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वर्टीकल फार्मिंग या खड़ी खेती (Vertical Farming) से संबंधित जानकारी
आज के समय में खेती के क्षेत्र में नई-नई तकनीकों का प्रयोग कर खेती करने का चलन तेज़ी से हो रहा है | ऐसे ही एक और नई तकनीक वर्टिकल/खड़ी खेती का है | देश में लगातार कृषि योग्य भूमि की दर के कम होने की स्थिति में कम जगह में अधिक पैदावार वाली खेती की तकनीकों की आवश्यकता बढ़ी है | इसको देखते हुए वर्टिकल खेती का चलन तेजी से बढ़ा है|
वर्टिकल खेती को एक तरह से शहरी खेती भी कहते है | यदि आप भी वर्टिकल खेती (Vertical Farming) करना चाहते है और इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो यहाँ पर वर्टीकल फार्मिंग या खड़ी खेती क्या होती है, Vertical Farming in Hindi, प्रकार व लाभ आदि से जुड़ी जानकारी इस पोस्ट में दी गई है|
वर्टीकल फार्मिंग या खड़ी खेती क्या होती है (What is Vertical Farming)
खड़ी खेती (Vertical Farming) सामान्य रूप से खुली जगह तथा इमारतों व अपार्टमेंट की दीवारों का उपयोग कर छोटी – मोटी फसल को उगाने में किया जाता है | यह एक तरह की मल्टी लेवल पद्धति है | इस तरह की खेती में एक कमरे में बहु-सतही ढांचा खड़ा किया जाता है | इस ढाँचे के निचले हिस्से में पानी से भरा टैंक होता है | टैंक की ऊपरी सतह में पौधों के छोटे-छोटे गमले रखे जाते है | पम्प का उपयोग कर पोषक तत्व युक्त पानी को धीरे – धीरे इन पौधों तक पहुंचाया जाता है | इससे पौधों में तेजी से वृद्धि होती है | प्रकाश उत्पन्न करने के लिए LED बल्बों का इस्तेमाल किया जाता है |
इस तरह की खेती में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, तथा उगाई गई फसल खेतो के मुकाबले अधिक पौष्टिक व ताजी होती है | यदि आप इस तकनीक का इस्तेमाल खुली जगह में करते है, तो आपको तापमान नियंत्रण करना होगा | इसमें ऐरोपोनिक, एक्वापोनिक और हाइड्रोपोनिक जैसे माध्यमों का उपयोग किया जाता है | इस तरह की खेती का एक लाभ यह भी है की इसमें बहुत ही कम पानी का इस्तेमाल होता है इसमें लगभग 95% पानी की बचत होती है | शहर में बने घर की छतो, बालकनी, और बहुमंजिला इमारतों के कुछ हिस्सों में उगाई गई फसल भी वर्टिकल कृषि का ही एक रूप है|
वर्टिकल खेती से होने वाली कमाई (Vertical Farming Earnings)
खड़ी खेती में अधिक जगह की आवश्यकता नहीं होती है | इसमें एक गमले से लेकर एक एकड़ तक की भूमि में फसल का उत्पादन किया जा सकता है | इस तरह की खेती में बेल तथा छोटे पौधों वाली फसलों को अधिक उगाया जाता है जैसे :- लौकी, टमाटर , मिर्च , धनिया , खीरा तथा पत्तेदार सब्जिया शामिल है | खेतो में की जाने वाली खेती की तुलना में खड़ी खेती में बैल की फसल का उत्पादन अधिक होता है, क्योकि इसमें बारिश के समय फसल ख़राब होने का खतरा नहीं होता है |
परंपरागत खेती में पौधों में पानी देते समय फल और पौधे कई बार ख़राब भी हो जाते है | इस तकनीक की एक खास बात यह भी है कि इसमें रासायनिक खाद तथा कीटनाशक दवाइयों की आवश्यकता नहीं होती है | इसमें होने वाला उत्पादन पूरी तरह से ऑर्गेनिक होता है|
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खड़ी खेती के लाभ (Vertical Farming Benefits)
