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शीशम की खेती (Rosewood Farming) से सम्बंधित जानकारी
शीशम की खेती बहुउपयोगी वृक्ष के लिए की जाती है | यह फैबेसी परिवार का सदस्य है, जिसे ब्लैक वुड, शीसो और रोजवुड नाम से भी जानते है | इसकी लकड़ी अधिक मजबूत होती है, किन्तु फिर भी आप इसे व्यापारिक तौर पर ऊगा नहीं सकते है, क्योकि इसका वृक्ष बहुत ही धीमी गति से बढ़ता है | भारत में शीशम को लगभग सभी जगह पर ऊगा सकते है | इस वृक्ष की पत्तिया छोटी होती है | भारत की सबसे अच्छी लकड़ियों में शीशम को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है |
उत्तर प्रदेश राज्य में शीशम को सड़क व नहर के किनारे अधिक संख्या में लगाया जाता है | इसका वृक्ष अनुकूल वातावरण पाकर 25 मीटर तक ऊँचा और 2 मीटर तक चौड़ा हो सकता है | यदि आप भी शीशम के वृक्ष की पैदावार करना चाहते है, तो यहाँ पर आपको शीशम की खेती कैसे करें (Indian Rosewood Farming in Hindi), और शीशम की लकड़ी का क्या रेट है, के बारे में जानकारी दी जा रही है |
शीशम की खेती में सहायक मिट्टी व जलवायु (Rosewood Cultivation Soil and Climate)
शीशम की खेती के लिए रेतीली भूमि की जरूरत होती है | नम भूमि को शीशम के पौधों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है| किन्तु जल भराव बिल्कुल न हो | इसका वृक्ष कड़ी मटियार में कम और बीहड़ो की कटी मिट्टी में अच्छे से वृद्धि करता है |
शीशम के पौधे सामान्य जलवायु में ठीक से वृद्धि करते है, तथा बारिश के मौसम में इसके पौधों को 750 से 1500 MM तक वर्षा की जरूरत होती है | इसके अलावा नदी के किनारे वाले इलाको में जहा पर बारिश का पानी भर जाता है, वहां शीशम के पौधे अपने आप उग जाते है | इसके पौधे अधिकतम 49 डिग्री तथा न्यूनतम 4 डिग्री तापमान ही सहन कर सकते है |
शीशम के खेत की तैयारी (Rosewood Field Preparation)
शीशम की खेती में समतल भूमि की जरूरत होती है | इसलिए सर्वप्रथम खेत की गहरी जुताई कर दी जाती है | जुताई के बाद खेत की मिट्टी के अनुसार गोबर की खाद और रासायनिक उवर्रक की मात्रा को भी डाल सकते है | इसके बाद खेत में पानी लगा देते है | पानी लगाने के कुछ दिन बाद रोटावेटर लगाकर खेत की जुताई कर दी जाती है, और फिर खेत को समतल कर देते है, इससे खेत में पानी नहीं ठहरता है | इसके बाद पौधों को लगाने के लिए उचित दूरी पर गड्डो को तैयार कर लिया जाता है |
शीशम की लकड़ी के उपयोग (Rosewood Uses)
- शीशम एक ऐसा वृक्ष है, जिसके सभी भागो को इस्तेमाल में लाते है |
- इसके पेड़ से छाल, पत्तो और तेल भी मिल जाता है | शीशम से निकलने वाले तेल का उपयोग मशीनों में चिकनाई बनाये रखने के लिए करते है |
- यह इमारती लकड़ियों में सबसे अच्छी मानी जाती है | इसकी लकड़ी से खिड़की के फ्रेम, दरवाजे, बिजली के बोर्ड और रेलगाड़ी के डब्बे जैसी चीजों को बनाते है |
- शीशम की लड़की को ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते है, तथा ताजी पत्तिया पशुओ के लिए हरा चारा होता है |
- शीशम के वृक्ष से निकलने वाली पत्ती, छाल, बीज और जड़ो से अलग – अलग प्रकार की औषधियों बनाई जाती है |
- सौन्दर्य प्रसाधन के चीजों में भी शीशम का उपयोग किया जाता है |
शीशम की उन्नत किस्में (Rosewood Improved Varieties)
देसी शीशम
शीशम की इस साधारण क़िस्म में पेड़ो को तैयार होने में 25 से 30 वर्ष का समय लग जाता है | इस क़िस्म में पेड़ धीमी गति से और टेड़ा – मेड़ा बढ़ता है | इसके पेड़ में शाखाए अधिक मात्रा में निकलती है, तथा लकड़ी हल्के बादामी रंग की होती है | इसमें रोग लगने का खतरा भी अधिक होता है | इसका 20 वर्ष पुराना वृक्ष कटाई के लिए तैयार हो जाता है |
हाइब्रिड शीशम – मेगा एफ
यह एक रोग रोधी क़िस्म है, जिसके पौधों में कीड़े बिल्कुल नहीं लगते है | देशी क़िस्म की तुलना में यह अधिक तेजी से बढ़ने वाली क़िस्म है, जिसे तैयार होने में 8 से 10 वर्ष का समय लग जाता है | इसका वृक्ष बिल्कुल सिधाई में बढ़ता है, जिसमे शाखाएं कम मात्रा में निकलती है | यह अधिक तेजी से बढ़ने वाली क़िस्म है, जिसमे लकड़ी गहरे बादामी रंग की होती है, तथा 80 प्रतिशत तक लाल लकड़ी पाई जाती है | इसके 5 से 7 वर्ष पुराने पेड़ो को काटा जा सकता है |
