काहू की खेती कैसे होती है | Kahu Farming in Hindi PDF | काहू का रेट


काहू की खेती कैसे होती है (Kahu Farming in Hindi PDF)

काहू की खेती सलाद वाली फसल के लिए की जाती है| किसान भाई अक्सर ही पानी की कमी या पानी की अधिकता होने के चलते अपनी फसल के बर्बाद होने से परेशान रहते है| कई बार मौसम और दलाल के चलते किसान भाइयो को लाखो का नुकसान भी उठाना पड़ता है| ऐसे में किसान भाई काहू की खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते है| बाज़ारो में काहू की फसल अच्छे दामों पर बिक जाती है|




काहू की अच्छी कमाई को देखते हुए किसानो की रुचि काहू की फसल की और देखने को मिल रही है| यदि आप भी काहू की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस अर्टिकल में आपको काहू की खेती कैसे होती है (Kahu Farming in Hindi PDF) तथा काहू का रेट क्या है, इसके बारे में जानकारी दी जा रही है|

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काहू की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी (Kahu Cultivation Soil Required)

काहू की खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है, किन्तु खेत उचित जल निकासी वाला होना चाहिए| इसकी खेती में भूमि का P.H. मान सामान्य होना चाहिए| इसके पौधे अधिक गर्मी में ख़राब हो जाते है| हल्की वर्षा पौधों के लिए उपयुक्त होती है| फसल की अच्छी पैदावार के लिए सामान्य तापमान चाहिए होता है| काहू के पौधे अधिकतम 25 डिग्री तथा न्यूनतम 12 डिग्री तापमान पर ठीक से विकास करते है| 

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काहू के भूमि की तैयारी और उवर्रक (Kahu’s Land Preparation and Fertilization)

काहू के खेत में सबसे पहले सफाई कर गहरी जुताई कर दी जाती है| इसके बाद पुरानी फसल के अवशेष खेत से निकाल दिए जाते है| इसके बाद कुछ दिन तक खेत को ऐसे ही छोड़ दे, फिर खेत में 12 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालकर जुताई कर दे| इससे खाद और मिट्टी आपस में अच्छे से मिल जाती है| खाद को मिट्टी में मिलाने के बाद उसमे पानी लगा दे| पानी लगे खेत को सूखने के लिए छोड़ दे| खेत सूख जाने पर रोटावेटर लगाकर खेत की जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर दे| इसके बाद पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दे|

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काहू के बीज बुवाई का समय और तरीका (Kahu Seeds Planting Method)

काहू के बीजो को बीज और पौध दोनों ही तरीको से लगा सकते है| एक एकड़ के खेत में बीज बुवाई के लिए 250 GM लगते है| इसके अलावा प्रति एकड़ के खेत में तक़रीबन 32000 पौधे लगाये जा सकते है|  इसके बीजो की बुवाई खेत में तैयार मेड़ पर की जाती है| इन मेड़ो को पंक्ति में तैयार कर लेते है, जिसमे पंक्ति से पंक्ति के बीच दो फ़ीट की दूरी हो| इन मेड़ो पर पौधों को एक फ़ीट के अंतराल पर लगाया जाता है|

इसके पौधों की रोपाई अक्टूबर माह के अंत तक कर देनी चाहिए| जिसके बाद यह फ़रवरी माह के अंत तक फसल देना आरम्भ कर देते है| जब काहू के पौधे तुड़ाई के लिए तैयार होने वाले होते है, उस दौरान बारिश हो जाने पर फसल ख़राब होने का खतरा रहता है| इसलिए फसल तैयार होने के अंतिम समय में जल्द से जल्द कटाई करने का प्रयास करे|

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काहू के पौधों की सिंचाई (Kahu Plants Irrigation)

काहू के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है| चूंकि इसके पौधों को ठन्डे मौसम में लगाया जाता है, इसलिए पहली सिंचाई बुवाई के 5 से 7 दिन बाद की जाती है| इसके पौधों के लिए 3 से 4 सिंचाई ही पर्याप्त होती है| काहू के फसल की बाद की सिंचाई पहली सिंचाई के 15 से 20 दिन के अंतराल में करना होता है|

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काहू के फायदे (Kahu Benefits)

काहू के बीजो की तुलना खुरफा के बीजो से कर सकते है| इसकी पत्तिया रक्त को शुद्ध करने में लाभकारी होता है, तथा पित्त को भी शांत करती है| इसके अलावा काहू कई तरह के रोग में लाभकारी है, जो इस प्रकार है :-

  • हस्तमैथुन के उपचार में:- वह युवक जो हस्तमैथुन कर अपने शरीर का नाश कर चुके है| वह जंगली काहू के 1 से 3 ग्राम बीजो के चूर्ण का सेवन कर अपनी कामवासना को नियंत्रित करके हस्थमैथुन से उत्पन्न दोष को दूर कर सकते है|
  • स्तन रोग के उपचार के लिए :- जिन महिलाओ के स्तन में दूध जम चुका होता है| वह इसके बीज के चूर्ण को सिरके के साथ मिलाकर उसका लैप स्तन पर लगाए| इससे जमे हुए दूध की समस्या दूर हो जाती है| इसके अलावा स्तन में दूध की मात्रा अधिक हो जाने पर काहू, जीरा व् मसूर के चूर्ण को सिरके के साथ मिलाकर उसके लेप को स्तन पर लगाए| इससे स्तन में दूध की मात्रा कम हो जाती है|
  • पेट में कीड़े हो जाने पर :- पेट में कीड़े की समस्या हो जाने पर काहू के बीज, राल, लोहबान, बायबिडंग, कलिहारी, कूठ, खस और भिलाव को मिलाकर उसके चूर्ण को तैयार कर ले| इसके बाद उस चूर्ण को आग में जलाकर उसका धुआँ लेने से पेट में मौजूद कीड़े मर जाते है|
  • वीर्य की कमी के लिए :- जिन पुरुषो का वीर्य पतला हो चुका है, वह काहू के 1 से 3 ग्राम बीजो की मात्रा का चूर्ण तैयार कर उसे मिश्री मिले दूध में डालकर खाए| इससे वीर्य तेजी से बढ़ता है, और शक्तिशाली भी होता है|

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काहू का रेट, पैदावार और लाभ (Kahu Price Crop Yield and Benefits)

काहू की फसल 110 से 120 दिन पश्चात तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| इसके अलावा यदि आप बीजो की पैदावार प्राप्त करना चाहते है, तो फसल की तुड़ाई बीज आने पर ही करे| इसके पौधों की तुड़ाई कर उसे धूप में अच्छी तरह से सूखा लिया जाता है| सूखे हुए पौधों से बीजो को निकालकर एकत्रित कर ले| इन बीजो को कई वर्ष तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है| एक एकड़ के खेत में तक़रीबन ढाई से तीन क्विंटल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है, जिसका बाज़ारी भाव 60 से 70 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल होता है| इस तरह से किसान भाई काहू की एक बार की फसल से अधिक कमाई कर लेते है|

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