- इस तकनीक में कम जगह में अधिक फसल का उत्पादन किया जा सकता है |
- इसमें फसल के ख़राब होने का कोई खतरा नहीं होता है, क्योकि वर्टिकल खेती में कृत्रिम प्रकाश और आवरण का निर्माण किया जाता है जिससे फसल पर मौसम का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता |
- परंपरागत खेती में फसल को बचाये रखने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खाद तथा हानिकारक कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा भी रहता है वही अगर खड़ी खेती (Vertical Farming) की बात करे तो इसमें किसी तरह के रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों का उपयोग नहीं होता है|
- वर्टिकल खेती में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है|
- भविष्य में यह तकनीक काफी उपयोग में लाने वाला विकल्प है|
- इस तकनीक से किसानो की आय में कई गुना वृद्धि होगी, जिससे उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा|
- इसमें खेती के लिए अधिक लोगो की जरूरत नहीं होती है क्योकि यह स्वचलित तकनीक होती है|
वर्टीकल फार्मिंग या खड़ी खेती का उदाहारण
मशरूम की खड़ी खेती (Mushroom Vertical Farming)
वर्टिकल खेती में अधिकतर उद्यमी लेटिस, ब्रोकली, औषधीय व् सुगन्धित जड़ी – बूटियों, फल तथा सजावटी पौधे , टमाटर, बैगन , मझोली आकार की फसलें और स्ट्राबेरी जैसे फलो को उगाया जाता है |
वर्टिकल खेती का सबसे अच्छा उदाहरण अलमारियों में ट्रे में लगाए गए मशरूम की खेती है | उच्च तकनीकी खेती का एक अन्य उदाहरण टिश्यू कल्चर की खेती है | इसमें सिंथेटिक बीजो को टेस्ट ट्यूब प्रक्रिया द्वारा उगाया जाता है | यह सभी उत्पाद कीट ,कीटनाशक और बीमारी रहित होते है | अच्छी गुणवत्ता के चलते इनके मूल्य भी अधिक होते है|
भारत में वर्टिकल खेती का चलन (The Practice of Vertical Farming in India)
भारत में खड़ी खेती (Vertical Farming) का चलन अभी कम है किन्तु कुछ विश्वविद्यालयो में अभी इस तकनीक पर शोध हो रहे है | मुख्य रूप से इस वर्टिकल कृषि को मेट्रो सिटी बंगलौर, हैदराबाद, दिल्ली और कुछ अन्य शहरो में किया जा रहा है | शुरुआती तौर पर इसे उद्यमियों ने शौक में चालू किया किन्तु बाद में इसे व्यावसायिक उधम का रूप दे दिया गया |
इन शहरो के उद्यमी हाइड्रोपोनिक्स और एयरोपोनिक्स जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर करते है खड़ी खेती करने में तकनीकी ज्ञान का होना बहुत जरूरी है| अमेरिका, चीन, सिंगापुर और मलेशिया तथा कई ऐसे देश भी है, जहां यह फार्मिंग पहले से हो रही है|
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वर्टीकल फार्मिंग या खड़ी खेती की उत्पत्ति (Vertical Farming Origin)
वर्टीकल फार्मिंग या खड़ी खेती की अवधारणा पहली बार वर्ष 1999 में डिक्सन डेस्पोमियर (Dixon Despomier) द्वारा शुरू की गई थी। जो कोलंबिया विश्वविद्यालय (Columbia University) में सार्वजनिक और पर्यावरण स्वास्थ्य (Public and Environmental Health) के प्रोफेसर थे। न्यूयॉर्क गगनचुंबी इमारतों की छतों पर भोजन उगाया जा सकता है या नहीं, इस पर अपने छात्रों को चुनौती देते हुए एक अवधारणा बनाई गई| जिसमें हाइड्रोपोनिक्स और कृत्रिम प्रकाश द्वारा उगाए गए 30 मंजिला लंबवत खेत लगभग 50,000 लोगों को खिला सकते थे।