बीज की मात्रा व् उपचार (Seed Dosage and Treatment)
एक एकड़ के खेत में शीशम के पेड़ो को उगाने के लिए 70 ग्राम बीज की जरूरत होती है | इन बीजो को नर्सरी में तैयार करने से पहले उपचारित जरूर कर ले | इसके अलावा बीजो को पानी में 12 से 24 घंटे तक भिगोये रखने से अंकुरण तेजी से होता है |
शीशम की नर्सरी (Rosewood Nursery)
शीशम के बीजो को खेत में लगाने से पहले नर्सरी में उसकी पौध को तैयार कर लिया जाता है | इस दौरान बीजो की बुवाई फ़रवरी से मार्च माह के मध्य की जाती है | बीजो की बुवाई के लिए प्रसारण या डबलिंग विधि को अपनाया जाता है, लेकिन डबलिंग विधि को अधिक महत्त्व दिया जाता है | इन बीजो को पॉलीथिन बैग में लगाते है, तथा एक बैग में दो से तीन उपचारित बीजो को डाला जाता है | पॉलीथिन बैग में इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी में खाद की मात्रा 2:1 के अनुपात में होनी चाहिए, ताकि बीज का अंकुरण 7 से 21 दिन में आसानी से हो जाए |
शीशम के पौधों की रोपाई (Rosewood Plant Planting)
शीशम के पौधों की रोपाई पौध के जरिये की जाती है | शीशम के पौधों की रोपाई दो तरह से कर सकते है, पहला मेड़ पर और दूसरा खेत में | खेत के किनारे तैयार मेड़ पर पौधों को 4 मीटर की दूरी पर लगाना होता है, तथा खेत में लगाए गए पेड़ो के मध्य 3 मीटर की दूरी रखे | शीशम के पौधों को तैयार होने में अधिक समय लग जाता है, इसलिए शीशम के साथ सरसों, अरंडी, मक्का, मटर, चना, गन्ना, गेहूं और कपास की खेती आसानी से कर सकते है |
यदि आप पौधों की ठीक से देश रेख करते है, तो आपको एक वर्ष की आयु वाले पौधे 85 से 90 फीसदी तक जीवित मिल जाते है | सिंचित क्षेत्रों में शीशम के पौधों की रोपाई अप्रैल के महीने में तथा असिंचित जगहों पर पौधों को जून से जुलाई के महीने में लगाना होता है |
शीशम के पौधों की सिंचाई (Rosewood Plants Irrigation)
शीशम के पौधों को वृद्धि करने के लिए नमी की जरूरत होती है | इसलिए इसकी पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है | असिंचित क्षेत्रों में जहां पर वर्षा समय पर नहीं होती है, वहां पौधों को 10 से 15 सिंचाई की जरूरत होती है |
शीशम के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Rosewood Plants Weed Control)
शीशम के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए समय – समय पर खेत में जरूरत के अनुसार खरपतवार पर नियंत्रण जरूर करे है | इसके लिए निराई – गुड़ाई वाले प्राकृतिक विधि का इस्तेमाल करे | इसके पौधों को सामान्य तौर पर एक वर्ष में दो से तीन गुड़ाई की जरूरत होती है |
शीशम के पौधों की देखभाल (Rosewood Plant Care)
शीशम के पेड़ो का विकास ठीक तरह से हो सके इसके लिए 6, 8 और 12 वर्ष पुराने पेड़ो की कटाई छटाई अवश्य करे | इस दौरान पेड़ पर मुख्य तने से निकलने वाली शाखाओ को निकाल दे, ताकि वृक्ष अधिक तेजी से वृद्धि कर सके | इसके अलावा पोधो के पास पानी का भराव न होने दे, इससे पेड़ो में कई रोग लग सकते है |
शीशम के पौधों में रोग व् कीट नियंत्रण (Rosewood Plants Disease and Pest Control)
रोग
शीशम के पौधों में अक्सर कवक जनित रोग देखने को मिल जाते है | इस रोग से प्रभावित पौधे की पत्तिया व् टहनिया सूखकर नष्ट हो जाती है | इस रोग के लगने का सबसे बड़ा कारण जल भराव है | इसलिए जलभराव वाली भूमि में शीशम की फसल बिल्कुल न करे, तथा जहां पर इस तरह का प्रकोप हो गया हो वहां पर दोबारा शीशम की खेती न करे |
कीट प्रकोप
शीशम के पौधों पर कीट का प्रकोप कई रूप में आक्रमण करता है | इसमें डिफोलिएटर, स्टेम बोरस और लीफ माइनर कीट शामिल है | इस तरह के कीट रोग पौधों पर दिखाई दे तो पौधों की टहनियों को काटकर अलग कर दे, ताकि रोग अधिक आक्रामक न हो सके |
शीशम के पेड़ की कटाई (Rosewood Tree Cutting)
शीशम के पेड़ बीज रोपाई के तक़रीबन 30 वर्ष बाद 1 फुट से अधिक चौड़ा हो जाता है | इस दौरान इसकी कटाई की जा सकती है | इसके एक पेड़ से आधा घन मीटर लकड़ी प्राप्त हो जाती है | जिसकी बाजार में कीमत न्यूनतम 5 हज़ार रूपए तक होती है | इस तरह से यदि आप एक हेक्टेयर के खेत में 100 पेड़ो को लगाते है, तो आप 30 वर्ष में शीशम के पेड़ो से 5 लाख तक की कमाई कर सकते है, तथा प्रति वर्ष टहनियों की छटाई कर ईंधन के लिए लकड़ी प्राप्त हो जाती है |