ब्रोकली की खेती कैसे होती है | Broccoli Farming in Hindi | ब्रोकली का भाव


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ब्रोकली की खेती (Broccoli Farming) से सम्बंधित जानकारी

ब्रोकली की खेती कच्ची सब्जी के रूप में की जाती है | यह देखने में बिल्कुल फूल गोभी की तरह ही होती है, किन्तु यह हरे रंग की होती है | इसलिए इसे हरी गोभी भी कहा जाता है | ब्रोकली का सेवन कच्चे के रूप में सलाद बनाकर अधिक मात्रा में किया जाता है | इसे उबालकर खाना भी मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है | ब्रोकली में कई प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते है, जिसको खाने से अनेक प्रकार की बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है | यह फल कैंसर और हृदय रोगो के लिए भी काफी लाभदायक होता है |




इसके फलो में मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक और कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो शरीर की हड्डियों को भी मजबूत करती है | इसके अलावा ब्रोकली में प्रोटीन की मात्रा भी काफी अधिक होती है, जिससे जिम करने वाले लोगो को भी ब्रोकली का सेवन करने के लिए कहा जाता है | इसलिए इसका बाज़ारी भाव भी काफी अच्छा होता है,जिससे किसान भाई ब्रोकली की खेती कर अच्छी कमाई भी कर सकते है | यदि आप भी ब्रोकली की खेती करना चाहते है, तो इस लेख में आपको ब्रोकली की खेती कैसे होती है (Broccoli Farming in Hindi) तथा ब्रोकली कितने रुपए किलो है इसके बारे में जानकारी दी जा रही है |

फूल गोभी की खेती कैसे होती है

ब्रोकली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Broccoli Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)

ब्रोकली की खेती करने के लिए उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है | चूँकि इसके पौधे कम ऊंचाई वाले होते है, इसलिए इसकी खेती वाली भूमि में उचित जल निकासी अवश्य हो | इसकी खेती के लिए मिट्टी का P.H. मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए| ब्रोकली की फसल ठंडी जलवायु वाली होती है, इसलिए इसकी खेती भारत में रबी की फसल के साथ की जाती है|

इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में ब्रोकली की खेती गर्मियों के मौसम में भी आसानी से की जा सकती है | इसके पौधों को अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती है | ब्रोकली के पौधे 20 से 25 डिग्री के तापमान पर अच्छे से अंकुरित हो जाते है, तथा 20 डिग्री तापमान में इसके पौधे अच्छे से विकास करते है |

ब्रोकली की उन्नत किस्में (Broccoli Improved Varieties)

नाइन स्टार

इस किस्म के पौधों को तैयार होने के लिए अधिक ठण्ड की आवश्यकता होती है| इसका फल दो से तीन फ़ीट तक लम्बा होता है, जिसमे निकलने वाले फलो का रंग हल्का सफ़ेद होता है| इसके पौधों को कलम और बीज के द्वारा ऊगा सकते है| यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 100 से 120 क्विंटल का उत्पादन दे देती है|

इटालियन ग्रीन स्प्राउटिंग

यह ब्रोकली की एक विदेशी किस्म है, जिसे भारत में बहुत कम उगाया जाता है| इसके पौधों में निकलने वाले फल बिल्कुल गोभी की तरह होते है,किन्तु इनका रंग हरा होता है| यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 100 क्विंटल की पैदावार दे देती है|

ग्रीन स्प्राउटिंग

ब्रोकली की यह किस्म 80 से 90 दिन में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है| इसके पौधों में लगने वाले फल का सिरा गुंथा हुआ और गहरा हरा होता है| यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 120 से 150 क्विंटल की पैदावार दे देती है |

ब्रोकोली संकर – 1

ब्रोकली की यह किस्म कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए उगाई जाती है| इसकी फसल पौध रोपाई के 60 से 65 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है | इसमें निकलने वाला फल रंग में हरा और गठीला होता है | जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 100 क्विंटल के आसपास होता है |

इसके अतिरिक्त भी ब्रोकली की कई उन्नत किस्मों को अलग-अलग जलवायु में अधिक पैदावार के लिए तैयार किया गया है, जो कि इस प्रकार है- पंजाब ब्रोकली, के टी एस 9, पालक समृद्धि, पेरिनियल, क्रुसेर, प्रिमिय क्राप, स्टिक, बाथम 29, ग्रीन हेड, केलेब्रस, पाईरेट पेकमे और क्लीपर आदि |

ब्रोकली के खेत की तैयारी और उवर्रक (Broccoli Field Preparation and Fertilizer)

ब्रोकली के खेत की आरम्भ में मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर दी जाती है | जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है | इसके बाद खेत में प्राकृतिक खाद के रूप में 10 से 12 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को डाल दिया जाता है | गोबर की खाद को खेत में डालने के बाद कल्टीवेटर द्वारा दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है, इससे खेत की मिट्टी में खाद अच्छी तरह से मिल जाती है | इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है | पलेव के कुछ दिन पश्चात् खेत की एक बार फिर से अच्छे से जुताई कर दी जाती है, इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है |

ब्रोकली के खेत में यदि आप रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहते है, तो उसके लिए आपको प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत की आखरी जुताई के समय तीन से चार बोरे N.P.K. की मात्रा को डालना होता है | इसके बाद पौधों की सिंचाई करते समय फूल लगने के दौरान 20 KG यूरिया की मात्रा को पौधों को दे |

ब्रोकली के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Broccoli Plants Transplanting Correct time and Method)

