेक प्रकार की चीजों को बनाया जाता है | इसमें लैक्टोज, प्रकटोज़ और सुक्रोज पाया जाता है | चीनी को शर्करा भी बोला जाता है | इसे मुख्य तोर पर चुकंदर और गन्ने से तैयार किया जाता है | चीजों में मिठास उत्पन्न करने के लिए चीनी का इस्तेमाल करते है, तथा बहुत सी चीजों को बनाने जैसे :- खीर, चीनी का पराठा, शरबत, जूस और दूध में भी चीनी को मिलाकर पिया जाता है | चीनी का अधिक सेवन मोटापे को भी बढ़ाता है |




व्यापार और उधोग के मामले में चीनी का उत्पादन देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है | भारत के कई राज्यों जैसे :- तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में कई निजी और सरकारी चीनी मिले मौजूद है, जो चीनी का उत्पादन करती है | गन्ना और चुकंदर के अतिरिक्त प्राकृतिक रूप से चीनी फल और शहद में भी पाई जाती है | आज भी बहुत से लोगो को यह नहीं मालूम होता है, कि चीनी का उत्पादन कैसे किया जाता है | इस लेख के माध्यम से सभी लोगो को चीनी कैसे बनती है, चीनी सफेद कैसे होती है तथा Sugar Production Process in Hindi के बारे में विशेष जानकारी दी जा रही है |

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चीनी कैसे बनती है (Sugar Production Process in Hindi)

भारत में सरकारी मिलो के अतिरिक्त कोल्हुओं पर भी चीनी को बनाया जाता है | मुख्य रूप से चीनी को प्राइवेट चीनी मिल पर ही बनाया जाता है | चीनी बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले चीनी मिलो तक किसान के गन्नो को खरीद कर पहुंचाया जाता है | जिन्हे नहर जैसी बनी मशीन में डाला जाता है | इस मशीन में गन्ना कट कर आगे बढ़ता रहता है, और छोटे-छोटे आकार में विभाजित होकर कोल्हू तक चला जाता है | अधिकतर चीनी मिलो में एक लाइन में ही 3 से 5 कोल्हू लगे होते है, जिसमे से गन्ने का जूस निकलता है | एक कोल्हू से तक़रीबन 85% तक रस निकल जाता है, किन्तु पूरे रस को निकालने के लिए आगे के कोल्हू में भेज दिया जाता है| गन्ने का जूस निकालने के साथ ही उसे भाप द्वारा गर्म करते है |

इसके बाद बड़े-बड़े चुम्बकों द्वारा रस में मौजूद लोह पदार्थो को अलग कर लिया जाता है, आरम्भ में गन्ने के रस को इसलिए गर्म कर लिया जाता है, ताकि उसमे किसी तरह का फंगस न लग सके और रस भी गाढ़ा हो | अब रस को ब्वाईलर में 60 से 110C पर चीनी बनने तक रखा जाता है | शहर में स्थित चीनी मिल एक कॉलोनी की तरह होती है, जिसमे एक तरफ किसानो द्वारा लाए गए गन्नो को एकत्रित किया जाता है, और दूसरी और  कोल्हू टर्बाइन और स्टील ब्वाईलर लगा होता है, तथा इसके तीसरे भाग में रस को फ़िल्टर करने के कार्य किया जाता है | इसके बाद चौथे और अंतिम भाग में जूस के गाढ़ा होकर चीनी बनने और फिर चीनी को पैक करने का कार्य होता है |

कोल्हू से निकला गर्म जूस ब्वाईलर में आता है, और फिर यहाँ पर उसमे चूना और सल्फर गैस को मिलाया जाता है, ताकि जूस के गाढ़ा होने के दौरान उसमे मौजूद गंदगी बहार निकल जाए और रस को दाना बनने तक गाढ़ा होने दिया जाता है| गाढ़ा हो जाने पर यह लिक्विड गुड़ जैसा हो जाता है, जिसे मशीन द्वारा चीनी का रूप दिया जाता है |

एक क्विंटल गन्ने से तक़रीबन 10 से 12 KG चीनी प्राप्त हो जाती है| इसके बाद निकलने वाले गन्ने के भूसे, मड और सिरे को वैल्यूऐड कर दूसरे उत्पाद तैयार किए जाते है | गन्ने से रस को निकालने और चीनी बनने में तक़रीबन 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है | मील  में कई तरह की ब्वाईलर यूनिट लगी होती है, जो अपनी क्षमता अनुसार कार्य करती है | कोल्हू की रफ़्तार, ब्वाईलर का तापमान और भट्ठी को कम्प्यूटर द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है |

चीनी मील में कितने प्रकार की चीनी तैयार की जाती है (Sugar Meal Prepared How Many Types of Sugar)

चीनी मील में लगभग 3 से 4 तरह की चीनी का उत्पादन किया जाता है | जिसमे मध्यम आकार वाली चीनी की मार्केट में बहुत अधिक मांग रहती है | खाने के लिए भी इसी चीनी का इस्तेमाल किया जाता है | मील में चीनी के अलावा और भी कई चीजों को बनाया जाता है | जिसमे गन्ने के भूसे को मील की भट्ठियों में जलाने के लिए इस्तेमाल करते है, और इसी से टर्बाइन घुमाकर बिजली भी पैदा की जाती है | इसके बाद जो भूसा बचता है, उसे कागज बनाने वाली कंपनियो को बेच देते है | गन्ने से निकलने वाले सीरे का इस्तेमाल स्पिरिट और एथेनोल जैसी चीजों को बनाने के लिए करते है | इसी एथेनोल को पेट्रोल में मिलाते है |

caneup.in, गन्ना पर्ची कैलेंडर

चीनी सफेद कैसे होती है (Sugar White)