हालांकि प्रोफेसर नें फार्म का निर्माण नहीं किया गया था, इस विचार ने आगे बढ़कर कई डिजाइनों को प्रेरित किया। नतीजतन दुनिया भर की सरकारें और डेवलपर्स खड़ी खेती पर ध्यान देने लगे और इसे अबू धाबी, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, बैंगलोर, दुबई, बीजिंग आदि शहरों में लागू किया जाने लगा। वर्ष 2014 और नवंबर 2020 के बीच इसमें लगभग 1.8 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया था।
वर्टीकल फार्मिंग या खड़ी खेती के प्रकार (Vertical Farming Types)
1. इमारतों में लंबवत खेत (Vertical Farm in Buildings)
परित्यक्त इमारतों (Abandoned Buildings) को वर्टीकल फार्मिंग के लिए पुनर्निर्मित किया जाता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि ऐसी इमारतों का अक्सर उपयोग किया जाए। आवश्यकताओं के आधार पर ऊर्ध्वाधर खेतों के निर्माण के लिए नए भवनों का भी उपयोग किया जाता है।
2. शिपिंग-कंटेनर वर्टिकल फार्म (Shipping-container Vertical Farm)
पुराने या पुनर्नवीनीकरण शिपिंग कंटेनर एलईडी प्रकाश व्यवस्था, वर्टीकल खेतों, जलवायु नियंत्रण और निगरानी सेंसर से लैस हैं। इस प्रकार के खेत जगह बचा सकते हैं और इस प्रक्रिया में अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
3. भूमिगत लंबवत फार्म (Underground Vertical Farm)
इसे ‘डीप फार्म’ के रूप में भी जाना जाता है| इस प्रकार के वर्टीकल फार्म भूमिगत सुरंगों, परित्यक्त खदान शाफ्ट या किसी भी भूमिगत वातावरण में बनाए जाते हैं। निरंतर तापमान और आर्द्रता का मतलब है, कि उन्हें गर्म करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है और पानी की आपूर्ति के लिए भूमिगत जल स्रोत का उपयोग किया जा सकता है। ऐसे खेत पारंपरिक खेत की तुलना में 7 से 9 गुना अधिक भोजन का उत्पादन भी कर सकते हैं।
वर्टीकल या खड़ी खेती की तकनीक (Vertical Farming Techniques)
हीड्रोपोनिक्स तकनीक (Hydroponics)
हाइड्रोपोनिक्स मिट्टी की भागीदारी के बिना पौधों को उगाने की विधि है। यहां पौधों की जड़ें मैग्नीशियम, नाइट्रोजन, पोटेशियम कैल्शियम आदि में डूबी हुई हैं। ये समाधान जड़ों का समर्थन करते हैं, उच्च उपज की संभावना में सुधार करते हैं और पानी पर निर्भरता कम करते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि परंपरागत खेतों की तुलना में 13 गुना कम पानी की कीमत पर 11 गुना उपज हुई है। इस प्रकार खड़ी खेती में हाइड्रोपोनिक्स सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली विधि है।
एक्वापोनिक्स तकनीक (Aquaponics Techniques)
यह थोड़ा उन्नत तरीका है कि हाइड्रोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स प्रकृति के समान एक बंद लूप सिस्टम में जलीय जीवों के साथ पौधों के उत्पादन को एकीकृत करता है।
एरोपोनिक्स तकनीक (Aeroponics Techniques)
जैसा कि नाम से पता चलता है, एरोपोनिक्स ठोस या तरल जैसे माध्यमों का उपयोग नहीं करता है बल्कि पौधों को विकसित करने के लिए हवा का उपयोग करता है। हवा में एक तरल घोल का उपयोग किया जाता है जहां पौधे स्थित होते हैं| जिसके माध्यम से पौधे पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं। यह सबसे उपयुक्त तरीका है क्योंकि इसमें न तो पानी की आवश्यकता होती है और न ही मिट्टी की और न ही किसी बढ़ते माध्यम की आवश्यकता होती है।