ब्रोकली के पौधों की रोपाई बीज और पौध दोनों ही रूप में की जाती है, इसके लिए बीजो को नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है | यदि आप चाहे तो तैयार पौधों को किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी खरीद सकते है, इससे आपका समय बचेगा और पैदावार भी जल्द प्राप्त होगी | किन्तु पौधे बिल्कुल स्वस्थ और एक महीने पुराने होने चाहिए | इन पौधों की रोपाई समतल और मेड दोनों में ही कर सकते है|

यदि आप समतल भूमि में पौधों की रोपाई करना चाहते है, तो उसके लिए आपको उचित आकार की क्यारियों को तैयार करना होता है | इन क्यारियों में एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी रखते हुए पौधों को पंक्तियों में लगा दिया जाता है | इसके अलावा इसके पौधों को मेड़ पर लगाने के लिए एक से सवा फ़ीट की दूरी रखते हुए मेड़ तैयार कर ली जाती है | इन मेड़ो पर एक फ़ीट की दूरी रखते हुए पौधों की रोपाई की जाती है |

ब्रोकली के पौधों की रोपाई अलग- अलग जगह के हिसाब से की जाती है | मैदानी क्षेत्रों में इसके पौधों की रोपाई अक्टूबर और नवंबर के माह में की जाती है | इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में इसके पौधों की रोपाई मार्च के महीने में की जाती है |

ब्रोकली के पौधों की सिंचाई (Broccoli Plant Irrigation)

ब्रोकली के पौधों को 5 से 6 सिंचाई की ही आवश्यकता होती है | इसकी प्रारंभिक सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है | इसके बाद ब्रोकली के पौधों को 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी देते रहना चाहिए |

ब्रोकली के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Broccoli Plants Weed Control)

ब्रोकली के पौधे भूमि की सतह से थोड़ी ऊंचाई पर विकास करते है, जिससे इसके पौधों को खरपतवार नियंत्रण की अधिक आवश्यकता होती है | इसके पौधों पर खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों ही विधियों का इस्तेमाल किया जाता है | रासायनिक विधि द्वारा पौधों पर खरपतवार नियंत्रण पाने के लिए ट्राईफ्लूरेलिन या टोक ई-25 की उचित मात्रा का छिड़काव भूमि में किया जाता है, जिससे खेत में खरपतवार न के बराबर निकलते है |

इसके अलावा प्राकृतिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए पौधों की गुड़ाई कर खरपतवार को निकाल दिया जाता है | इसके पौधों को केवल 4 से 5 गुड़ाई की ही जरूरत होती है| इसकी प्रारभिक गुड़ाई पौध रोपाई के तक़रीबन 10 से 15 दिन बाद की जाती है | इसके बाद की रोपाई को 10 से 12 दिन के अंतराल में करना होता है |

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ब्रोकली के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Broccoli Plant Diseases and their Prevention)

आर्द्रपतन रोग

यह एक मृदा जनित रोग है, जो पौधों पार आद्रपतन के रूप में लगता है | इस रोग से प्रभावित होने पर पौधे की पत्तिया पीली पड़ने लगती है, जिसके बाद पौधा भूमि सतह के पास से गलकर ख़राब हो जाता है | यह रोग अक्सर खेत में जलभराव की स्थिति में दखने को मिलता है | खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था कर इस रोग से पौधों को बचाया जा सकता है | इसके अतिरिक्त बीजो को खेत में लगाने से पहले उन्हें ट्राइकोडर्मा विरिडी की उचित मात्रा से उपचारित कर रोपाई करनी चाहिए | इसके अलावा कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर किया जाता है |

तना छेदक रोग

इस किस्म का रोग पौधों के विकास के समय देखने को मिलता है | इस रोग की सुंडी पौधों की पत्तियों को खाकर उन्हें नष्ट कर देती है | रोग का अधिक प्रभाव बढ़ने पर पौधों के तनो पर गोल आकार का छेद दिखाई देने लगता है, जिससे पौधा ठीक से वृद्धि नहीं कर पाता है | इस रोग की रोकथाम के लिए ब्रोकली के पौधों पर नीम के तेल या काढ़े का छिड़काव किया जाता है | इसके अलावा एण्डोसल्फान या क्विनालफॉस की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करना चाहिए |

चेपा कीट रोग

यह कीट रोग पौधों पर समूह के रूप में आक्रमण करता है | चेपा कीट रोग पौधों के नाजुक अंगो को हानि पहुँचता है | यह कीट रोग आकार में अधिक छोटे और देखने में पीले, हरे और काले रंग के होते है | इस किस्म का रोग अक्सर अधिक गर्मी के मौसम में देखने को मिलता है | मेलाथियान या एण्डोसल्फान की उचित मात्रा का छिड़काव कर इस रोग की रोकथाम की जा सकती है |

ब्रोकली के फलो की कटाई पैदावार और लाभ (Broccoli Fruit Harvesting Yields and Benefits)

ब्रोकली के पौधे रोपाई के 60 से 80 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है | जब इसके पौधों पर लगे फलो का मुख्य सिरा बनकर तैयार हो जाता है, उस दौरान इसकी कटाई कर ली जाती है | ब्रोकली के फलो की कटाई 10 से 12 CM की डंठल के साथ करनी चाहिए | इससे फल अधिक समय तक संरक्षित किया जा सकता है | फलो की पहली कटाई के बाद पौधों पर दूसरी शाखाएँ निकलने लगती है, जिसके बाद उन पर फिर से फल निकल आते है, किन्तु यह फल आकार में कुछ छोटे होते है |

एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 80 से 100 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है | ब्रोकली का बाज़ारी भाव 30 रूपए से 50 रूपए प्रति किलो होता है | जिससे किसान भाई ब्रोकली की एक बार की फसल से 3 से 5 लाख तक की कमाई कर अधिक लाभ कमा सकते है |

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