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पिस्ता की खेती (Pistachios Farming) से सम्बंधित जानकारी
पिस्ता की खेती ड्राई फ्रूट्स के रूप में की जाती है | ईरान को पिस्ता का जन्मदाता कहा जाता है | इसका पौधा अन्य पौधों की भांति ही सामान्य रूप से विकास करता है, जो एक बार तैयार हो जाने के बाद कई वर्षो तक पैदावार दे देता है, जिसमे निकलने वाला पिस्ता फल खाने में कई तरह से इस्तेमाल में लाया जाता है, तथा इसके दानो से तेल भी प्राप्त किया जाता है | पिस्ता का सेवन करने से डाइबिटीज, पिस्ता शुगर और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है |
भारत के राजस्थान राज्य की मिट्टी को पिस्ता की खेती के लिए उपयुक्त माना गया है, जिसके बाद प्रयोग के तौर पर इसके पौधों को लगाया गया है | यदि आप भी पिस्ता की खेती करने का सोच रहे तो इस आर्टिकल में आपको पिस्ता की खेती कैसे होती है (Pistachios Farming in Hindi) तथा पिस्ता का पेड़ कैसे लगाया जाता है? इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया जा रहा है |
पिस्ता की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Pistachios Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)
पिस्ता की खेती के लिए खास तरह की भूमि की जरूरत होती है, इसकी खेती के लिए हल्की क्षारीय भूमि की आवश्यकता होती है | जलभराव वाली भूमि में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए, क्योकि जलभराव से पौधों में कई तरह के रोग लग जाते है | 7 से 8 के मध्य P.H. मान वाली भूमि को इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है |
पिस्ता का पौधा अधिक गर्म जलवायु वाला होता है, इसकी खेती में उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु को सबसे उचित माना जाता है | गर्म जलवायु के अलावा इसका पौधा सर्दियों के मौसम में भी अच्छे से विकास करता है | किन्तु सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला पौधों को हानि पहुँचाता है | इसके पौधे सूखे को आसानी से सहन कर सकते है, इसलिए कम बारिश में भी पौधे सामान्य रूप से विकास करते है |
अधिक उच्च तापमान को पिस्ता की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है, आरम्भ में इसके पौधों को सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है | इसके अलावा जब पौधा 5 से 6 वर्ष का हो जाता है, तब इसके पौधों को अधिकतम 40 डिग्री तथा न्यूनतम 7 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है |
पिस्ते की उन्नत किस्में (Pistachios Improved Varieties)
वर्तमान समय में पिस्ते की खेती कलम रोपण विधि द्वारा की जा रही है | भारत में अभी इसकी खेती का इतना चलन नहीं है, किन्तु आने वाले समय में इसकी कई किस्मे देखने को मिल सकती है | भारत में अभी सिर्फ पीटर, रेड अलेप्पो, जॉली, चिकू और केरमन जैसी विदेशी किस्मों को उगाया जा रहा है | जिसमे निकलने वाला पौधा 30 फ़ीट तक लम्बा होता है, जिसे तैयार होने में 12 वर्ष का समय लग जाता है, और प्रत्येक पौधे से 8 से 12 KG की पैदावार प्राप्त हो जाती है |
पिस्ते के खेत की तैयारी और उवर्रक की मात्रा (Pistachio Field Preparation and Fertilizer Quantity)
पिस्ता की फसल उगाने से पहले उसके खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लिया जाता है | इसके लिए आरम्भ में खेत की मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर दी जाती है, इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है | जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है | इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है, पलेव के बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगती है, उस दौरान रोटावेटर लगाकर खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है |
इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, मिट्टी के भुरभुरा होने के पश्चात पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है | इससे खेत में जलभराव जैसी समस्या नहीं होती है | खेत को समतल करने के बाद पौध रोपाई के लिए गड्डो को तैयार कर लिया जाता है, यह गड्डे 5 से 6 मीटर की दूरी रखते हुए एक मीटर चौड़े और दो फ़ीट गहरे तैयार किये जाते है | इन गड्डो को पंक्तियो में तैयार कर ले, तथा प्रत्येक पंक्ति के मध्य 5 से 6 मीटर की दूरी रखे | पिस्ता के पौधों को अधिक मात्रा में उवर्रक की आवश्यकता होती है | इसके लिए तैयार गड्डो को भरते समय जैविक खाद और रासायनिक खाद को देना होता है |