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वर्टीकल फार्मिंग या खड़ी खेती कैसे काम करती है (How Vertical Farming Works)
- प्रकाश :- खड़ी खेती या वर्टीकल फार्मिंग में फसलों की खेती एक टावर की तरह खड़ी परतों में की जाती है| कमरे में सही प्रकाश स्तर बनाए रखने के लिए प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी का एक आदर्श संयोजन उपयोग किया जाता है। रोटेटिंग बेड जैसी तकनीकों का उपयोग प्रकाश दक्षता में सुधार के लिए किया जाता है। यह अवशोषित सूर्य के प्रकाश की मात्रा को बढ़ाता है, इसलिए प्रकाश संश्लेषण को बहुत कुशल बनाता है।
- ग्रोइंग मीडियम:- वर्टिकल फार्मिंग में मिट्टी की जगह एरोपोनिक, एक्वापोनिक या हाइड्रोपोनिक ग्रोइंग मीडियम का इस्तेमाल किया जाता है। पीट काई या नारियल की भूसी और इसी तरह के गैर-मिट्टी के माध्यम खड़ी खेती में बहुत आम हैं। पौधों को मिट्टी रहित धुंध में उगाया जाता है, जिसे आंतरिक सूक्ष्म जेट से छिड़का जाता है। चूंकि खेतों में जड़ें खुली होती हैं और अधिक ऑक्सीजन के संपर्क में आती हैं, इसलिए पौधे/फसल तेज दर से बढ़ने में सक्षम होंगे।
- एक कपड़ा माध्यम:- अंत में कपड़े के माध्यम का उपयोग बीज बोने, अंकुरण (जब बीज अंकुरित होते हैं), पौधों को उगाने और कटाई के लिए किया जाता है।
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खड़ी खेती के नुकसान (Vertical Farming Disadvantages)
- आर्थिक व्यवहार्यता (Economic Viability):- इस प्रकार का खेत आधुनिक इंजीनियरिंग और वास्तुकला के साथ-साथ विभिन्न तकनीकों के अनुप्रयोग पर बहुत अधिक निर्भर करता है। महंगी इमारतों में वर्टिकल फार्म बनाने से कुल निवेश और परिचालन लागत में इजाफा होता है।
- परागण में बाधा (Pollination Barrier):- खड़ी खेती कीटों की उपस्थिति के बिना नियंत्रित वातावरण में होती है। जैसे, परागण प्रक्रिया को मैन्युअल रूप से करने की आवश्यकता होती है, जो श्रम गहन और महंगा होगा।
- अधिक श्रम लागत (Higher Labor Cost):- वर्टीकल खेती में शहरी केंद्रों में उनकी एकाग्रता के कारण श्रम लागत और भी अधिक हो सकती है, जहां मजदूरी अधिक होती है| साथ ही अधिक कुशल श्रम की आवश्यकता होती है। हालांकि खड़े खेतों में स्वचालन से कम श्रमिकों की आवश्यकता हो सकती है। ऊर्ध्वाधर खेतों में मैन्युअल परागण अधिक श्रम-गहन कार्यों में से एक बन सकता है।
- ग्रामीण क्षेत्र में व्यवधान (Disruption in Rural Areas):- खड़ी खेती की एक और चुनौती और नुकसान में ग्रामीण क्षेत्र को बाधित करने की क्षमता शामिल है, विशेष रूप से वह समुदाय जिनकी अर्थव्यवस्थाएं कृषि पर निर्भर हैं। वर्टिकल फार्म पारंपरिक खेती की नौकरियों को अप्रचलित कर सकते हैं। जिन किसानों के पास खड़ी खेती करने की क्षमता नहीं है, उन्हें बेरोजगार छोड़ दिया जाएगा। कृषि पर निर्भर समुदायों को निश्चित रूप से नुकसान होगा।
वर्ष 2050 तक दुनिया की लगभग 80% आबादी के शहरी क्षेत्रों में रहने की संभावना है, और बढ़ती आबादी से भोजन की मांग में वृद्धि होगी। ऐसे में वर्टीकल फार्मिंग का उपयोग कर शायद इस प्रकार की चुनौतियों की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।