गन्ने से तैयार की गयी शक्कर को सफ़ेद रंग देने के लिए चीनी को हड्डियों के कोयले से प्रोसेस करते है | यदि यह प्रोसेस न किया जाए तो चीनी में सफ़ेद और चमकदार रंग नहीं पाया जा सकेगा | गन्ने से रस निकाल कर उसे उबालते है, रस उबालते समय केमिकल का इस्तेमाल करते है | इस दौरान रस में मौजूद सभी विटामिन्स और मिनरल्स को निकाल देते है | जिसके बाद चीनी में सिर्फ ग्लूकोज बचता है | अब चीनी को हड्डियों के कोयले से छान लेते है, जिसके बाद शक्कर तैयार हो जाती है | कई बाद 1 KG शक्कर में 50 से 70 MG सल्फर की मात्रा रह जाती है | सल्फर वाली चीनी को भारत के अलावा भी कई देशो में बनाया जाता है, किन्तु अमेरिका और यूरोप में भारतीय चीनी को नहीं पसंद करते है | इन देशो में 10 से 20 MG सल्फर वाली चीनी का उपयोग करते है |

भारत में चीनी का उत्पादन (India Sugar Production)

देश के बड़े जानकारों द्वारा एकत्रित किए गए आकड़ो के अनुसार आने वाले समय में भारत ब्राजील को पीछे छोड़ते हुए चीनी उत्पादन के मामले में आगे आ जायेगा | वर्ष 2021 में मिले आकड़ो से पता चला है, कि पिछले वर्ष की तुलना में 31% चीनी का अधिक उत्पादन हुआ है | जो तक़रीबन 142.70 लाख टन है |

भारत में प्रतिवर्ष लगभग 140 से 155 लाख टन चीनी की खपत होती है, तथा 180 लाख टन के आस पास उत्पादन होता है, जिसमे से कुछ हिस्सा विदेशो में निर्यात भी किया जाता है |

शरीर के लिए कितनी जरूरी है चीनी (Sugar Important For Body)

WHO (World Health Organization) के अनुसार एक व्यक्ति को एक दिन में केवल 6-7 चम्मच चीनी का सेवन करना चाहिए | इसका अर्थ यह है, की एक दिन में केवल 25 से 30 GM चीनी ही खानी चाहिए| शरीर को कार्य करने के लिए ताकत की आवश्यकता होती है | जिस वजह से कोशिकाए खून से ग्लूकोज यानि ऊर्जा प्राप्त करती है | इस तरह से शक्कर शरीर के लिए उपयोगी होती है | रक्त में मौजूद शक्कर कार्य करती रहती है, और शुगर की मात्रा भी नियंत्रित रहती है| इस तरह से कम मात्रा में ग्लूकोज के रूप में ली जाने वाली शक्कर नुकसानदेह नहीं होती है |

चीनी खाने की हनिया (Sugar Cravings)

  • चीनी हमारे खून को गाढ़ा करती है, और खून गाढ़ा हो जाने पर खून हमारे शरीर के सभी हिस्सों में नहीं पंहुचा पाता है, जिससे हमारी हड्डियों और दांत में कई तरह के रोग उत्पन्न होने लगते है |
  • खून में चीनी की मात्रा अधिक हो जाने पर ग्लूकोज़ कोशिकाओं में प्रोटीन चिपक जाता है, जिससे कोशिकाए क्रियाए नहीं कर पाती है | जिस वजह से आँख के रोग, गुर्दे के रोग और शरीर के अंगो का फटना शुरू हो जाता है | 
  • खून में सामान्य से अधिक चीनी की मात्रा हो जाने पर कोशिकाए मरने लगती है, और कोशिकाओं के RNA और DNA का रूपांतरण यूरिन में होने लगता है, जिसके बाद यूरिन से अधिक मात्रा में यूरिक एसिड उत्पन्न होता है | यह यूरिक एसिड रक्त में नाइट्रिक ऑक्साइड को घटा कर बढ़ा देता है, जिससे रक्त की नलिकाओं के स्मूथ मसल्स सेल्स सिकुड़ने लगते है, जिस वजह से रक्त चाप बढ़ जाता है | यह प्रक्रिया गुर्दे ख़राब होने का कारण होती है, और इसी तरह से यूरिक एसिड मोटापा, स्ट्रोक, हृदय रोग और उच्च रक्त चाप का मुख्य कारण भी है |
  • चीनी को पचाते समय उत्पन्न विषैले तत्व हमारी नाडी संस्थान व् मस्तिष्क में एकत्रित हो जाते है, जिस वजह से इन जगहों की कोशिकाए मर जाती है, जिस कारण मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र जेसे रोग अधिक तेजी से आक्रमण करता है |

चीनी उद्योग के लिए गन्ने का भाव (Sugarcane Price Sugar Industry)

गन्ना किसानो के लिए शक्कर निर्माण उद्योग सेठ होते है | यदि बात करे उत्तर प्रदेश में गन्ना के भावो की तो आज के समय में गन्ने का भाव इस प्रकार है:-

  • ख़राब गुणवत्ता वाले गन्ने का भाव 310 रूपए प्रति क्विंटल है |
  • सामान्य प्रजाति वाले गन्नो का भाव 315 रूपए प्रति क्विंटल है |
  • अगैती प्रजाति वाले गन्नो का भाव 325 रूपए प्रति क्विंटल है |

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