जैविक खाद के रूप में 15 KG गोबर और तक़रीबन 300 GM तक रासायनिक उवर्रक की मात्रा को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर गड्डो को भर दिया जाता है | इसके बाद गड्डो की गहरी सिंचाई की जाती है, और उन्हें सूखी घास या पुलाव से ढक दिया जाता है | यह सभी गड्डे पौध रोपाई से एक माह पूर्व तैयार कर ले | इसके बाद जब पौधा 5 वर्ष का हो जाए, उस दौरान प्रत्येक वर्ष 20 KG जैविक खाद तथा 500 GM की मात्रा को रासायनिक खाद के रूप में देना चाहिए | इस उवर्रक की मात्रा को पौधों की वृद्धि के साथ-साथ बढ़ा दिया जाता है |
पिस्ता का पेड़ कैसे लगाया जाता है, सही समय और तरीका (Pistachio Plants Transplanting Right time and Method)
पिस्ता के बीज की रोपाई पौध के रूप में की जाती है | इसके लिए बीजो को नर्सरी में ग्राफ्टिंग या कलम विधि द्वारा तैयार कर लिया जाता है | यदि किसान भाई चाहे तो पौधों को किसी सरकारी रेजिस्टर्ड कंपनी से भी खरीद सकते है, ख़रीदे गए पौधे बिलकुल स्वस्थ होने चाहिए | इसके बाद इन पौधों को खेत में तैयार किये गए गड्डो में लगाना होता है | पौध लगाने से पूर्व तैयार किये गए गड्डो में एक छोटा सा गड्डा बना लिया जाता है, इन गड्डो को गोमूत्र या बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित कर लिया जाता है|
इससे पौधों को वृद्धि करने में किसी तरह की समस्या नहीं होती है| उपचारित गड्डो में पौधों को पॉलीथिन से हटाकर रोपाई कर दी जाती है | रोपाई के बाद पौध को चारो तरफ से मिट्टी से अच्छे से ढक दिया जाता है | बारिश का मौसम पौधों की रोपाई के लिए उपयुक्त माना जाता है, इस दौरान पौधों को विकास के लिए अच्छा वातावरण मिल जाता है | इससे पौधे आरम्भ में अच्छे से वृद्धि करते है | पिस्ता के पौधों की रोपाई जून और जुलाई के माह में की जाती है, इसके अलावा पौधों की रोपाई फ़रवरी और मार्च के माह में भी की जा सकती है |
पिस्ता के पौधों की सिंचाई (Pistachio Plant Irrigation)
पिस्ता के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, किन्तु आरंभ में पौध विकास के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है | गर्मियों के मौसम में इसके पौधों की सिंचाई सप्ताह में दो बार की जाती है, जबकि सर्दियों के मौसम में 15 से 20 दिन के अंतराल में पौधों को पानी दे | बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही पौधों की सिंचाई करे | पिस्ता का पौधा जब पूरी तरह से तैयार हो जाये, तब इसके पेड़ को वर्ष में 5 से 6 बार पानी देना होता है |
पिस्ता के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण (Pistachio Plants Weed Control)
पिस्ता के पौधों में खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिए प्राकृतिक विधि द्वारा निराई – गुड़ाई विधि का ही इस्तेमाल किया जाता है, रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार हटाने से पौधों को हानि होती है | इसके पौधों की पहली गुड़ाई पौध रोपाई के तक़रीबन 25 से 30 दिन बाद की जाती है, तथा बाद की गुड़ाई को दो से तीन महीने के अंतराल में करना होता है | इसके पूर्ण विकसित पौधे को वर्ष में दो से तीन गुड़ाई की आवश्यकता होती है |
पिस्ता के पौधों की देखभाल (Pistachio Plant Care)
पिस्ता के पौधों की ठीक तरह से देख रेख कर अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है, आरम्भ में इसके पौधों पर एक मीटर की ऊंचाई तक किसी तरह की शाखाओ को निकलने न दे | इससे पौधे का तना मजबूत बना रहता है | पौधे के बड़े हो जाने पर उसकी शाखाओ को काटकर अलग कर देना होता है, इससे पूरे पौधे को सूर्य का प्रकाश अच्छे से मिलता है |
इसके बाद जब पौधे पर फल आना आरम्भ कर देते है, उस दौरान प्रति वर्ष फूलो के खिलने से पहले उनकी छटाई कर दी जाती है | इसमें रोगग्रस्त और सूखी शाखाओ को हटा दिया जाता है, जिससे पौधे पर नई शाखाएं बनती है, और पैदावार भी अच्छी प्राप्त होती है |
पिस्ता की खेती से अतिरिक्त कमाई (Pistachio Farming Extra Income)
पिस्ता के पौधों को पैदावार देने में 5 वर्ष से अधिक का समय लगा जाता है, इस बीच यदि किसान भाई चाहे तो ख़ाली पड़ी भूमि में सब्जी, बागवानी फसल, औषधीय और मसाला फसलों को ऊगा कर अतिरिक्त कमाई कर सकते है | इससे उन्हें फसल के तैयार होने तक आर्थिक स्थितियों का सामना नहीं करना पड़ेगा |
पिस्ता के फलो की तुड़ाई, पैदावार और लाभ (Pistachio Fruit Harvesting Yield and Benefits)
पिस्ता के पौधों को तैयार होने में 6 वर्ष का समय लग जाता है, किन्तु अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए 10 से 12 वर्ष तक इंतजार करना होता है | जब इसके फलो से छिलका उतरता हुआ दिखाई दे, उस दौरान फलो की तुड़ाई कर लेनी चाहिए | इसके फलो को अधिक समय तक भंडारित किया जा सकता है |
इसके एक पेड़ से औसतन 8KG की पैदावार एक बार में प्राप्त की जा सकती है | पिस्ता का बाज़ारी भाव 800 से 1500 रूपए प्रतिकिलो तक होता है, जिससे किसान भाई इसके एक हेक्टेयर के खेत में उगाये गए पौधों से कई लाख की कमाई कर धनवान बन सकते है |